15 September 2016

549 जीना झूठ यार वादा इंतज़ार सच ऐतबार ख्वाहिश शायरी


549

Khwahish, Desire

जीनेकी ख्वाहिशमें हररोज़ मरते हैं,
वो आये आये हम इंतज़ार करते हैं...
झूठा ही सही मेरे यारका वादा हैं,
हम सच मानकर ऐतबार करते हैं

I die everyday in the Desire of Living,
I keep waitting whether she comes or not...
Though its false but its her Promise,
I believe her on Assumption.

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