23 September 2016

564 प्यार कसम बदल ॠत मौसम इंतज़ार समझ क़यामत शायरी


564

Kayamat, Destiny

बदलना आता नहीं में मौसमकी तरह,
हर इक ॠतमें तेरा इंतज़ार करते हैं,
ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हे हम इतना प्यार करते हैं l

I do not change like Whether,
I wait for you in every Season,
You may not understand till the Destiny,
I swear I Love to to the Extent.

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