25 September 2016

572 याद बेताब रात जिस्म दर्द टूट बहाना अक्सर शायरी


572

Aksar, Always

बेताबसे रहते हैं
उसकी यादमें
अक्सर,
रातभर नहीं सोते हैं
उसकी यादमें
अक्सर,
जिस्ममें दर्दका बहानासा बनाकर,
हम टूटकर रोते हैं
उसकी यादमें
अक्सर।

Being Desperate
In her Memory
Always,
Could not go to Sleep
In her Memory
Always,
Creating Excuse of some Body pain,
I Break and cry intensely
Always.

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