2946
आज भी हारी
हुई बाजी,
खेलना पसंद हैं हमें...
क्योंकी हम
तकदीरसे ज्यादा,
खुद पे भरोसा
करते हैं.......!
2947
जिंदगी ऐसी ना
जियो,
कि
लोग 'फरियाद' करे;
बल्की
ऐसी जियो...
कि
लोग तुम्हे 'फिर-याद' करे...!
2948
सूखे पत्ते भीगने लगे
हैं,
अरमानोंकी
तरह;
मौसम फिर बदल
गया,
इंसानोकी
तरह.......
2949
वक्त, मौसम और
लोगोंकी,
एक
ही फितरत होती
हैं;
कब, कौन और
कहाँ बदल जाए,
कुछ कह नहीं
सकते.......!
2950
ज़िंदा रहनेका
कुछ ऐसा अन्दाज़
रखो,
जो तुमको ना समझे
उन्हें नज़रंदाज रखो,
तुमने किया न
याद, कभी भूल
कर हमें,
हमने तुम्हारी यादमें, सब कुछ भुला
दिया...