3 August 2017

1606 - 1610 दिल दुनियाँ ज़िन्दगी कम्बखत मुलाकात लम्हे पंख गम जख्म दुआ शायरी


1606
माना की चन्द लम्होंकी,
मुलाकात थी ।
मगर सच ये भी हैं,
वो लम्हे ज़िन्दगी बन गए !!!

1607
इस बार तुम जाओ,
तो उनके पंख मत कतरना;
तुम्हारे बाद ये लम्हे,
बस रेंगते रहते हैं.......

1608
छोटेसे दिलमें गम बहुत हैं ,
जिन्दगीमें मिले जख्म बहुत हैं ,
मार ही डालती कबकी ये दुनियाँ हमें ,
कम्बखत दोस्तोंकी दुआओंमें दम बहुत हैं l

1609
जहां हो, जैसे हो, वहीं...
वैसे ही रहना तुम l
तुम्हें पाना जरुरी नहीं,
तुम्हारा होना ही काफी हैं l.......

1610
तेरे जानेके बाद,
कौन रोकता मुझे;
जी भरके खुदको,
बरबाद किया.......

2 August 2017

1601 - 1605 दिल काबिल अफसोस यकीन हुस्न यार आँख कुसूर शिकायत इल्तिजा हाल शायरी


1601
मैं इस काबिल तो नहीं...
कि कोई अपना समझे,
पर इतना यकीन हैं,
कोई अफसोस जरूर करेगा...
मुझे खो देनेके बाद.......l

1602
देखा जो हुस्न-ए-यार,
तबीअत मचल गई...
आँखोंका था कुसूर,
छुरी दिलपें चल गई.......

1603
न तुमसे कोई शिकायत हैं,
बस इतनीसी इल्तिजा हैं...
जो हाल कर गये हो,
कभी आके देख जाना.......

1604
मुँह कि बातें सुने हर कोई,
दिलका दर्द जाने कौन...
आवाजोंके बाज़ारोंमें,
खामोशी पहचाने कौन.......

1605
इस तरह मिली वो मुझे,
सालोंके बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो,
ख़यालोंके बाद,
मैं पूछता रहा उससे,
ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई,
मेरे सवालोंके बाद...l

1596 - 1600 दिल जख़्म मरहम ग़म इलाज़ दवा इश्क मुहब्बत बात याद आँख ख्वाब उम्र शायरी


1596
किसीके जख़्मका मरहम,
किसीके ग़मका इलाज़...
लोगोंने बाँट रखा हैं मुझे,
दवाकी तरह.......

1597
इश्क, मुहब्बत क्या हैं...?
मुझे नहीं मालूम... बस .....
तुम्हारी याद आती हैं...
सीधीसी बात हैं.......

1598
आये हो आँखोंमें तो,
कुछ देर तो ठहर जाओ;
एक उम्र लग जाती हैं,
एक ख्वाब सजानेमें...!

1599
हर एक बातपें कहते हो तुम,
की तुम क्या हो...
तुम्ही कहो कि यॆ,
अंदाज-ए-गुफ्तगु क्या हैं...?

1600
कब उनकी आँखोंसे,
इज़हार होगा...,
दिलके किसी कोनेमें,
हमारे लिए प्यार होगा...,
गुज़र रही हैं रात,
उनकी यादमें...,
कभी तो उनको भी,
हमारा इंतज़ार होगा...!

31 July 2017

1591 - 1595 दिल इश्क हार जीत मुसीबत वादा वक़्त सलाम नाम जाम खामोशी बेसबब दर्द आवाज शायरी


1591
मुझे आता ही कहाँ हैं ?
किसीका दिल जीतना,
मैं तो खुद......
अपना भी हार बैठा हूँ.......

1592
इश्कका तो पता नहीं...
पर जो तुमसे हैं,
वो किसी औरसे नहीं...!

1593
ऐ खुदा,
मुसीबतमें डाल दे मुझे...
किसीने बुरे वक़्तमें आनेका,
वादा किया हैं.......

1594
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गये भुला दो हुमको,
हमने पुछा कैसे......
वो चले गये हाथो मे जाम देकर......

1595
खामोशी बेसबब नहीं होती. . .
दर्द आवाज छीन लेता हैं . . . !!!

30 July 2017

1586 - 1590 इश्क़ प्यार मोहब्बत ज़िंदगी चेहरे हंसी ग़म काश राज इंतज़ार सुबह हसीन वक़्त ऐतबार शायरी


1586
चेहरेकी हंसीसे ग़मको भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो,
खुद ना रुठोंपर सबको हँसा दो,
यहीं राज हैं ज़िंदगीका,
कि जियो और जीना सिखा दो…..

1587
तुम क्या हो, मेरे कुछ हो,
या कुछ भी नहीं, मगर..
मेरी ज़िन्दगीकी 'काश' में,
एक 'काश' तुम भी हो…

1588
अगर उनसे ना मिलते
तो शायद...!
ये राज़ ही रह जाता,
कि मोहब्बत कैसी होती हैं...!

1589
हमने भी जी हैं
ज़िन्दगी यारों !
इश्क़ होनेसे
इश्क़ खोने तक.......

1590
ज़िन्दगी हसीन हैं ज़िन्दगीसे प्यार करो,
हैं रात तो सुबहका इंतज़ार करो l
वोह पल भी आयेगा जिसका इंतज़ार हैं आपको,
बस रबपर भरोसा और वक़्तपर ऐतबार करो ll

29 July 2017

1581 - 1585 दिल धड़कन मोहब्बतें पल अधूरी उम्र असर मौत दुआ खबर बात पसंद अजीब शायरी


1581
मोहब्बतें अधूरी रह जाती हैं...!
तभी तो शायरीयाँ पूरी होती हैं...!

1582
वो बात क्या करूँ जिसकी खबर ही न हो;
वो दुआ क्या करूँ जिसमे असर ही न हो;
कैसे कह दूँ आपको लग जाये मेरी भी उम्र;
क्या पता अगले पल मेरी उम्र ही न हो !!!

1583
मोहब्बत और मौत दोनोंकी पसंद... अजीब हैं...!
एकको दिल चाहिए और दूसरेको धड़कन...!

1584
"मैं तो रंग हुँ तेरे चेहरेका...
जितना तू खुश रहेगी,
उतनाही मैं निखरता जाऊँगा...!

1585
ज़िंदगीमें हमने कभी कुछ चाहा ही नहीं;
जिसे चाहा उसे कभी पाया ही नहीं;
जिसे पाया उसे यूँ खो दिया;
जैसे ज़िंदगीमें कभी कोई आया ही नहीं।

28 July 2017

1576 - 1580 दिल मोहब्बत जिन्दगी आँखे नशा शराब गुरूर सम्भल नींद खातिर शायरी


1576
न रख इतना गुरूर,
अपने नशेमें ए शराब !
तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं,
आँखे किसीकी !

1577
रात तो क्या,
पूरी जिन्दगी भी जागकर,
गुजार दूँ तेरी खातिर,
एक बार तू कहकर तो देख,
कि," मुझे तेरे बिना नींद नहीं आती..."

1578
मेरे दिलसे खेल तो रहे हो तुम...
पर जरा सम्भल के;
ये थोडा टूटा हुआ हैं;
कहीं तुम्हे ही लग ना जाए..!

1579
हर चीज़में खुशबु हैं
तेरे होनेकी...!
गजब निशानियाँ दी हैं
तूने चाहतकी.....!!!

1580
क्यूँ हर बातमें कोसते हो
तुम लोग नसीबको,
क्या नसीबने कहा था...
की मोहब्बत कर लो !

27 July 2017

1571 - 1575 दिल मोहब्बत आरजू गुनाह सजा ज़हर दुश्मन खफा सितम खौफ खामोशि लफ्ज सब्र आँख बेखबर शायरी


1571
"गुनाह करके सजासे डरते हैं,
ज़हर पीके दवासे डरते हैं . . .
दुश्मनोंके सितमका खौफ नहीं हमे,
हम तो दोस्तोंके खफा होनेसे डरते हैं !!!"

1572
तुम मुझमे पहले भी थे,
तुम मुझमे आज भी हो।
पहले मेरे लफ्जोमें थे,
अब मेरी खामोशियोंमें हो।

1573
रात तकती रही आँखोमें,
दिल आरजू करता रहा...,
कोई बेसब्र रोता रहा,
कोई बेखबर सोता रहा...

1574
आज मिलते ही उसने...
मेरा नाम पूछ लिया...
बिछड़ते वक्त जिसने कहा था,
तुम बहुत याद आओगे।

1575
क्यूँ कर रहे हो भला,
तुम बगावत खुदसे...
मान क्यों नहीं लेते की;
तुम्हे भी हैं मोहब्बत मुझसे !!!

25 July 2017

1566 - 1570 जिन्दगी मोहब्बत साँस हद शर्त मुलाकात उसूल बिछड़ बेबस काबिल कागज शायरी


1566
चंद लम्होंकी मोहब्बतमें,
यूँ भी ना हदसे गुजर जाना,
शर्तोंकी मुलाकातोंसे बेहतर हैं,
उसूलोंपर बिछड़ जाना...!

1567
सुनो....
या तो मिल जाओ,
या बिछड़ जाओ...!
यूँ साँसोंमें रहकर,
बेबस ना करो......!!

1568
निकाल दिया उसने हमे अपनी जिन्दगीसे,
भीगे कागज कि तरहा।
ना लिखनेके काबिल छोडा,
ना जलानेके काबिल।।

1569
मुहब्बत नहीं हैं नाम,
सिर्फ पा लेनेका...
बिछड़के भी अक्सर दिल,
धड़कते हैं साथ-साथ...!

1570
ना जाने कौन मेरे,
हक़में दुआ पढता हैं,
डूबता भी हु तो,
समुन्दर उछाल देता हैं !!!

24 July 2017

1561 - 1565 मोहब्बत ज़िन्दगीकी हकीकत परवाह ताना लहरें तुफान कश्ती काम जमाना ख़ुशी दर्द अकेले शायरी


1561
मत परवाह कर उनकी, जो आज देते हैं ताना,
झुका देंगे ये सर, जब आएगा तेरा जमाना,
लहरें बन जाए तुफान, कश्तीका काम हैं बहना,
कुछ तो लोग कहेंगे लोगोंका काम हैं कहना !!!

1562
ज़िन्दगीकी हकीकतको
बस इतना जाना हैं;
दर्दमें अकेले हैं और
ख़ुशीमें जमाना हैं...!

1563
रंग तेरी मोहब्बतका
उतर न पाया अबतक,
लाख बार खुदको
आँसुओंसे धोया हमने !!!

1564
"कभी उसको नजरअंदाज न करो,
जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो,
वरना किसी दिन तुम्हें एहसास होगा,
के पत्थर जमा करते करते तुमने हीरा गवा दिया हैं..."

1565
चुप रहना ही बेहतर हैं,
ज़मानेके हिसाबसे दोस्तों,
धोकाखा जाते हैं अक्सर...,
ज्यादा बोलने वाले !

23 July 2017

1556 - 1560 मोहब्बत जिंदगी हाल शर्मिंदा ख़्वाहिश कैदी शख्स हकीक़त सज़ा मज़बूर तवायफ मशहूर शायरी


1556
मेरा हाल देखकर,
मोहब्बत भी शर्मिंदा हैं,
कि ये शख्स सब कुछ हार गया,
फिर भी ज़िंदा हैं...

1557
ख़्वाहिशोंका कैदी हूँ,
मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं…

1558
जिंदगी भी तवायफकी तरह होती हैं..!!
कभी मज़बूरीमें नाचती हैं,
कभी मशहूरीमें...!!

1559
तोड़ना होता तो रिश्ता ना बनाते,
उम्मीद ना होती तो सपने ना सजाते,
एतबार किया हैं हमने आपकी दोस्तीपें,
भरोसा ना होता तो दिलका हिस्सा ना बनाते...

1560
अदाओ वफाओंका,
जमाना गया यारो...
सिक्कोकी खनक बताती हैं,
रिश्ता कितना मजबूत हैं...!

21 July 2017

1551 - 1555 इश्क मोहब्बत जल उम्र बोझ तारीफ़ तस्वीर होश शौक वजूद टुकडे शायरी


1551
गीली लकड़ीसा इश्क,
उन्होंने सुलगाया हैं...
ना पूरा जल पाया कभी,
ना बुझ पाया हैं...!!!

1552
उम्रभर उठाया बोझ,
उस ''खीली'' ने…
और लोग तारीफ़...
''तस्वीर'' की करते रहे.......

1553
बहुत शौक था;
सबको जोडके रखनेका...
होश तब आया जब,
अपने वजूदके टुकडे देखे.......

1554
बड़ा अजीब होता हैं,
ये मोहब्बत हैं खेल भी,
एक थक जाये तो,
दोनों हार जाते हैं...!

1555
वो करीब बहुत हैं,
मगर कुछ दूरियोंके साथ...,
हम दोनों जी तो रहे हैं,
पर बहुतसी मजबूरीयोंके साथ.......

20 July 2017

1546 - 1550 मुहब्बत जिंदगी कारोबार खरीद किमत किस्मत मुकम्मल अधूरे आशिक वजह बात जज्बात रोग शायरी


1546
खरीद सकते उन्हें,
तो अपनी जिंदगी देकर भी खरीद  लेते,
पर कुछ लोग "किमत" से नहीं,
"किस्मत" से मिला करते हैं !!!

1547
मुहब्बत मुकम्मल होती,
तो ये रोग कौन पालता...
अक्सर अधूरे आशिक ही,
शायर हुआ करते हैं...!!!

1548
बेवजह हैं, तभी तो दोस्ती हैं ;
वजह होती, तो कारोबार होता ।

1549
"बात तो सिर्फ
जज्बातोंकी हैं...
वरना... मोहब्बत तो
सात फेरोके बाद भी नहीं होती हैं..."

1550
मसरूफ़ रहनेका अंदाज़,
तुम्हें तनहा ना कर दे ;
रिश्ते फ़ुर्सतके नहीं,
तवज्जोके मोहताज होते हैं !