2441
नींदसे कोई वास्ता नहीं...
मेरा कौन हैं,
ये सोच सोचके,
रात गुज़र जाती हैं.......
2442
ये ना पुछ मैं शराबी क्यूँ हुआ,
बस यूँ समझले.....
गमोंके बोझसे
नशेकी बोतल सस्ती लगी.......
2443
एक एहसास तब भी था,
एक एहसास अब भी हैं,
कुछ अनकही कूछ अनसुनी बातोंमें
एक जजबात अब भी हैं,
यूँ वक्त तो गुजर गया हैं बहोत लेकिन,
आपसे फिर मिलनेकी चाह अब
भी हैं.....
2444
कुछ इस क़दर गम बस गये हैं,
मेरे दिलकी दरो-दीवारमें,
लगता हैं एक और दिल किरायेपर लेना पडेगा,
जींदा रहनेके लिये . . . . . . . !
2445
उनपर किसी मौसमका,
असर क्यों नहीं होता ?
रद्द क्यों नहीं उनकी,
यादोंकी उड़ानें होतीं.......