3116
धड़कने मेरी बेचैन
रहती हैं,
क्यूँकि
तेरे बग़ैर...
यह धड़कती कम हैं,
और तड़पती ज़्यादा हैं.......!
3117
तरस गई हैं निगाहें
उनके दीदार-ए-रुखसारको।
और वो हैं की ख्वाबोमें भी
नकाबमें आते हैं...।।
3118
अर्ज किया हैं,
नींद मेरी ------- ख्वाब तेरे,
दिल मेरा ------- चाहत तेरी,
वजूद मेरा ------- सुरूर तेरा,
उसपर तेरा कहना ------- जहां हो
खुश रहो...
तुम्हीं
बताओ ------- क्या खाक
जी पाएगें हम.......
3119
बेवजह कुछ नहीं...
ना लफ़्ज़ मेरे,
ना इश्क़ मेरा.......!!!!!
3120
बेवजह हो गयी,
तुमसे इतनी मुहब्बत;
चलो ... अब वजह
बन जाओ,
जीनेकी.......!!!