5431
राज़-ए-उल्फत सीनेमें,
हम लिए
फ़िरते हैं...
वो
बयाँ अगर
कर दें
तो,
ज़िन्दगी
ही संवर जाए...
5432
इश्क़में
हर क़दम,
हैं
इक मंज़िल...
राह-ए-उल्फ़तकी,
मुश्किलात न पूछ...
5433
दिलमें कुछ टूटने लगता हैं,
तेरे
ज़िक्रके साथ...
चंद आँसू तेरी,
चंद आँसू तेरी,
उल्फ़तके बहाने निकले...
5434
रिश्ता-ए-उल्फ़तको,
ज़ालिम यूँ न
बेदर्दीसे तोड़...
दिल तो फिर
जुड़ जाएगा,
लेकिन
गिरह रह जाएगी...
नक़्श-ए-उल्फ़त मिट
गया,
तो
दाग़-ए-उल्फ़त हैं
बहुत...
शुक्र कर ऐ दिल कि तेरे,
शुक्र कर ऐ दिल कि तेरे,
घरकी दौलत
घरमें हैं...!