5586
अब खुशी हैं,
न कोई ग़म
रुलानेवाला...
हमने अपनालिया हर रंग,
ज़माने वाला.......
निदा
फ़ाज़ली
5587
अब लोग पूछते
हैं हमसे,
तुम कुछ बदल
गए हो...
बताओ टूटे हुए
पत्ते अब,
रंग भी न
बदलें क्या.......
5588
फ़क़त बाल रंगनेसे,
कुछ नहीं होता
गालिब।
नादानियाँ
भी किया करो,
जवाँ बने रहनेके
वास्ते।।
5589
कौन कहता हैं,
काला रंग अशुभ
होता हैं;
स्कूलका
वो ब्लैक बोर्ड,
लोगोंकी
जिन्दगी बदल देता
हैं...!
5590
मजहब ना पूछो
गालिब,
बस गले मिलने
दो...
सुना हैं सबके
लहूके रंग,
एक जैसे होते
हैं.......