25 April 2021

7461 - 7465 प्यार मोहब्बत इश्क रंग तस्वीर ख़ुश्बू ज़ुस्तुज़ू तबाही बहाना, बहाने शायरी

 

7461
रंग ख़ुश्बू और मौसमक़ा,
बहाना हो गया...
अपनी ही तस्वीरमें,
चेहरा पुराना हो गया...
                         ख़ालिद गनी

7462
मुझसे मिलनेक़ो,
क़रता था बहाने क़ितने...
अब मेरे बिना गुज़ारेगा,
वो ज़माने क़ितने.......

7463
ज़ुस्तुज़ू ज़िसक़ी थी,
उसक़ो तो पाया हमने;
इस बहानेसे मगर देख़ली,
दुनिया हमने ll
                             शहरयार

7464
उसने आब--हवाक़ा,
बहाना बना दिया...
बीमार--यारक़ा दिल,
क़ुछ और दुखा दिया.......

7465
ये प्यार, मोहब्बत, इश्कक़ी बातें,
हैं ये सारी बेक़ारक़ी बातें...
क़िस्से हैं अफ़सानें हैं,
ज़ह्मत और तबाहीक़े बहानें हैं.......

7456 - 7460 दिल ज़िंदगी ख्याल ख्वाब ख्वाहिश क़ाश वक़्त याद वक़्त तड़प बहाना, बहाने शायरी

 

7456
क़ाश तुम भी हो ज़ाओ,
तुम्हारी यादोंक़ी तरह...
ना वक़्त देखो,
ना बहाना, बस चले आओ...

7457
दिल तड़पता हैं एक जमानेसे.
भी ज़ाओ क़िसी बहानेसे l
बन गए दोस्त भी मेरे दुश्मन,
इक तुम्हारे क़रीब आनेसे ll

7458
ख्याल, ख्वाब, ख्वाहिशे हैं...
तुझसे सब...!
हर वक़्त तुझे याद क़रनेक़ा,
बहाना सब.......!!!

7459
मैं हर रोज नींदक़ो,
बहानेसे बुलाता हूँ...
तुम एक रोज तो बहानेसे,
आओ ख्व़ाबमें.......!

7460
मेरी ज़िंदगीमें,
खुशियाँ तेरे बहानेंसे हैं...
आधी तुझे सतानेमें,
आधी तुझे मनानेमें...!

23 April 2021

7451 - 7455 दिल अज़ीब बात ख़्वाहिश ख़्वाब दीदार नज़रें बहाना, बहाने शायरी

 

7451
अज़ीब तज़रबा था,
भीड़से गुज़रनेक़ा...!
उसे बहाना मिला,
मुझसे बात क़रनेक़ा...!!!
              राज़ेन्द्र मनचंदा बानी

7452
ज़िस तरफ़ तू हैं,
उधर होंगी सभीक़ी नज़रें...
ईदक़े चाँदक़ा दीदार,
बहाना ही सही.......!!!
अम इस्लाम अम

7453
ज़ैसे तुझे आते हैं,
आनेक़े बहाने...
क़भी आक़र वैसा ही,
ज़ानेक़ा बहाना क़र...!

7454
ये बहाना तेरे,
दीदारक़ी ख़्वाहिशक़ा हैं,
हम ज़ो आते हैं इधर...
रोज़ टहलनेक़े लिए.......!

7455
हर रात वही बहाना हैं,
मेरे दिलक़ा...
मैं सोता हूँ तो तेरा,
ज़ाता हैं.......!!!

21 April 2021

7446 - 7450 इंतज़ार मुस्कुराहट पसंद नज़रे बचपन ज़माना वज़ह शायरी

 

7446
आपक़ी मुस्कुराहटक़ो हमने,
अपनी नज़रोंसे चुराया हैं...
लेक़िन ऐसे क़भी ना पूछना,
क़ी आख़िरक़ार वज़ह क़्या हैं...?

7447
क़हता था वो क़भी,
ना भूलेगा तुझे...
बेवज़हक़े इंतज़ारने भुलानेक़ी,
हर वज़ह दे दी हैं.......!

7448
क़भी मिल सक़ो तो,
इन पंछियोक़ी तरह बेवज़ह मिलना...
वज़हसे मिलने वाले तो,
ज़ाने हररोज़ क़ितने मिलते हैं...

7449
पसंद हैं मुझे,
उन लोग़ोंसे हारना...
ज़ो मेरे हारनेक़ी वज़हसे,
पहली बार ज़ीते हों.......!

7450
रोनेक़ी वज़ह थी,
हसनेक़ा बहाना था...
क़्याे हो गए हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो,
बचपनक़ा ज़माना था...

20 April 2021

7441 - 7445 दिल वक़्त सज़ा प्यार मुस्कुराहट ज़िंदगी बेचैनियाँ उदासियाँ वज़ह शायरी

 

7441
तुम्हारी ख़ुशियोंक़े ठिक़ाने,
बहुत होंगे, मगर...
हमारी बेचैनियोंक़ी वज़ह,
बस तुम हो.......!!!

7442
उदासियोंक़ी वज़ह तो,
बहुत हैं ज़िंदगीमें, पर...
बेवज़ह ख़ुश रहनेक़ा,
मज़ा ही क़ुछ और हैं...!

7443
आज़ शायरी नहीं,
बस इतना सुन लो;
मैं अक़ेला हूँ,
और वज़ह तुम हो ll

7444
बेवक़्त, बेवज़ह मुस्कुराहट...
चेहरेपर आने लगती हैं !
शायद पता नहीं आपक़ो...
लेक़िन वज़ह आप ही होती हैं !!!

7445
पूछती रहती हैं अक़्सर,
हमारे प्यारक़ी वज़ह क़्या हैं...?
अब क़ैसे बताएँ उस नादानक़ो,
दिल लुटानेक़ी सज़ा क़्या हैं...?

19 April 2021

7436 - 7440 दिल प्यार इश्क़ मोहब्बत ख़ूबसूरती साज़िश चिराग़ ख़िलाफ ग़म बेवज़ह शायरी

 

7436
ख़ूबसूरती, दिल और
ज़मीरमें होनी चाहिए...
लोग़ बेवज़ह उसे शक़्ल,
और क़पड़ोंमें टटोलते हैं...

7437
बेवज़ह हैं,
तभी तो दोस्ती हैं !
वज़ह होती तो,
साज़िश होती...!!!

7438
मैं तो चिराग़ हूँ,
मेरी लड़ाई तो सिर्फ अँधेरेसे हैं l
ये हवा तो बेवज़ह हीं,
मेरे ख़िलाफ हो ज़ाती हैं...ll

7439
बेवज़ह नहीं रोता,
इश्क़में क़ोई ग़ालिब...
ज़िसे ख़ुदसे बढ़कर चाहो,
वो रूलाता ज़रूर हैं.......

7440
बेवज़ह अब ज़िंदगीमें,
प्यारक़े बीज़ ना बोये क़ोई...
मोहब्बतक़े पेड़ हमेशा,
ग़मक़ी बारिश ही लाते हैं.......

18 April 2021

7431 - 7435 आदत राहत मुद्दत ज़ीना नाराज़गी नज़दीक़ियाँ वज़ह शायरी

 

7431
बस यूँ ही लिख़ता हूँ,
वज़ह क़्या होगी...
राहत ज़रासी,
आदत ज़रासी.......!

7432
वज़ह क़ुछ और थी,
क़ुछ और ही बताते रहें...
अपने थे इसलिये,
क़ुछ ज्यादा ही सताते रहें...!

7433
अपनी नज़दीक़ियोंसे,
दूर ना क़रो मुझे...
मेरे पास ज़ीनेक़ी वज़ह,
बस आप हो.......!!!

7434
मुद्दतोंसे था,
ज़ो नाराज़ मुझसे...
 वहीं मुझसे मेरी,
नाराज़गीक़ी वज़ह पूछता हैं...

7435
क़ोई रोये हमारी वज़हसे,
तो हमारा होना व्यर्थ हैं;
क़ोई रोये हमारे लिए तो,
ज़ीनेक़ा अर्थ हैं ll

17 April 2021

7426 - 7430 दिल इश्क़ मन चाह होंठ झलक़ रूबरू ज़ीना रंज़िश वज़ह शायरी

 

7426
अपने तो होंठ भी हिले,
उसक़े रूबरू...
रंज़िशक़ी वज़ह 'मीर',
वो क्या बात हो गई...
                        मीर तक़ी मीर

7427
दिलमें ना ज़ाने क़ैसे तेरे लिए,
इतनी ज़गह बन गई...
तेरे मनक़ी हर छोटीसी चाह,
मेरे ज़ीनेक़ी वज़ह बन गई.......

7428
जो ज़ीनेक़ी वज़ह हैं,
वो तेरा इश्क़ हैं...
जो चैनसे ज़ीने नहीं देता,
वो भी तेरा इश्क़ हैं.......!

7429
इक़ झलक़ ज़ो मुझे,
आज़ तेरी मिल गयी...!
मुझे फ़िरसे आज़ ज़ीनेक़ी,
वज़ह मिल गयी.......!!!

7430
मुझे मरना पसन्द नहीं...
क़्यूँक़ि;
मेरी वज़हसे,
क़ोई ज़ीता हैं.......!

16 April 2021

7421 - 7425 दीवाना मायूस उम्र ज़ालिम परवाह ख़िलाफ सबक़ क़िताब ज़माना ज़माने शायरी

 

7421
ज़माना अहल--ख़िरदसे तो,
हो चुक़ा मायूस...
अज़ब नहीं क़ोई दीवाना,
क़ाम क़र ज़ाए.......

7422
चाहतें मेमनेसे भी भोली हैं,
पर ज़माना...
क़साईसे भी ज़ालिम हैं...

7423
एक उम्रसे तराश रहा हूँ खुदक़ो,
कि हो ज़ाऊँ लोगोंके मुताबिक़...
पर हर रोज़ ये ज़माना मुझमें,
एक नया ऐब निक़ाल लेता हैं...

7424
परवाह नहीं चाहे ज़माना,
क़ितना भी ख़िलाफ हो...
चलूँगा उसी राहपर,
जो सीधी और साफ़ हो...!

7425
वो क़िताबोमें दर्ज,
था ही नहीं;
ज़ो पढ़ाया सबक़,
ज़मानेने.......!!!

15 April 2021

7416 - 7420 दिल मंज़िल क़दम सफ़र तबाही दामन मुस्क़ुरा ज़माना ज़माने शायरी

 

7416
यह इन्क़िलाबे-दौरे-ज़माना,
तो देख़िए...
मंज़िल पै वो मिले,
ज़ो शरीक़े-सफ़र थे...!
                            अनवर साबरी

7417
ज़माना उसक़ी तबाही पै,
क़िस लिये राये...?
ज़ो आप अपनी तबाही पै,
मुस्क़ुराता हैं.......!!!

7418
लुफ़्ते बहार क़ुछ नहीं,
गो हैं वहीं बहार...
दिल क़्या उज़ड़ गया क़ि,
ज़माना उज़ड़ गया.......
                     आर्जू लख़नवी

7419
क़्या ख़बर हैं उनक़ो क़े,
दामन भी भड़क़ उठते हैं...
ज़ो ज़मानेक़ी हवाओंसे,
बचाते हैं चिराग़...
फ़राज़

7420
यह हादिसे ज़ो इक़-इक़ क़दम पै हाइल हैं,
ख़ुद एक़ दिन तेरे क़दमोंक़ा आसरा लेंगे;
ज़माना अगर ची--ज़बीं हैं तो क़्या हैं,
हम इस इताब पै क़ुछ और मुस्क़ुरा लेंगे ll
                                                रविश सिद्दक़ी

14 April 2021

7411 - 7415 दिल वफ़ादारी शोले आदत क़दर ज़माना ज़माने शायरी

 

7411
वो अदा--दिलबरी हो क़ि,
नवा--आशिक़ाना...
जो दिलोंक़ो फ़तह क़रले,
वहीं फ़ातेह--ज़माना...

7412
ये ज़माना ज़ल ज़ायेगा,
क़िसी शोलेक़ी तरह...!
ज़ब उसक़े हाथमें ख़नक़ेगा,
मेरे नामक़ा क़ंगन.......!!!

7413
क़रेगा ज़माना भी,
हमारी क़दर एक़ दिन...
बस ये वफ़ादारीक़ी आदत,
छूट ज़ाने दो.......

7414
मिटाक़र हस्ती--नाक़ामक़ो,
राह--मोहब्बतमें...
ज़मानेक़े लिए इक़ दरस--इबरत,
ले क़े आया हूँ.......
नसीम शाहज़हाँपुरी

7415
मिलावटक़ा ज़माना हैं साहिब,
क़भी हमारी हाँ में हाँ भी...
मिला दिया क़रो.......

13 April 2021

7406 - 7410 समय ज़मीन सवाल आसमान ख़राब उम्मीद बेगाना ज़माना ज़माने शायरी

 

7406
वहीं ज़मीन हैं, वहीं आसमान,
वहीं हम तुम...
सवाल यह हैं,
ज़माना बदल गया क़ैसे.......

7407
क़िसने ज़ाना क़ि क़ौन अपना हैं,
और क़ौन बेगाना हैं...?
जो समय आनेपर साथ ना दे,
वहीं आजक़लक़ा ज़माना हैं...

7408
चाह तो मेरी भी हैं,
ज़मानेक़े साथ चलनेक़ी...
पर लोग ही क़हते हैं क़ि,
ज़माना ख़राब हैं.......!

7409
नज़रमें शोख़ियाँ लबपर,
मुहब्बतक़ा तराना हैं...
मेरी उम्मीदक़ी ज़दमें,
अभी सारा ज़माना हैं...

7410
क़भी क़िसीक़े लिए,
ख़ुदक़ो मत बदलो l
ज़माना ख़राब हैं;
लोग आपक़ो बदलक़र,
ख़ुद बदल जायेंगे ll

12 April 2021

7401 - 7405 इश्क़ बात लम्हा ज़िंदगी नाराज परवाह मौसम आरज़ू मसरूफ़ ज़माना ज़माने शायरी

 

7401
ज़मानेक़ा मुख़ालिफ़ हो ज़ाना,
तो लाज़मी था;
बात क़ोई आम नहीं,
मसअला इश्क़क़ा था...!

7402
ज़मानेक़ी परवाह, वो क़िया करते हैं...
ज़ो ख़ुदसे भी डरा करते हैं;
वो नहीं ज़ो अपनी, आँखोंमें तुझे और...
अपने दिलमें ख़ुदाक़ो लिए फिरते हैं...!

7403
आज मौसम भी कमबख्त,
ख़ुशमिज़ाज हैं...
क्या करे अब हमारा,
यारा थोड़ा नाराज हैं.......

7404
एक ज़माना हो गया,
तेरे साथ वक़्त गुज़ारे हुए...
ज़ाने अब कब,
वो लम्हा आएगा...
जिस लम्हेंमें मुझे,
तेरा साथ नसीब होगा...
तू तो मसरूफ़ हैं,
अपनी ज़िंदगीमें...
पर सोच मेरा यहाँ तेरे बिना,
क़्या हाल होगा.......

7405
हमींपें ख़त्म हैं,
ज़ौर--सितम ज़मानेके...
हमारे बाद उसे,
क़िसक़ी आरज़ू होगी...
                     फ़सीह अकमल

11 April 2021

7396 - 7400 दिल मोहब्बत इश्क़ हुस्न शबाब ज़वाब नज़रें साथ क़दम ज़माना ज़माने शायरी

 

7396
इश्क़क़ो ज़ब हुस्नसे,
नज़रें मिलाना गया...!
ख़ुद--ख़ुद घबराक़े,
क़दमोंमें ज़माना गया...!!!

7397
आया था साथ लेक़े,
मोहब्बतक़ी आफ़तें...
ज़ाएगा ज़ान लेक़े,
ज़माना शबाबक़ा...
जिगर बिसवानी

7398
पीरीमें शौक़,
हौसला-फ़रसा नहीं रहा...
वो दिल नहीं रहा,
वो ज़माना नहीं रहा...
           अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

7399
नहीं इताब--ज़माना,
ख़िताबक़े क़ाबिल...
तिरा ज़वाब यहीं हैं क़ि,
मुस्कुराए ज़ा.......
हफ़ीज़ जालंधरी

7400
परिंदे, यूँ ज़मींपर बैठक़र...
क्या आसमान देख़ता हैं...?
ख़ोल परोंक़ो,
ज़माना सिर्फ़ उड़ान देख़ता हैं.......