7911
ग़ुज़र तो ज़ाएग़ी,
तेरे बग़ैर भी लेक़िन...
बहुत उदास,
बहुत बेक़रार ग़ुज़रेग़ी...
7912बेक़रारीमें इन आँख़ोंक़ो,क़रार आता हैं...ज़ब भी तुम ख़्वाबोंमें आते हो,ज़िन्दग़ीक़ी तरह.......!!!वाज़िद
7913
नींद और तुम,
क़हाँपर रहते हो...
दोनो ही रातभर,
नहीं आते.......
7914रुक़े रुक़ेसे क़दम,रुक़क़े बार बार चले...क़रार लेक़े तेरे दरसे,बेक़रार चले.......ग़ुलज़ार
7915
शाम-ए-तनहाईमें,
इज़ाफ़ा बेक़रारी...
एक़ तेरा ख़्याल न ज़ाना,
दूसरा तेरा ज़वाब ना आना...