19 February 2022

8246 - 8250 वाक़िफ़ प्यार लफ़्ज़ अल्फ़ाज़ बयान ज़ज़्बात शायरी

 

8246
मेरे ज़ज़्बातसे वाक़िफ़ हैं,
मेरा क़लम फ़राज़...
मैं प्यार लिख़ूँ तो,
तेरा नाम लिख़ ज़ाता हैं...!

8247
ज़ज़्बात लिख़े,
तो मालूम हुआ...
पढ़े लिख़े लोग भी,
पढ़ना नहीं ज़ानते...

8248
बस दिलक़े ज़ज़्बातोंक़ो,
लफ़्ज़ोंमें बयान क़र दो...
ज़ो छुपे हुए हैं राज़,
उन्हें बयान क़र दो.......

8249
अल्फ़ाज़ोंमें इतनी ताक़त नहीं,
ज़ो ज़ज़्बातोंक़ो बयान क़र दे...
ज़ज़्बात तो इतने ताक़तवर हैं,
ज़ो दो बूढ़े दिलक़ो भी जवाँ क़र दे...

8250
क़ेवल अल्फ़ाज़ोंक़ी बात थी,
ज़ज़्बात तो तुम...
वैसेभी नहीं समझते.......

17 February 2022

8241 - 8245 मोहब्बत दिल समझ लफ्ज़ बात क़िताब लाज़वाब शख़्स क़ारवाँ मंज़िल ज़ज़्बात शायरी

 

8241
दिख़ावेक़ी मोहब्बत तो,
ज़मानेक़ो हैं हमसे, पर...
ये दिल तो वहाँ बिक़ेगा,
ज़हाँ ज़ज़्बातोक़ी क़दर होगी...!

8242
मानाक़ी क़ाफ़ी,
समझदार हो, मगर...
मेरे ज़ज़्बातोंक़ो समझना,
तुम्हारी समझक़े बहार ही हैं...!

8243
हम क़हाँ ज़ाए,
ज़ज़्बातक़ा शीशा लेक़र,
लफ्ज़क़ा पत्थर तो,
यहाँ हर शख़्स चला लेता हैं ll

8244
बात ये भी बड़ी,
लाज़वाब हो गई l
ज़ज़्बातक़ी स्याही पन्नोंपर बिख़री,
और क़िताब हो गई.......!!!

8245
हर रोज़ निक़लता हूँ साथ लेक़र,
ज़ज़्बातोंक़ा क़ारवाँ...
मिल ज़ाए मंज़िल मुझे ज़ाने वो,
सहर क़्यों नहीं होती.......

8236 - 8240 दिल इश्क़ ख़ामोशी मज़ाक़ बर्बाद राख़ सुक़ून ज़ज़्बात शायरी

 

8236
चलो ख़ामोशियोंक़ी,
गिरफ़्तमें चलते हैं...
बातें ज़्यादा हुई तो,
ज़ज़्बात ख़ुल ज़ायेंगे...

8237
दिल--ज़ज़्बात क़िसीपर,
ज़ाहिर मत क़र l
अपने आपक़ो इश्क़में,
इतना माहिर मत क़र ll

8238
ये ज़ो क़हते हैं क़ी,
हम बर्बाद लिख़ते हैं l
क़भी सुक़ूनसे बैठक़र पढ़ोगे तो,
ज़ानोगे हम ज़ज़्बात लिख़ते हैं ll

8239
क़म ही होते हैं,
ज़ज़्बातोंक़ो समझने वाले...
इसलिए शायद शायरोंक़ी,
बस्तियाँ नहीं होती.......!

8240
कुछ इस क़दर मेरे ज़ज़्बातोंसे,
वो मज़ाक़ क़रता हैं...
क़ागज़पर इश्क़ लिख़ता हैं,
फ़िर ज़लाक़े राख़ क़रता हैं...ll

16 February 2022

8231 - 8235 दिल इश्क़ महबूब लफ्ज़ याद समझ एहसास तक़लुफ़्फ़् ख़्वाहिश ख़्याल ज़ज़्बात शायरी

 

8231
कुछ उम्दा क़िस्मक़े,
ज़ज़्बात हैं हमारे...
क़भी दिलसे समझनेक़ी,
तक़लुफ़्फ़् तो क़ीज़िए...ll

8232
ज़ज़्बातक़ी स्याही ज़ब,
दिलक़े पन्नोंपर ज़म ज़ाती हैं !
हर एक़ लफ्ज़,
शायरी बन ज़ाती हैं !!!

8233
ज़ो अपने महबूबक़े,
यादोंमें ख़ो ज़ाएँ...
उसक़ा एहसास और ज़ज़्बात,
मीठा मीठा हो ज़ाएँ.......!

8234
बदलते नहीं ज़ज़्बात,
मेरे तारीखोंक़ी तरह...
बेपनाह इश्क़ क़रनेक़ी,
ख़्वाहिश मेरी आज़ भी हैं...!

8235
बहुत नाज़ुक़ हैं ज़ज़्बात मेरे,
ज़ो तुम्हारे दिलमें रख़े हैं l
क़हीं ठेस लग ज़ाये,
बस इतना ख़्याल रख़ना...ll

14 February 2022

8226 - 8230 ज़ान क़दर इबादत रिश्ते शराब दुश्मन बदनाम शायरी

 

8226
हम तो बदनाम हुए,
कुछ इस क़दर क़ि...
पानी भी पियें तो लोग,
शराब क़हते हैं.......!

8227
चलो इबादत रखते हैं,
अपने रिश्तेका नाम...!
मोहब्बतको तो लोगोंने,
बदनाम कर दिया.......!!

8228
बेज़ान चीज़ोंक़ो बदनाम क़रनेक़े तरीक़े,
क़ितने आसान होते हैं l
लोग सुनते हैं बातें छुप छुपक़े,
और क़हते हैं दीवारोंक़े क़ान होते हैं ll

8229
ज़ब मैं बदनाम ही था,
तो मुझे चाहा ही क़्यों.......?

8230
आओ दुश्मनी रूबरू होक़र क़रते हैं,
ये झूठी दोस्ती निभाक़र,
दोस्तीक़ो बदनाम क़रना ठीक़ नहीं ll

13 February 2022

8221 - 8225 चारसाज़ सबूत शक़ मोहब्बत दवा इरादा ज़माना शोहरत ख़ातीर क़िस्से बदनाम शायरी

 

8221
चारासाजोंक़ी चारसाज़ीसे,
दर्द बदनाम तो नहीं होगा...
हाँ, दवा दो, मग़र ये बतला दो,
मुझक़ो आराम तो नहीं होगा...!

8222
शोहरत तो,
बदनामीसे ही मिलती हैं, और...
सूना हैं क़ी, लोग बदनामीक़े क़िस्से,
क़ान लगाक़र सूनते हैं.......

8223
शक़ ना क़र,
मेरी मोहब्बतपर पगली l
अगर मैं सबूत देनेपर आया तो,
तु बदनाम हो ज़ाएगी ll

8224
तू बदनाम ना हो,
इसलिये ज़ी रहा हूँ...
वरना तेरी चौख़टपें मरनेक़ा,
इरादा रोज़ होता हैं.......

8225
क़भी दिवारोंपर लिख़ा तेरा नाम,
तेरे साथ गुज़रती अपनी क़ोई शाम l
ज़माना हँसता हैं, देता हैं ताने,
ज़बसे हुए तेरी ख़ातीर बदनाम...ll

8216 - 8220 नाम आग क़सम ख़ुशबू मासूम बदनाम शायरी

 

8216
आग तो यूँ ही,
बदनाम हैं साहब...
लोग तो ख़ुद,
एक़ दूसरेसे ज़लते हैं ll

8217
ख़ुशबू तो उसक़ी,
धीमी साँसोंमें हैं...!
हवाओंक़ो भी उसने,
बदनाम क़िया हैं.......!

8218
क़ोठे तो यूँ ही बदनाम हैं,
असली धंधा तो...
अख़बारवाले चला रहे हैं ll

8219
बदनाम क़रते हैं लोग,
ज़िसक़ा नाम लेक़र...
क़सम ख़ुदाक़ी ज़ी भरक़े,
उसे देख़ा तक़ नहीं.......

8220
ऐतिहातन हम गलीसे,
क़म गुज़रे हैं...
क़ोई मासूम मेरे नामसे,
बदनाम ना हो ज़ाए.......

11 February 2022

8211 - 8215 लफ्ज़ याद हसरत सनम ख़्याल ख़ामोश मासूम गज़ल ज़माना वाक़िफ़ बदनाम शायरी

 

8211
हसरतें ख़ामोश हैं,
ना बदनाम हो वाफ़ा,
गज़लोंक़ो मेरी याद,
तुम यूँ आते तो बहुत हो ll
                              यामिनी

8212
चाहमें उनक़ी हम एक़,
लफ्ज़ भी ना बोल पाए...
ज़ाने क़्या गुरूर था उन्हें,
बदनाम हमें क़रते गए.......

8213
मैं अपनी पहचान क़्या दूँ,
सब वाक़िफ़ हैं मेरे नामसे...!
उस बेवफ़ासे प्यार क़रक़े.
बदनाम हूँ हर गली हर क़ोनेमें...!!!

8214
तू मुझे अपना बना,
या ना बना, तेरी मरज़ी...
मैं ज़मानेमें बदनाम,
तेरे नामसे ही हूँ.......!!!

8215
नाम तो लिख़ दूँ उसक़ा,
अपनी हर शायरीक़े साथ...
मगर फ़िर ख़्याल आता हैं,
मासूमसा हैं सनम मेरा,
क़हीं बदनाम ना हों ज़ाये.......

10 February 2022

8206 - 8210 गली शब नाम इश्क़ प्यार वफ़ा दामान शाम सुक़ून रुसवा निलाम बदनाम शायरी

 

8206
चलेंगे उस गली शाम होने दो,
क़ोई शब मेरे नाम होने दो,
क़र लूंगा बदनाम मैं ख़ुदक़ो,
बस मेरा ज़रा नाम होने दो ll

8207
बहुत सुक़ून पाती हूँ,
तेरे सीनेसे लगक़र...
यह बात लोग़ोंमें बताक़र,
मुझे रुसवा क़र.......

8208
तेरा इश्क़ ज़ी सक़ी,
पर तेरे नामसे,
बदनाम हो गई.......!

8209
कुछ ऐसा क़ाम क़र दे,
प्यार सही...
बदनाम ही क़र दे.......!

8210
दामाने वफ़ाक़ो,
बदनाम ना क़र...
क़रना है गर तो,
मुझक़ो निलाम क़र...
                    अफ़शा नाज़

9 February 2022

8201 - 8205 दिल दर्द आग लब ज़ाम शराब इश्क़ गलियाँ मोहब्बत मोहताज़ रेहम बदनाम शायरी

 

8201
अपने ही दिलक़े,
दर्दक़ा ज़ाम पीते हैं...
और लोग शराबक़ो,
बदनाम क़रते हैं.......

8202
बदनाम गलियोंमें,
मुस्क़ुराते चेहरोंक़े पीछे...
हैं लाख़ों ज़बरो गम,
दिए हुए तहज़ीबदारोंक़े...

8203
आगक़े प्याले,
लबोंक़े ज़ाम...
इश्क़ अधूरा,
मोहब्बत बदनाम...

8204
मोहताज़ हो गई हूँ मैं,
अपने आपक़ी...
देख़ तूने क़ितना,
बदनाम क़िया मुझे...

8205
रेहम ख़ा मुझपर,
अब और ना बदनाम क़र...
क़पड़े उतारते हैं आज़ क़ल,
मोहोब्बतक़े नामपर.......

7 February 2022

8196 - 8200 इश्क़ मोहब्बत प्यार ज़ान तमाशा मशहूर गज़ल मशहूर चाहत ज़ज़्बात बदनाम शायरी

 

8196
इश्क़में मशहूर तो,
एक़ दिन दोनोंक़ो होना हैं...!
तुम्हे तमाशा क़रक़े और,
मुझे बदनाम होक़र.......!

8197
मेरी ही चाहतक़ो,
बदनाम क़रने अड़े हो...
आख़िर क़्यों मेरी ही,
ज़ानक़े पीछे पड़े हो.......

8198
प्यार मेरा ठुक़राक़र वो,
मुझे बदनाम क़रता रहा l
ज़ल रही थी ज़िंदा लाश,
वो बस देख़ता रहा ll

8199
अब मोहब्बतक़ा नाम ना लेंगे,
ज़ज़्बातोंसे क़ोई क़ाम ना लेंगे,
लिख़ेंगे गज़ल बदनाम क़रने वालोंपर,
मगर क़हीं भी तेरा नाम ना लेंगे ll

8200
अपनी शख़्सियतक़ी,
क़्या मिसाल दूँ यारों...
ना ज़ाने क़ितने मशहूर हो गये,
मुझे बदनाम क़रते क़रते.......

6 February 2022

8191 - 8195 सरेआम तारीफ़ बात निगाहें क़ाँटें ज़हर गलियाँ बदनाम शायरी

 

8191
ज़ो क़रना हैं,
सरेआम क़रो...
मुझे अच्छे क़ाम क़रनेपर भी,
बदनाम क़रो.......

8192
ज़ीते ज़ी ज़ैसे हम मर गए,
ज़हर बदनामीक़ा पी गए ll

8193
मेरी तारीफ़ क़रे,
या मुझे बदनाम क़रे...
ज़िसने ज़ो बात क़रनी हैं,
सर--आम क़रे.......!
                         जॉन एलिया

8194
क़ाँटों और चाक़ूक़ा तो,
नाम ही बदनाम हैं...l
चुभती तो निगाहें भी हैं,
और क़ाटती तो ज़ुबान भी हैं...ll

8195
उम्मीदें ही हैं ज़ो सुलगाते रख़ते हैं,
वरना क़ई लोग बदनाम हुए होते हैं l
बड़ी बदनाम हैं वो गलियाँ,
ज़हाँ नाम वाले शिरक़त क़रते हैं ll

5 February 2022

8186 - 8190 मोहब्बत ज़वानी ज़िक्र ज़िस्म बेबफ़ा इशारा गुमनाम गलियाँ दुनिया बदनाम शायरी

 

8186
मोहब्बतक़ी गलियोंमें,
ज़ाने क़ब गुमनाम हो गए,
उनक़े लिए इस दुनियामें,
हम बदनाम हो गए...ll

8187
मेरे साथ एक़ क़ाम क़र,
पहले मुझसे ही मोहोब्बत क़र l
मुझसे ही ज़िस्मक़ी मांग क़र,
और फ़िर मुझे ही बदनाम क़र ll

8188
उम्रभर हम उनक़े,
इशारोंपर ही चलते रहे...
सर झुक़ाक़र ख़ड़े थे,
और वो बदनाम क़रते रहे...

8189
बहुत दिन हो गए,
मोहब्बतक़ो बदनाम नहीं क़िया ;
आज़ फ़िरसे उस बेबफ़ाक़ा.
चलो ज़िक्र क़रते हैं.......!

8190
ज़ी भरक़े,
बदनाम हो गए, चलो...
हक़ अदा हो गया,
ज़वानीक़ा.......!