8 August 2017

1631 - 1635 मोहब्बत दुनियाँ नसीब चाहतें तन्हाई रिश्ते शर्त साजिशें शरारतें बिखर बात खेल


1631
हर किसीके नसीबमें,
कहाँ लिखी होती हैं चाहतें...,
कुछ लोग दुनियाँमें आते है,
सिर्फ तन्हाईयोंके लिए...!

1632
हर रिश्तेमें सिर्फ नूर बरसेगा...
शर्त बस इतनी हैं कि
रिश्तेमें शरारतें करो,
साजिशें नहीं...।

1633
क्यूँ खेलते हैं वो हमसे,
मोहब्बतका खेल,
बात बातमें रूठ वो जाते हैं,
और टूटकर बिखर जाते हैं हम !!!

1634
रखा करो नजदीकियाँ...
ज़िन्दगीका कुछ भरोसा नहीं...
फिर मत कहना चले भी गए,
और बताया भी नहीं...

1635
तन्हाई... सौ गुना बेहतर हैं...
झूठे वादोंसे ...
झूठे लोगोंसे .......

7 August 2017

1626 - 1630 मोहब्बत इश्क़ लब गाल नजर फासले सफर मयखाने दफ़्न वादा किताब याद हिचकियाँ शायरी


1626
लबौसे गाल, फिर तेरी,
नजर तक का सफर, तौबा...!
बहुत कम फासले पर,
इतने मयखाने नहीं होते ।।

1627
किताब ए इश्क़में
क्या कुछ दफ़्न मिला,
मुड़े हुए पन्नोंमें एक...
भूला हुआ वादा मिला !!!

1628
तुम लाख भुलाकर देखो मुझे...
मैं फिर भी याद आऊँगी,
तुम पानी पी पीकर थक जाओगे,
मैं हिचकियाँ बनकर सताउंगी.......

1629
सुकून मिल गया मुझको,
बदनाम होकर...
आपके हर इक इल्ज़ामपें,
यूँ बेजुबां होकर...
लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखोंमें,
मेरी मोहब्बत...
चाहे कर दो इनकार,
अंजान होकर.......

1630
रोज़ रोज़ जलते हैं,
फिरभी खाक़ नहीं हुए;
अजीब हैं कुछ ख़्वाब,
बुझकर भी राख़ न हुए...!

6 August 2017

1621 - 1625 दिल दुनियाँ जिंदगी बात शख्स अफसाने बुरा खुदा रिश्ता तमन्ना आँचल गैर शायरी


1621
क्या बात करे इस दुनियाँकी,
"हर शख्सके अपने अफसाने हैं ;
जो सामने हैं, उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा नहीं उसे सब "खुदा" कहते हैं...

1622
"लोग अपना बनाके छोड़ देते हैं,
अपनोंसे रिश्ता तोड़कर, गैरोंसे जोड़ लेते हैं,
हम तो एक फूल ना तोड़ सके,
ना जाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं......."

1623
तमन्नाने जिंदगीके आँचलमें,
सर रख कर पूछा, "मैं कब पूरी होऊँगी...?"
जिंदगीने हँसकर कहा...
"जो पूरी हो जाये वह तमन्ना ही क्या...?"

1624
शुक्र करो कि
दर्द सहते हैं लिखते नहीं,
वर्ना कागजोंपें
लफ्जोंके जनाजे उठते...

1625
"रुकावटें तो जनाब,
ज़िन्दा इन्सानके हिस्सेमें ही आती हैं,
वर्ना अर्थीके लिए,
रास्ता तो सभी छोड़ देते हैं..."

5 August 2017

1616 - 1620 जिन्दगी खूबसूरत पल याद पलक आँसु रिश्ते शौहरत मौहलत इंसान शुक्रिया दुआ शायरी


1616
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं,
पलकोंपर आँसु छोड जाते हैं,
कल कोई और मिले हमें न भुलना,
क्योंकि कुछ रिश्ते जिन्दगीभर याद आते हैं l

1617
दोस्तीका शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू,
आप भूल भी जाओ तो मैं हर पल याद करू,
खुदाने बस इतना सिखाया हैं मुझे,
कि खुदसे पहले आपके लिए दुआ करू !

1618
"रब" ने नवाजा हमें जिंदगी देकर,
और हम "शौहरत" मांगते रह गये;
जिंदगी गुजार दी शौहरतके पीछे,
फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये...।

1619
ये 'कफन', ये 'जनाज़े', ये 'कब्र',
सिर्फ बातें हैं मेरे दोस्त...
वरना मर तो इंसान तभी जाता हैं ,
ब याद करनेवाला कोई ना हो...!

1620
ये समंदर भी, तेरी तरह,
खुदगर्ज़ निकला,
ज़िंदा थे तो तैरने न दिया
और मर गए तो डूबने न दिया . . .

1611 - 1615 दिल प्यार जिन्दगी भूल माफ़ खता गम बेवफा दरार बेवफा अफ़सोस नाम शायरी


1611
हर भूल तेरी माफ़ की...
हर खताको तेरी भुला दिया...
गम हैं कि, मेरे प्यारका,
तूने बेवफा बनके सिला दिया...l

1612
यहाँ हर किसीको,
दरारोंमें झांकनेकी आदत हैं...
दरवाजा खोल दो तो,
कोई पूछने तक नहीं आता.......

1613
गम इस बातका नहीं कि तुम बेवफा निकली,
मगर अफ़सोस ये हैं कि,
वो सब लोग सच निकले ,
जिनसे मैं तेरे लिए लड़ा करता था...

1614
चलो ये जिन्दगी,
अब तुम्हारे नाम करते हैं,
सूना हैं कि बेवफा की,
बेवफासे खूब बनती हैं.......

1615
क़भी चुपकेसे,
मुस्कुराकर देखना l
दिलपर लगे पहरे,
हटाकर देख़ना, l
ये ज़िन्दग़ी तेरी,
खिलखिला उठेगी l
ख़ुदपर कुछ लम्हें,
लुटाकर देखना...l

3 August 2017

1606 - 1610 दिल दुनियाँ ज़िन्दगी कम्बखत मुलाकात लम्हे पंख गम जख्म दुआ शायरी


1606
माना की चन्द लम्होंकी,
मुलाकात थी ।
मगर सच ये भी हैं,
वो लम्हे ज़िन्दगी बन गए !!!

1607
इस बार तुम जाओ,
तो उनके पंख मत कतरना;
तुम्हारे बाद ये लम्हे,
बस रेंगते रहते हैं.......

1608
छोटेसे दिलमें गम बहुत हैं ,
जिन्दगीमें मिले जख्म बहुत हैं ,
मार ही डालती कबकी ये दुनियाँ हमें ,
कम्बखत दोस्तोंकी दुआओंमें दम बहुत हैं l

1609
जहां हो, जैसे हो, वहीं...
वैसे ही रहना तुम l
तुम्हें पाना जरुरी नहीं,
तुम्हारा होना ही काफी हैं l.......

1610
तेरे जानेके बाद,
कौन रोकता मुझे;
जी भरके खुदको,
बरबाद किया.......

2 August 2017

1601 - 1605 दिल काबिल अफसोस यकीन हुस्न यार आँख कुसूर शिकायत इल्तिजा हाल शायरी


1601
मैं इस काबिल तो नहीं...
कि कोई अपना समझे,
पर इतना यकीन हैं,
कोई अफसोस जरूर करेगा...
मुझे खो देनेके बाद.......l

1602
देखा जो हुस्न-ए-यार,
तबीअत मचल गई...
आँखोंका था कुसूर,
छुरी दिलपें चल गई.......

1603
न तुमसे कोई शिकायत हैं,
बस इतनीसी इल्तिजा हैं...
जो हाल कर गये हो,
कभी आके देख जाना.......

1604
मुँह कि बातें सुने हर कोई,
दिलका दर्द जाने कौन...
आवाजोंके बाज़ारोंमें,
खामोशी पहचाने कौन.......

1605
इस तरह मिली वो मुझे,
सालोंके बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो,
ख़यालोंके बाद,
मैं पूछता रहा उससे,
ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई,
मेरे सवालोंके बाद...l

1596 - 1600 दिल जख़्म मरहम ग़म इलाज़ दवा इश्क मुहब्बत बात याद आँख ख्वाब उम्र शायरी


1596
किसीके जख़्मका मरहम,
किसीके ग़मका इलाज़...
लोगोंने बाँट रखा हैं मुझे,
दवाकी तरह.......

1597
इश्क, मुहब्बत क्या हैं...?
मुझे नहीं मालूम... बस .....
तुम्हारी याद आती हैं...
सीधीसी बात हैं.......

1598
आये हो आँखोंमें तो,
कुछ देर तो ठहर जाओ;
एक उम्र लग जाती हैं,
एक ख्वाब सजानेमें...!

1599
हर एक बातपें कहते हो तुम,
की तुम क्या हो...
तुम्ही कहो कि यॆ,
अंदाज-ए-गुफ्तगु क्या हैं...?

1600
कब उनकी आँखोंसे,
इज़हार होगा...,
दिलके किसी कोनेमें,
हमारे लिए प्यार होगा...,
गुज़र रही हैं रात,
उनकी यादमें...,
कभी तो उनको भी,
हमारा इंतज़ार होगा...!

31 July 2017

1591 - 1595 दिल इश्क हार जीत मुसीबत वादा वक़्त सलाम नाम जाम खामोशी बेसबब दर्द आवाज शायरी


1591
मुझे आता ही कहाँ हैं ?
किसीका दिल जीतना,
मैं तो खुद......
अपना भी हार बैठा हूँ.......

1592
इश्कका तो पता नहीं...
पर जो तुमसे हैं,
वो किसी औरसे नहीं...!

1593
ऐ खुदा,
मुसीबतमें डाल दे मुझे...
किसीने बुरे वक़्तमें आनेका,
वादा किया हैं.......

1594
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गये भुला दो हुमको,
हमने पुछा कैसे......
वो चले गये हाथो मे जाम देकर......

1595
खामोशी बेसबब नहीं होती. . .
दर्द आवाज छीन लेता हैं . . . !!!

30 July 2017

1586 - 1590 इश्क़ प्यार मोहब्बत ज़िंदगी चेहरे हंसी ग़म काश राज इंतज़ार सुबह हसीन वक़्त ऐतबार शायरी


1586
चेहरेकी हंसीसे ग़मको भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो,
खुद ना रुठोंपर सबको हँसा दो,
यहीं राज हैं ज़िंदगीका,
कि जियो और जीना सिखा दो…..

1587
तुम क्या हो, मेरे कुछ हो,
या कुछ भी नहीं, मगर..
मेरी ज़िन्दगीकी 'काश' में,
एक 'काश' तुम भी हो…

1588
अगर उनसे ना मिलते
तो शायद...!
ये राज़ ही रह जाता,
कि मोहब्बत कैसी होती हैं...!

1589
हमने भी जी हैं
ज़िन्दगी यारों !
इश्क़ होनेसे
इश्क़ खोने तक.......

1590
ज़िन्दगी हसीन हैं ज़िन्दगीसे प्यार करो,
हैं रात तो सुबहका इंतज़ार करो l
वोह पल भी आयेगा जिसका इंतज़ार हैं आपको,
बस रबपर भरोसा और वक़्तपर ऐतबार करो ll

29 July 2017

1581 - 1585 दिल धड़कन मोहब्बतें पल अधूरी उम्र असर मौत दुआ खबर बात पसंद अजीब शायरी


1581
मोहब्बतें अधूरी रह जाती हैं...!
तभी तो शायरीयाँ पूरी होती हैं...!

1582
वो बात क्या करूँ जिसकी खबर ही न हो;
वो दुआ क्या करूँ जिसमे असर ही न हो;
कैसे कह दूँ आपको लग जाये मेरी भी उम्र;
क्या पता अगले पल मेरी उम्र ही न हो !!!

1583
मोहब्बत और मौत दोनोंकी पसंद... अजीब हैं...!
एकको दिल चाहिए और दूसरेको धड़कन...!

1584
"मैं तो रंग हुँ तेरे चेहरेका...
जितना तू खुश रहेगी,
उतनाही मैं निखरता जाऊँगा...!

1585
ज़िंदगीमें हमने कभी कुछ चाहा ही नहीं;
जिसे चाहा उसे कभी पाया ही नहीं;
जिसे पाया उसे यूँ खो दिया;
जैसे ज़िंदगीमें कभी कोई आया ही नहीं।

28 July 2017

1576 - 1580 दिल मोहब्बत जिन्दगी आँखे नशा शराब गुरूर सम्भल नींद खातिर शायरी


1576
न रख इतना गुरूर,
अपने नशेमें ए शराब !
तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं,
आँखे किसीकी !

1577
रात तो क्या,
पूरी जिन्दगी भी जागकर,
गुजार दूँ तेरी खातिर,
एक बार तू कहकर तो देख,
कि," मुझे तेरे बिना नींद नहीं आती..."

1578
मेरे दिलसे खेल तो रहे हो तुम...
पर जरा सम्भल के;
ये थोडा टूटा हुआ हैं;
कहीं तुम्हे ही लग ना जाए..!

1579
हर चीज़में खुशबु हैं
तेरे होनेकी...!
गजब निशानियाँ दी हैं
तूने चाहतकी.....!!!

1580
क्यूँ हर बातमें कोसते हो
तुम लोग नसीबको,
क्या नसीबने कहा था...
की मोहब्बत कर लो !

27 July 2017

1571 - 1575 दिल मोहब्बत आरजू गुनाह सजा ज़हर दुश्मन खफा सितम खौफ खामोशि लफ्ज सब्र आँख बेखबर शायरी


1571
"गुनाह करके सजासे डरते हैं,
ज़हर पीके दवासे डरते हैं . . .
दुश्मनोंके सितमका खौफ नहीं हमे,
हम तो दोस्तोंके खफा होनेसे डरते हैं !!!"

1572
तुम मुझमे पहले भी थे,
तुम मुझमे आज भी हो।
पहले मेरे लफ्जोमें थे,
अब मेरी खामोशियोंमें हो।

1573
रात तकती रही आँखोमें,
दिल आरजू करता रहा...,
कोई बेसब्र रोता रहा,
कोई बेखबर सोता रहा...

1574
आज मिलते ही उसने...
मेरा नाम पूछ लिया...
बिछड़ते वक्त जिसने कहा था,
तुम बहुत याद आओगे।

1575
क्यूँ कर रहे हो भला,
तुम बगावत खुदसे...
मान क्यों नहीं लेते की;
तुम्हे भी हैं मोहब्बत मुझसे !!!