12 May 2018

2726 - 2730 मोहब्बत सिफारिश मौत डर ताकत फूल होंठ खामोश शोर याद बेहिसाब बरबाद शायरी


2726
मौत सिफारिश कर रही हैं,
अपना बनानेकी...
पर तेरे सिवा किसी औरका,
होनेसे डर लगता हैं.......

2727
जिसे हम सबसे ज्यादा चाहते हैं,
उसीमें सबसे ज्यादा ताकत होती हैं...
हमें रुलानेकी.......!

2728
लगाकर फूल होंठोसे,
कहा उसने चुपकेसे...
अगर कोई पास होता,
तो इसकी जगह तुम होती...!

2729
रात खामोशसी, चुपचाप हैं...!
शोर तेरी यादोंका,
बेहिसाब हैं....... 

2730
मांगनेसे मिल जाय़े,
तो मौत कैसी...
बिना बरबाद हुए मिले,
वो मोहब्बत कैसी.......!

2721 - 2725 दिल इश्क़ महबूब रूहानी सौग़ात सुराख रिश्ते मुहब्बत चाह फितरत वजह दुश्मन अजीब मंज़र शायरी



2721
रूहानी इश्क़की,
ये सौग़ात कैसी...
वो कुछ कहते भी नहीं और,
दिल सुन लेता हैं.......!

2722
सुराख क्या हुआ,
जेबमें मेरी...
कमबख्त पैसोंके साथ,
रिश्ते भी गिर गए.......

2723
चाँद तेरी मुहब्बततो,
मुझसे भी बडी हैं ;
वो कौन हैं जिसके लिए,
तू जागता हैं रातभर...

2724
तुमको चाहने कि वझह...
कुछ भी नहीं ;
श्क़की फितरत हैं,
बेवजह होना.......!

2725
आज अजीबसा मंज़र देखा,
दुश्मन मेरे पास आके बोला,
तेरे महबूबसे तो मैं ही अच्छा था...
देख तो सही तेरा महबूब,
तेरा क्या हाल कर गया...।।

10 May 2018

2716 - 2720 दिल नज़र पलकें चराग वजूद इत्तिफ़ाक़ शमां महक बेइँतहा ख्वाहिश कोशिश नजाकत भरोसा शायरी


2716
नज़र--बदसे बचना हैं,
तो कहीं और चले जाओ;
में तुझे देखता हूँ...
तो पलकें झपकती ही नहीं !

2717
हवाओंसे भी लड़ती हैं,
एक चरागके वजूदकी खातिर...
शमां' में मां सुनाई देना,
महज एक इत्तिफ़ाक़ नहीं.......

2718
मिट्टीका बना हूँ,
महक उठूंगा.......
बस तू एक बार बेइँतहा,
'बरस' के तो देख.......!

2719
वक्तको कैद करनेकी ख्वाहिश,
दिल ही दिलमें रह गयी;
कोशिश जीनेकी बहुत की, मगर...
जिंदगी पेट भरनेमें ही ढह गयी !

2720
नजाकत तो देखिये...
सूखे पत्तेने डालीसे कहा,
चुपकेसे अलग करना...
वरना लोगोंका रिश्तोंसे,
भरोसा उठ जायेगा... !

9 May 2018

2711 - 2715 प्यार दिल बेकरार ज़िन्दगी आँख जज़्बात ख्वाब कमज़ोरकी जुदाई धड़कन प्यास होंठ सुकून दीवाने शायरी


2711
कमी तो होनी ही हैं,
पानीकी शहरमें.......
किसीकी आँखमें बचा हैं,
किसीके जज़्बातमें...!

2712
रोज जले फिर भी
ख़ाक हुए...
अजीब हैं कुछ ख्वाब,
जो जलके भी राख हुए...

2713
कुछ चीज़ें
कमज़ोरकी हिफाज़तमें भी महफूज़ हैं,
जैसे मिट्टीकी गुल्लकमें,
लोहेके सिक्के.......!

2714
काश यह जालिम जुदाई होती !
खुदा तूने यह चीज़ बनायीं होती !
हम उनसे मिलते प्यार होता !
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी होती !!!

2715
बेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं,
तेरे पास आनेको;
ये दिल बेकरार हैं,
तुझे धड़कनमें बसानेको;
बुझी नहीं प्यास,
इन होंठोंकी अभी;
जाने कब मिलेगा सुकून,
तेरे इस दीवानेको।

8 May 2018

2706 - 2710 दिल ज़िंदगी इश्क बात सुकून बेशक़ शतरंज़ माहिर फ़िदा चाल महबूब वादा दम शायरी


2706
सालोसाल बातचीतसे
उतना सुकून नहीं मिलता,
जितना एक बार महबूबके
गले लगकर मिलता हैं...!

2707
बेशक़ हीं वो 
शतरंज़में माहिर रहें होंग़े..
उनक़ी हर चालपर 
हज़ारो फ़िदा हैं..!
2708
इश्क वो हैं.......
जब मैं शाम होनेपर,
मिलनेका वादा करूं;
और...
वो दिनभर सूरजके होनेका,
अफसोस करे.......

2709
हम वो नहीं जो दिल तोड़ देंगे,
थाम कर हाथ साथ छोड़ देंगे,
हम दोस्ती करते हैं;
पानी और मछलीकी तरह,
जुदा करना चाहे कोई तो,
हम दम तोड़ देंगे.......

2710
लोगों ने ' मुझमे ' इतनी,
''कमियाँ'' निकाल दी........
कि अब;
''खूबियों'' के सिवाय मेरे पास,
कुछ बचा ही नहीं.......!

6 May 2018

2701 - 2705 प्यार चाह बेखबर वक़्त उम्मीद इंतज़ार मोहब्बत एहसास अहसान सितम खामोश शायरी


2701
एक उमर बीत चली हैं,
तुझे चाहते हुए.......!
और तू आज भी बेखबर हैं,
कलकी तरह..............!

2702
बदला वफ़ाओंक़ा देंग़े,
बहुत सादग़ीसे हम,
तुम हमसे रूठ ज़ाओ और,
ज़िंदग़ीसे हम।

2703
वक़्त कह रहा हैं,
कि अब वो आएगी वापस...
उम्मीद कह रही हैं,
ज़रा और इंतज़ार कर.......!
मोहब्बत कभी कम हीं होती...!

2704
प्यार आज भी तुझसे
उतना ही हैं...
बस तुझे एहसास नहीं और,
हमने भी जताना छोड़ दिया.......

2705
अहसान तो उनका,
हम अब भी मानते हैं सितमगर;
आखिर उनका खामोश हो जाना ही,
तो हमें शायर बना गया...!

5 May 2018

2696 - 2700 इश्क़ दर्द दीदार मुमकिन इजहार उम्र खबर याद साँस हुस्न अदा शोखियाँ शायरी


2696
दर्द ऐसी चीज हैं...
जिसका दीदार भी नामुमकिन;
और
इजहार भी...

2697
इतनी लम्बी उम्रकी दुआ,
मत मांग मेरे लिये...
ऐसा ना हो कि तू भी छोड दे,
और मौत भी ना आये.......!

2698
एक मैं हूँ कि
समझा नहीं खुदको अब तक
एक दुनियाँ हैं कि
जाने मुझे क्या-क्या समझ लेती हैं !

2699
अगर वो मेरे मरनेकी खबर पुछे,
तो कह देना कि.......
किसीकी यादोंमें था...
इतना खोया कि,
साँस लेना ही भुल गया...!

2700
हुस्न भी तेरा,
अदाएं भी तेरी,
नखरे भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी,
कमसे कम इश्क़ तो...
मेरा रहने दे.......!

2691 - 2695 ज़िन्दग़ी प्यार मुहब्बतें सुकुन खामोश चोट शोर हिसाब-क़िताब सितम जख्म शायरी


2691
चोट लगी तो,
खून लाल ही निकला,
सोचा था सबकी तरह,
ये भी बदल गया होगा...!

2692
मुहब्बतें खामोश ही ठीक होती हैं,
शोर तो सिर्फ दिखावे मचाते हैं...

2693
हिसाब-क़िताब हमसे न पूछ
अब ऐ-ज़िन्दग़ी...
तूने सितम नहीं ग़िने,
.......तो
हमने भी ज़ख्म नहीं ग़िने......

2694
रुठना तो हर कोई
जानता हैं...
पर सबके पास कोई
प्यारसे मनानेवाला नहीं होता !

2695
एक वो सुकुन और
एक तुम.......
कहाँ रहते हो आजकल;
मिलते ही नहीं.......

3 May 2018

2686 - 2690 चाहत नसीब याद महसूस रूह वजह मौक़ा लहजे अजनबी तलाश खतरा सितम आँख शायरी


2686
हमारे बाद नहीं आयेगा,
तुम्हें चाहतका मज़ा,
तुम लोगोंसे कहते फिरोगे,
मुझे चाहो उसकी तरह...!

2687
नसीबके आगे किसकी चलती हैं,
पर इतना याद रखना,
बाहोमें चाहे कोई भी आए,
महसूस वो ही होगा...
जो रूहमें समाया होगा ?

2688
वजह पूछनेका मौक़ा ही,
हाँ मिला दोस्त,
वो लहजे बदलते गये,
हम अजनबी होते गए.......

2689
"कहाँ तलाश करोगे,
तुम मुझ जैसा कोई...
जो तुम्हारे सितम भी सहे,
और तुमपर ही मरे...।"

2690
इनमें खतरा हैं,
डूब जानेका,
झाँकिये मत जनाब,
इन आँखोंमें.......

2 May 2018

2681 - 2685 दिल याद वफ़ा वादा जिंदगी इजाज़त सुकून आहट वहम मज़ाक रिश्ते कसूर आँख आँसु शायरी


2681
गरमी बढ़ती ही जा रही हैं,
तेरे शहरमें.......
पर दिल हैं तेरा की,
पिंघलता ही नहीं . . . !

2682
बस जाते हैं दिलमें,
इजाज़त लिए बग़ैर...वो लोग,
जिन्हे जिंदगीभर हम,
पा नहीं सकते.......

2683
वो आए उनकी याद वफ़ा कर गई;
उनसे मिलनेकी चाह सुकून तबाह कर गई;
आहट दरवाज़ेकी हुई तो उठकर देखा;
मज़ाक हमसे हवा कर गई ....... !

2684
वहमसे भी अक्सर,
खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते,
कसूर हर बार,
गल्तियोंका हीं होता।

2685
आज शामको उसका ,
झूठा वादा याद रहा हैं मुझे ;
उसने कहा था की मर जाएंगे, पर...
तुम्हारी आँखोंमें आँसु नहीं आने देंगे !

1 May 2018

2676 - 2680 दिल महबूब क़हानि नींद रात दर्द ग़ुज़र इंतजार खुश फिक्र इत्तेफाक गम महफ़िल कमाल शायरी


2676
क़हानियोंक़ी ग़ुज़रग़ाहपरभी,
नींद नहीं ;
ये रात क़ैसी हैं
ये दर्द ज़ाग़ता क्यूँ हैं ll

2677
इंतजारकी घड़ियाँ,
ख़त्म कर खुदा...
जिसके लिये बनाया हैं,
उससे मिलवा भी दे अब ज़रा...!!!

2678
वो लाख तुझे पूजती होगी ,
मगर तू खुश हो खुदा ,
वो मंदिर भी जाती हैं तो...
मेरी गलीसे गुजरनेके लिये...!

2679
ना हैं जिसे मेरी फिक्र,
इत्तेफाकसे उसीको चाह रहे हैं हम;
उसी दियेने जलाया हाथोंको,
जिसे हवासे बचा रहे थे हम...

2680
शायरोंकी बस्तीमें कदम रखा
तो जाना.......
गमोंकी महफ़िल भी
कमालकी जमती हैं.......!