16 September 2019

4731 - 4735 ज़िंदगी काजल तबाह कत्ल अश्क लब लहज़ा मासूम अल्फाज़ याद मुस्कान शायरी


4731
थोड़ा काजल लगा लिया,
थोड़ी मुस्कान बिखरा दी...
खुद तो सज गए हुज़ूर,
और हमें तबाह कर दिया...!

4732
चेहरेपे मुस्कान लिए,
फिरने वाले...
रखते हैं ज़िंदगीको,
हैरांन करके.......!

4733
क्या खाक कत्लखाने बन्द हो रहें हैं...?
तेरी मुस्कान तो जस की तस हैं.......!!!

4734
वही शख्स मुझे,
अश्कोकी आहें दे गया...
जिसके लबोपे मैने,
हमेशा मुस्कान चाही.......

4735
तेरी मुस्कान, तेरा लहज़ा और...
तेरे मासूमसे अल्फाज़...!
और क्या कहुँ...
बस बहुत याद आते हो तुम...!!!

15 September 2019

4726 - 4730 तावीज दौलत मुकाम काफिला ज़िंदगी जमाना नींद कब्र अजीब बात होठ सुकून शायरी


4726
सारे तावीज पहनकर देख लिए,
सुकून तो बस,
तुझे देखनेसे ही मिलता हैं...!

4727
कही बिक रहा हो सुकून,
तो बताओ.......
हम दौलत बेशुमार,
लेकर बैठे हैं.......

4728
"अजब मुकामपे,
ठहरा हुआ हैं काफिला जिंदगीका;
सुकून ढूढनें चले थे,
नींद ही गवा बैठे......."

4729
कहते हैं कब्रमें,
सुकूनकी नींद होती हैं;
अजीब बात हैं की यह बात भी,
जिन्दा लोगोने कही हैं...!

4730
होठोंपे मुस्कान थी,
कंधोपे बस्ता था;
सुकूनके मामलेमें,
वो जमाना सस्ता था...

12 September 2019

4721 - 4725 दिल सपना शौक जिन्दगी हासिल ग़ज़ल आवाज़ सुकून शायरी


4721
सबने खरीदा सोना, मैने एक सुई खरीद ली...
सपनोंको बुनने जितनी डोरी खरीद ली।
शौक--जिन्दगी कुछ कम किये,
फिर सस्तेमें ही सुकून--जिन्दगी खरीद ली।।

4722
बहुत सुकून हैं,
सुन रात तेरी बाँहोंमें...
सारा दिन चलता हूँ,
तुझ तक आनेके लिए...!

4723
जरूरी नही कि सबके दिलोंमें,
धड़का ही जाऐ...
कुछ लोगोंके दिलोंमें खटकना भी,
एक सुकून देता हैं.......!

4724
इन "शायरियों" में खो गया हैं,
कहीं "सुकून" मेरा...!
जो तुम "पढ़कर" मुस्कुरा दो,
तो "हासिल" हो जाए.......!

4725
कैसे सुकून पाऊँ तुझे देखनेके बाद,
अब क्या ग़ज़ल सुनाऊँ तुझे देखनेके बाद;
आवाज़ दे रही हैं मेरी ज़िन्दगी मुझे,
जाऊँ के या जाऊँ तुझे देखनेके बाद...!

11 September 2019

4716 - 4720 जिंदगी जमाने लफ्ज़ दीवार बेचैनियाँ जहन चेहरे सुकून शायरी


4716
ये जिंदगी हैं जनाब...
जीना सिखाये बगैर,
मरने हीं देती...!

4717
लफ्ज़ोंके दाँत नहीं होते,
पर ये काट लेते हैं;
दीवारें खड़ी किये बगैर,
हमको बाँट देते हैं ll

4718
रोये बगैर तो प्याज भी,
नही कटता जनाब...
फिर ये तो जिदंगी हैं,
ऐसे कैसे कट जायेगी...!

4719
कितनी बेचैनियाँ हैं,
जहनमें तुझे लेकर...
पर तुझसा सुकून भी,
और कहीं नहीं.......!

4720
चेहरेपर सुकून तो बस,
दिखाने भरका हैं 
वरना बेचैन तो हर शख्स,
जमाने भरका हैं ।।

4711 - 4715 दिल इश्क़ बेचैनियाँ यार याद आँखें साँसे ज़िन्दगी कारवाँ वक़्त बेचैन शायरी


4711
बेचैनियाँ बाजारमें,
नहीं मिला करती यारों...
बाँटने वाला कोई,
बहुत नजदीकी होता हैं...!

4712
बेताब आँखें... बेचैन दिल...
बेपरवाह साँसे... बेबस ज़िन्दगी...
बेहाल हम... बेख़बर तुम.......

4713
थकान, टूटन, उदासी,
ऊब, बेचैनी, अकेलापन...
तुम्हारी यादके संग,
इतना लम्बा कारवाँ क्यूँ हैं...?

4714
चैनकी ज़िंदगी थी मेरी,
उनके बगैर भी...
बस उन्होंने अपना कहके,
मुझे बेचैन कर दिया.......!

4715
वक़्तको भी हुआ हैं,
ज़रूर किसीसे इश्क़...
जो वो बेचैन हैं इतना कि,
ठहरता ही नहीं.......!

9 September 2019

4706 - 4710 ज़िन्दगी मोहब्बत हसीन बेवजह इल्जाम शायरी


4706
हर बार हमपर इल्जाम,
लगा देते हो मोहब्बतका...
कभी खुदसे भी पुछा हैं की,
तुम इतने हसीन क्यों हो...!

4707
कोई इल्जाम रह गया हो,
तो वो भी दे दो...
पहले भी हम बुरे थे,
अब थोड़े और सही.......

4708
छोड दो खुदको,
सही साबित करनेको, जनाब...
ज़िन्दगी हैं,
कोई इल्जाम नही...!

4709
इल्जाम लगाने वाले लोग,
मुझे बहुत पसंद आते हैं l
क्योंकि यही तो वह लोग हैं,
जो मेरे अंदरकी कमी बताते हैं ll

4710
बेवजह सरहदोंपर,
इल्जाम है बंटवारेका...
लोग मुद्दतोंसे एक घरमें भी,
अलग अलग रहते हैं.......

8 September 2019

4701 - 4705 जिंदगी प्यार मुसीबत यार ज़माने आईना लफ्ज खुशियाँ अरमान परेशान पहचान शायरी


4701
भूलकर भी, मुसीबतमें,
पड़ना कभी...
खामखां अपने और परायोंकी
पहचान हो जाएगी...!

4702
यार तू साथ था तो,
ज़मानेमें चर्चे थे मेरे...!
तेरे जानेके बाद ना भी,
मुझसे मेरी पहचान पूछता हैं...!

4703
पहचानकी नुमाईश,
ज़रा कम करो...
जहाँ "मैं" लिखा हैं,
उसे "हम" करो...!

4704
खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं
जिसे भी देखो परेशान बहुत हैं ।।
करीबसे देखा तो निकला रेतका घर
मगर दूरसे इसकी शान बहुत हैं ।।
कहते हैं सचका कोई मुकाबला नहीं
मगर आज झूठकी पहचान बहुत हैं ।।
मुश्किलसे मिलता है शहरमें आदमी
यूँ तो कहनेको इन्सान बहुत हैं ।।

4705
कभी संभले तो कभी बिखरते नजर आये हम,
जिंदगीके हर मोड़पर खुदमें सिमटते आये हम !
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सकता हमें,
मगर प्यारके दो लफ्जोमें सदा बिकते आये हम !
हम खुद रुठ जाते हैं, और खुदको मनानेके साथ आपको भी मनाते हैं,
खुदा करे हम जैसी महबूबा किसीको ना मिले,
जो प्यारकी नोकझोकका मजा ही ले पाये...!
                                                                   भाग्यश्री

7 September 2019

4696 - 4700 उम्र वाक़िफ़ तकलीफ़ वक्त राय फ़िक्र बेशक पहचान शायरी


4696
ग़ुज़री तमाम उम्र,
उसी शहरमें जहाँ
वाक़िफ़ सभी थे,
कोई पहचानता था...!

4697
हमें कोई ना पहचान पाया...
कुछ अंधे थे,
कुछ अंधेरोंमें थे...!

4698
चेहरा देखकर इंसान,
पहचाननेकी कला थी मुझमें,
तकलीफ़ तो तब हुई,
जब इन्सानोंके पास चेहरे बहुत थे...।

4699
तू छोड़ दे कोशिशें इन्सानोंको पहचाननेकी,
यहाँ जरुरतोंके हिसाबसे सब नकाब बदलते हैं;
मेरे बारेमें कोई राय मत बनाना गालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा, और तेरी राय भी...

4700
तारीफ़ करनेवाले बेशक
आपको पहचानते होंगे,
मगर फ़िक्र करने वालोको
आपको ही पहचानना होगा!

4691 - 4695 लफ्ज़ बन्दगी ज़िन्दगी दुनिया बेशक इंतजार यार तमन्ना जन्नत बेपनाह नादान प्यार शायरी


4691
प्यार कहो तो दो ढाई फ्ज़,
मानो तो बन्दगी;
सोचो तो गहरा सागर,
डूबो तो ज़िन्दगी;
करो तो आसान,
निभाओ तो मुश्किल;
बिखरे तो सारा जहाँ,
और सिमटे तो "तुम"...
"सिर्फ तुम".......!

4692
बेशक थोड़ा इंतजार मिला हमको,
पर दुनियाका सबसे हसीं यार मिला हमको,
रही तमन्ना अब किसी जन्नतकी...
आपकी पनाहमें वो प्यार मिला हमको...।

4693
सादगी अगर हो लफ्जोमेंमे,
यकीन मानो, प्यार बेपनाह और...
यार बेमिसाल मिल ही जाता हैं...!

4694
धोखा मिला जब प्यारमें,
ज़िंदगीमें उदासी छा गयी,
सोचा था छोड़ दें इस राहको,
कम्बख़त मोहल्लेमें दूसरी गयी...

4695
ये सांपोकी बस्ती हैं,
ज़रा देखके चल नादान...
यहाँका हर शख्स,
बड़े प्यारसे डसता हैं...

5 September 2019

4686 - 4690 मोहब्बत ज़िन्दगी ऐतबार कसम सब्र रिश्ता ग़म प्यार शायरी


4686
इंसान अगर प्यारमें पड़े,
तो ग़ममें पड़ ही जाता हैं...
क्योंकि प्यार किसीको चाहे जितना भी करो,
थोड़ासा तो कम पड़ ही जाता हैं...

4687
मैने दरवाजे पर लिखा,
"अन्दर आना सख्त मना हैं l"
मोहब्बत हंसती हुई आयी,
और बडे प्यारसे बोली,
माफ करना, मैं तो अंधी हूँ...!

4688
अब तो खुदापर भी ऐतबार नहीं,
अपनी ज़िन्दगीसे भी प्यार नहीं;
तू कभी भूलसे भी हमें प्यार करे,
तेरी कसम हमें इसका ऐतबार नहीं...!

4689
प्यारमें हमारे सब्रका,
इम्तेहा तो देखो...
वो मेरी बाहोंमें सो गई रोते-रोते,
किसी औरके लिए.......

4690
भूख रिश्तोंको भी लगती हैं,
प्यार परोसकर तो देखिये...!