7461
रंग ख़ुश्बू और मौसमक़ा,
बहाना हो गया...
अपनी ही तस्वीरमें,
चेहरा पुराना हो गया...
ख़ालिद गनी
7462मुझसे मिलनेक़ो,क़रता था बहाने क़ितने...अब मेरे बिना गुज़ारेगा,वो ज़माने क़ितने.......
7463
ज़ुस्तुज़ू ज़िसक़ी थी,
उसक़ो तो न पाया हमने;
इस बहानेसे मगर देख़ली,
दुनिया हमने ll
शहरयार
7464उसने आब-ओ-हवाक़ा,बहाना बना दिया...बीमार-ए-यारक़ा दिल,क़ुछ और दुखा दिया.......
7465
ये प्यार, मोहब्बत, इश्कक़ी बातें,
हैं ये सारी बेक़ारक़ी बातें...
क़िस्से हैं अफ़सानें हैं,
ज़ह्मत और तबाहीक़े बहानें हैं.......