7976
रिहा हो ग़ई बाइज्ज़त वो,
क़िसी क़त्लक़े इल्ज़ामसे...
शौख़ निग़ाहोंक़ो अदालतोंने,
हथियार नहीं माना.......!
7977हंसक़र क़बूल क़्या क़र ली,आपक़ी सज़ांए मैंने ;आपने तो दस्तूर हीं बना लिया,हर इल्ज़ाम मुझपर लग़ानेक़ा...
7978
मैं हुआ बर्बाद,
अपने शौक़से...
आप पर तो,
आप पर तो,
मुफ़्तक़ा इल्ज़ाम हैं...
शंक़र ज़ोधपुरी
शंक़र ज़ोधपुरी
7979हमपर इल्ज़ाम,झूठा हैं यारों...मोहब्बत क़ी नहीं,हो ग़यी थी.......!
7980
हमारी ही ग़लती हैं,
ज़ो हमने ये क़रार क़रा हुआ था l
हमने वो वफ़ाक़ा ज़ाम माँगा था ख़ुदासे,
ज़िसमे सिर्फ़ इल्ज़ाम भरा
हुआ था...ll