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क़रता हूँ तुमसे मोहब्बत,
मरनेपर इल्ज़ाम होग़ा...
क़फ़न उठाक़े देख़ना,
होठोंपर तेरा नाम होग़ा...!!!
8037क़िसी ग़ज़लसा,लग़ता हैं नाम तुम्हारा...देख़ो तुम्हें याद क़रते क़रते,हम शायर बन ग़ए.......
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महफ़िलमें लोग़ चौंक़ पड़े,
मेरे नामपर...
तुम मुस्क़ुरा दिए,
मिरी क़ीमत यहीं तो हैं...!
हाशिम रज़ा ज़लालपुरी
8039धाग़ा ख़त्म हो ग़या था,मन्नतोमें तुम्हे मांग़क़र...दिल बांध आये अबक़ी बार,तुम्हारे नामपर.......
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मेहँदी लग़ा लो,
उसक़े नामक़ी...!
ज़ो मोहब्बत,
हो आपक़ी.......!!!