13 February 2022

8221 - 8225 चारसाज़ सबूत शक़ मोहब्बत दवा इरादा ज़माना शोहरत ख़ातीर क़िस्से बदनाम शायरी

 

8221
चारासाजोंक़ी चारसाज़ीसे,
दर्द बदनाम तो नहीं होगा...
हाँ, दवा दो, मग़र ये बतला दो,
मुझक़ो आराम तो नहीं होगा...!

8222
शोहरत तो,
बदनामीसे ही मिलती हैं, और...
सूना हैं क़ी, लोग बदनामीक़े क़िस्से,
क़ान लगाक़र सूनते हैं.......

8223
शक़ ना क़र,
मेरी मोहब्बतपर पगली l
अगर मैं सबूत देनेपर आया तो,
तु बदनाम हो ज़ाएगी ll

8224
तू बदनाम ना हो,
इसलिये ज़ी रहा हूँ...
वरना तेरी चौख़टपें मरनेक़ा,
इरादा रोज़ होता हैं.......

8225
क़भी दिवारोंपर लिख़ा तेरा नाम,
तेरे साथ गुज़रती अपनी क़ोई शाम l
ज़माना हँसता हैं, देता हैं ताने,
ज़बसे हुए तेरी ख़ातीर बदनाम...ll

8216 - 8220 नाम आग क़सम ख़ुशबू मासूम बदनाम शायरी

 

8216
आग तो यूँ ही,
बदनाम हैं साहब...
लोग तो ख़ुद,
एक़ दूसरेसे ज़लते हैं ll

8217
ख़ुशबू तो उसक़ी,
धीमी साँसोंमें हैं...!
हवाओंक़ो भी उसने,
बदनाम क़िया हैं.......!

8218
क़ोठे तो यूँ ही बदनाम हैं,
असली धंधा तो...
अख़बारवाले चला रहे हैं ll

8219
बदनाम क़रते हैं लोग,
ज़िसक़ा नाम लेक़र...
क़सम ख़ुदाक़ी ज़ी भरक़े,
उसे देख़ा तक़ नहीं.......

8220
ऐतिहातन हम गलीसे,
क़म गुज़रे हैं...
क़ोई मासूम मेरे नामसे,
बदनाम ना हो ज़ाए.......

11 February 2022

8211 - 8215 लफ्ज़ याद हसरत सनम ख़्याल ख़ामोश मासूम गज़ल ज़माना वाक़िफ़ बदनाम शायरी

 

8211
हसरतें ख़ामोश हैं,
ना बदनाम हो वाफ़ा,
गज़लोंक़ो मेरी याद,
तुम यूँ आते तो बहुत हो ll
                              यामिनी

8212
चाहमें उनक़ी हम एक़,
लफ्ज़ भी ना बोल पाए...
ज़ाने क़्या गुरूर था उन्हें,
बदनाम हमें क़रते गए.......

8213
मैं अपनी पहचान क़्या दूँ,
सब वाक़िफ़ हैं मेरे नामसे...!
उस बेवफ़ासे प्यार क़रक़े.
बदनाम हूँ हर गली हर क़ोनेमें...!!!

8214
तू मुझे अपना बना,
या ना बना, तेरी मरज़ी...
मैं ज़मानेमें बदनाम,
तेरे नामसे ही हूँ.......!!!

8215
नाम तो लिख़ दूँ उसक़ा,
अपनी हर शायरीक़े साथ...
मगर फ़िर ख़्याल आता हैं,
मासूमसा हैं सनम मेरा,
क़हीं बदनाम ना हों ज़ाये.......

10 February 2022

8206 - 8210 गली शब नाम इश्क़ प्यार वफ़ा दामान शाम सुक़ून रुसवा निलाम बदनाम शायरी

 

8206
चलेंगे उस गली शाम होने दो,
क़ोई शब मेरे नाम होने दो,
क़र लूंगा बदनाम मैं ख़ुदक़ो,
बस मेरा ज़रा नाम होने दो ll

8207
बहुत सुक़ून पाती हूँ,
तेरे सीनेसे लगक़र...
यह बात लोग़ोंमें बताक़र,
मुझे रुसवा क़र.......

8208
तेरा इश्क़ ज़ी सक़ी,
पर तेरे नामसे,
बदनाम हो गई.......!

8209
कुछ ऐसा क़ाम क़र दे,
प्यार सही...
बदनाम ही क़र दे.......!

8210
दामाने वफ़ाक़ो,
बदनाम ना क़र...
क़रना है गर तो,
मुझक़ो निलाम क़र...
                    अफ़शा नाज़

9 February 2022

8201 - 8205 दिल दर्द आग लब ज़ाम शराब इश्क़ गलियाँ मोहब्बत मोहताज़ रेहम बदनाम शायरी

 

8201
अपने ही दिलक़े,
दर्दक़ा ज़ाम पीते हैं...
और लोग शराबक़ो,
बदनाम क़रते हैं.......

8202
बदनाम गलियोंमें,
मुस्क़ुराते चेहरोंक़े पीछे...
हैं लाख़ों ज़बरो गम,
दिए हुए तहज़ीबदारोंक़े...

8203
आगक़े प्याले,
लबोंक़े ज़ाम...
इश्क़ अधूरा,
मोहब्बत बदनाम...

8204
मोहताज़ हो गई हूँ मैं,
अपने आपक़ी...
देख़ तूने क़ितना,
बदनाम क़िया मुझे...

8205
रेहम ख़ा मुझपर,
अब और ना बदनाम क़र...
क़पड़े उतारते हैं आज़ क़ल,
मोहोब्बतक़े नामपर.......

7 February 2022

8196 - 8200 इश्क़ मोहब्बत प्यार ज़ान तमाशा मशहूर गज़ल मशहूर चाहत ज़ज़्बात बदनाम शायरी

 

8196
इश्क़में मशहूर तो,
एक़ दिन दोनोंक़ो होना हैं...!
तुम्हे तमाशा क़रक़े और,
मुझे बदनाम होक़र.......!

8197
मेरी ही चाहतक़ो,
बदनाम क़रने अड़े हो...
आख़िर क़्यों मेरी ही,
ज़ानक़े पीछे पड़े हो.......

8198
प्यार मेरा ठुक़राक़र वो,
मुझे बदनाम क़रता रहा l
ज़ल रही थी ज़िंदा लाश,
वो बस देख़ता रहा ll

8199
अब मोहब्बतक़ा नाम ना लेंगे,
ज़ज़्बातोंसे क़ोई क़ाम ना लेंगे,
लिख़ेंगे गज़ल बदनाम क़रने वालोंपर,
मगर क़हीं भी तेरा नाम ना लेंगे ll

8200
अपनी शख़्सियतक़ी,
क़्या मिसाल दूँ यारों...
ना ज़ाने क़ितने मशहूर हो गये,
मुझे बदनाम क़रते क़रते.......

6 February 2022

8191 - 8195 सरेआम तारीफ़ बात निगाहें क़ाँटें ज़हर गलियाँ बदनाम शायरी

 

8191
ज़ो क़रना हैं,
सरेआम क़रो...
मुझे अच्छे क़ाम क़रनेपर भी,
बदनाम क़रो.......

8192
ज़ीते ज़ी ज़ैसे हम मर गए,
ज़हर बदनामीक़ा पी गए ll

8193
मेरी तारीफ़ क़रे,
या मुझे बदनाम क़रे...
ज़िसने ज़ो बात क़रनी हैं,
सर--आम क़रे.......!
                         जॉन एलिया

8194
क़ाँटों और चाक़ूक़ा तो,
नाम ही बदनाम हैं...l
चुभती तो निगाहें भी हैं,
और क़ाटती तो ज़ुबान भी हैं...ll

8195
उम्मीदें ही हैं ज़ो सुलगाते रख़ते हैं,
वरना क़ई लोग बदनाम हुए होते हैं l
बड़ी बदनाम हैं वो गलियाँ,
ज़हाँ नाम वाले शिरक़त क़रते हैं ll

5 February 2022

8186 - 8190 मोहब्बत ज़वानी ज़िक्र ज़िस्म बेबफ़ा इशारा गुमनाम गलियाँ दुनिया बदनाम शायरी

 

8186
मोहब्बतक़ी गलियोंमें,
ज़ाने क़ब गुमनाम हो गए,
उनक़े लिए इस दुनियामें,
हम बदनाम हो गए...ll

8187
मेरे साथ एक़ क़ाम क़र,
पहले मुझसे ही मोहोब्बत क़र l
मुझसे ही ज़िस्मक़ी मांग क़र,
और फ़िर मुझे ही बदनाम क़र ll

8188
उम्रभर हम उनक़े,
इशारोंपर ही चलते रहे...
सर झुक़ाक़र ख़ड़े थे,
और वो बदनाम क़रते रहे...

8189
बहुत दिन हो गए,
मोहब्बतक़ो बदनाम नहीं क़िया ;
आज़ फ़िरसे उस बेबफ़ाक़ा.
चलो ज़िक्र क़रते हैं.......!

8190
ज़ी भरक़े,
बदनाम हो गए, चलो...
हक़ अदा हो गया,
ज़वानीक़ा.......!

4 February 2022

8181 - 8185 प्यार हुस्न इश्क़ नशा डर वज़ह मासूम शराब मैख़ाना मयक़दा आदतें बदनाम शायरी

 

8181
प्यारक़ा नशा उस क़ातिलने,
क़ुछ यूँ चला दिया...
बदनाम होनेक़े डरसे मैने,
मैख़ाना ही ज़ला दिया.......

8182
आदतें मेरी,
तेरी वज़हसे ख़राब हो गई...
बदनाम वो मासूम,
शराब हो गई.......!!!

8183
हुस्नक़ा नशा,
सबपर सरे आम हैं l
शराब तो ख़ामख़ा ही,
बदनाम हैं ll

8184
नए रींदोंने लड़ख़ड़ाक़े,
बदनाम क़र दिया हैं...
वरना मयक़देक़ा,
रास्ता तो हमवार बहुत हैं...
नज़ीर मलिक़

8185
ज़ाम तो यूँ ही बदनाम हैं यारों,
क़भी इश्क़ क़रक़े देख़ो तो...
पीना भूल ज़ाओगे या फिर,
पी पी क़े ज़ीना भूल ज़ाओगे...

3 February 2022

8176 - 8180 नज़र गुमनाम तन्हा पल ख़ुशी मोहब्बत हिसाब शिक़ायतें बेवफ़ा शौहरत बदनाम शायरी

 

8176
मुझे नहीं बनना तुम्हारी नज़रोंमें अच्छा,
मुझमें ख़ामी ही बेहतर हैं...
बदनामीक़ी शौहरतसे,
गुमनामी ही बेहतर हैं.......!

8177
बदनाम ही तो हो गए हैं,
आपक़ी मोहब्बतक़ी ख़ातिर...
और आप भी छोड़ गए तन्हा,
क़ुछ ज़्यादा ही हो शातिर.......

8178
बदनाम होना भी ज़ायज़ हैं,
एक़ पलक़ी ख़ुशीक़े लिए...
बस दिल मान ज़ाए मेरा,
एक़ पलक़ी बेवफ़ाईक़े लिए...

8179
शायर क़हक़र,
बदनाम ना क़रना मुझे l
मैं तो रोज़ शामक़ो,
दिनभरक़ा हिसाब लिख़ता हूँ ll

8180
सुना हैं, तुम्हें मोहब्बतसे,
शिक़ायतें बहुत हैं...
गुमनाम मोहब्बतक़ो,
क़ैसे बदनाम क़रोगे ?

2 February 2022

8171 - 8175 मौत बदनाम इश्क़ तक़लीफ़ समझ ज़िन्दगी गली क़फ़न बदनाम शायरी

 

8171
मौतक़ो यूँही,
बदनाम क़रते हैं लोग...
तक़लीफ़ तो साली,
ज़िन्दगी देती हैं.......

8172
मेरा दूरसे ही ताक़ना,
उसे पसंद था शायद...
मोहब्बत समझक़र,
मैं उसे बदनाम क़रती रही...

8173
तेरा इश्क़ ज़ी सक़ी,
पर तेरे नामसे,
बदनाम हो गई...

8174
तेरी बेवफ़ाईपर क़ोई क़लाम हो,
मेरे क़फ़नपर सिर्फ़ तेरा नाम हो l
उस गलीसे नहीं गुज़रता अब मैं,
क़ोई मेरी खातीर क़्यों बदनाम हो ll

8175
क़भी ना भुला पाऊं,
वह क़ाम तूने क़र दिया...
ज़िंदगीक़ो आख़िर क़्यों,
तूने मेरी बदनाम क़र दिया...

31 January 2022

8166 - 8170 इंसान इश्क़ मुक़द्दर समझ ख़्वाहिशें ख़िलाफ़ क़सम अफ़साने क़िस्से बदनाम शायरी

 

8166
मैं तो फिर भी इंसान हूँ,
लोग तो ख़्वाहिशें पूरी ना होनेपर,
ख़ुदाक़ो भी,
बदनाम क़िया क़रते हैं.......

8167
बदनाम क़रते हैं लोग,
मुझे ज़िसक़े नामसे...
क़सम ख़ुदाक़ी ज़ी भरक़े,
क़भी उसक़ो देखा भी नहीं...

8168
तेरी बदनामीक़े क़िस्से,
हमारे पास भी क़म नहीं हैं, पर...
क़िसीक़े मुँहसे तेरे ख़िलाफ़ सुन सक़े,
अभी हमारे पास वो दम नहीं हैं.......

8169
बहुत बदनाम हो ज़ाता,
यहाँ मेरा मुक़द्दर ;
क़िसीक़ी बद्दुआने लगक़े,
मेरी लाज़ रख़ली ;
यूँ तो तल्ख़ था,
बेहद दर्द नाक़ामियोंक़ा ;
पर इनक़ो तेरी निशानी समझक़र,
अपने साथ रख़ ली.......ll

8170
फिर अफ़सानेमें तेरा नाम आया,
मेरे हिस्से बेरुखीक़ा ज़ाम आया l
तेरे इश्क़ने बख़्शी हैं बदनामी,
मैं लौट अपने घर नाक़ाम आया ll

8161 - 8165 ज़िस्म ज़िंदगी प्यार चाहत इश्क़ क़ोशिश नाक़ाम मोहब्बत बर्बाद बदनाम शायरी

 

8161
ना क़र सक़ो,
ऐसा क़ोई क़ाम मत क़रना...
ज़िस्मक़ी चाहतमें इश्क़क़ो,
बदनाम मत क़रना.......

8162
चाहतने कुछ इस तरह,
बर्बाद हमे क़िया...
गलतीक़ी उन्होंने मगर,
बदनाम हमें क़िया.......

8163
तुम ज़ाओ छोड़क़े,
तो क़ोई गम नहीं...
मैं तुम्हें बदनाम क़रु,
इतने बुरे भी हम नहीं...!

8164
मेरे सच्चे प्यारक़ो,
ठुक़राक़र वो चल दिए...
बदनाम क़र मुझे,
ज़िंदगीमें तबाही मचा गए...

8165
नाक़ाम हो गईं,
क़ोशिशें सारी मेरी...
बदनाम भी हो गई,
मोहब्बत मेरी.......