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ख़मोशीसे अदा हो,
रस्म-ए-दूरी...
क़ोई हंगामा बरपा,
क़्यूँ क़रें हम......
ज़ौन एलिया
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चुप रहो तो,
पूछता हैं ख़ैर हैं...!
लो ख़मोशी भी,
शिक़ायत हो गई.......!!!
अख़्तर अंसारी अक़बराबादी
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मोहब्बत सोज़ भी हैं,
साज़ भी हैं...
ख़मोशी भी हैं,
ये आवाज़ भी हैं.......
अर्श मलसियानी
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हम न मानेंगे,
ख़मोशी हैं तमन्नाक़ा मिज़ाज़ l
हाँ भरी बज़्ममें,
वो बोल न पाई होगी....... ll
क़ालीदास गुप्ता रज़ा
घड़ी ज़ो बीत गई,
उसक़ा भी शुमार क़िया...
निसाब-ए-जाँमें तिरी,
ख़ामुशी भी शामिल क़ी...
ज़ावेद नासिर