20 July 2016

406 चाँद पागल अँधेरे नुमाइश खलल धीरे तारा धडकन इबादत शायरी


406

Ebadat, Worship

चाँद पागल हैं अँधेरेमें निकल पड़ता हैं,
रोज तारोंकी नुमाइशमें खलल पड़ता हैं,
उनकी याद आई हैं साँसे जरा धीरे चलो ,
धडकनोंसे भी इबादतमें खलल पड़ता हैं l

Moon is Crazy who comes out in the Darkness,
It disrupts Exhibition of Stars Everyday,
Breaths, just go slowly She is on my mind,
Worship is disrupted because of Heartbeats.

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