31 July 2016

450 माँ फुर्सत तकदीर लिख देख समझ मुस्कुराहट शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


450

Muskurahat, Smile

मुझे इतनी "फुर्सत" कहाँ,
की मैं तकदीरका लिखा देखुँ...
बस अपनी माँ की "मुस्कुराहट" देखकर समझ जाता हुँ...
की "मेरी तकदीर " बुलंद हैं...

Don't I have the Time Leisure
To read my Destiny...
Just with the Smile of my Mother I understand...
That My fate is at Apex...

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