21 July 2016

412 चाँद रौशनी अच्छे आशियाने मंजर याद टूट उदासी शायरी


412

Udasi, Melancholy

हर एक मंजरपर उदासी छायी हैं,
चाँदकी रौशनीमें भी कमी आई हैं,
अकेले अच्छे थे हम अपने आशियानेमें...
ना जाने क्यों टूटकर फिर आपकी याद आई हैं l

On every turn there is a Melancholy,
Shortened the Glare of Moon,
I was better in my home Alone,
Don't know why You are on my mind desperately.

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