21 July 2016

413 दिल तकदीर चाह दोस्त ढल बदल फिसल संभल विश्वास शायरी


413

Vishwas, Trust

तकदीरने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम,
बहोत संभलकर चले फिर भी फिसल गए हम,
किसीने विश्वास तोडा तो किसीने दिल,
और दोस्तोंको लगा की बदल गए हम...

I got moulded as per my Fate,
Even after precaution I slipped away,
Some broke Faith, others Broke Heart,
And friends thought, I have changed...

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