21 July 2016

411 मुस्कान चाह हस बचपन तन्हाई तमीज़ शायरी


411

Tameej, Manners

बचपनमें जब चाहा हस लेते थे...
जहाँ चाहा वहां रो सकते थे...
अब मुस्कानको तमीज़ चाहिए...
और अश्कोंको तन्हाई.....

Whenever wished we laughed in Childhood...
Wherever wished we Cried...
Now Smile requires Manners...
And  Loneliness for Weeps.....

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