26 July 2016

433 दिल पहचान आदत गहरा जख्म मीठा शायरी


433

Aadat, Habit

दिलमें उतर जानेकी आदत हैं मेरी,
अलग पहचान बनानेकी आदत हैं मेरी,
जितना गहरा जख्म; कोई देता हैं मुझे,
उतना ही मीठा मुस्कुरानेकी आदत हैं मेरी...!!!

My Habit is going off in your Heart,
Making Different Identity is my Habit,
Deeper the wound; One gives to me,
The Habit of Concurrent Smiling is mine...!!!

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