22 July 2016

418 ज़िन्दगी लफ़्ज़ डर मुकर लिखूं पुराने ज़ख्म शायरी


418

Jakhm, Wound

डरता हूँ क्या लिखूंगा आज,
लफ़्ज़ बाहर आनेसे मुकर गए हैं...
ज़िन्दगी कोई नया ज़ख्म दे मुझे,
पुराने तो शायद सब भर गए हैं !!!

I am afraid that what I will Write today,
Words have refused to represent...
My Life give me a new Wound,
May be older are recovered !!!

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