Haque, Ascendancy
हक़ से दे
तो
“नफरत” भी सर आंखों पर ,
“नफरत” भी सर आंखों पर ,
खैरात में तो
तेरी
“मोहब्बत” भी मंजूर नहीं ।
“मोहब्बत” भी मंजूर नहीं ।
"Hate" is accepted
with the Ascendancy,
"Love" is rejected
in the Mercy too.
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