14 July 2016

381 गरीब मौत हंगामा गुमसुम चुपचाप क़ातिल रिहाई खत्म स्याही कलम शायरी



381

Kalamkar, The Writer

बड़े गुमसुम हैं कलमकार,
लगता हैं खत्म स्याही हो गई,
सब देखते रहें गरीबोंकी मौतका हंगामा..
और चुपचाप क़ातिलकी रिहाई हो गई...

Writers are real Mythical,
Seems like Ink is Finished,
all kept watching Commotion of death of poor...
And Executioner released silently...

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