30 November 2017

2026 - 2030 प्यार जिन्दगी खिलौने नजरें बचपन सादगी ताल्लुक शराफत झलक नियत बेपर्दा लफ्ज़ खामोश शायरी


2026
मिट्टी भी जमाकी और
खिलौने भी बनाकर देखे...
जिन्दगी कभी ना मुस्काई
फिर बचपनकी तरह.......

2027
"नजरें झुका लेनेसे,
भला सादगीका क्या ताल्लुक,
शराफत तब झलकती हैं,
जब नियत बेपर्दा हो..."

2028
लफ्ज़ ही तो हैं...
थोड़े खर्च कर लो,
सबसे मीठे बोल बोलकर
ऐसे भी एक दिन,
खामोश तो हो ही जाना हैं...

2029
बड़े अनमोल हे ये खूनके रिश्ते,
इनको तू बेकार न कर...
मेरा हिस्सा भी तू ले ले भाई,
घरके आँगनमें दीवार ना कर...!

2030
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया,
खत्म सभीका इंतज़ार हो गया'
बारिशकी बूंदे गिरी कुछ इस तरहसे,
लगा जैसे आसमानको ज़मीनसे प्यार हो गया...

29 November 2017

2021 - 2025 मोहब्बत याद दराज़ ठंडकआँसू फ़ुर्सत हिचकियाँ तड़प दुश्मन रिश्ता शायरी


2021
कुछ मीठीसी ठंडक हैं,
आज इन हवाओंमें...
शायद,
तेरी यादोंसे भरा दराज़,
खुला रह गया हैं...!

2022
कौन शरमा रहा हैं आज,
यूँ हमें फ़ुर्सतमें याद करके,
हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं,
पर हिच-किचा रही हैं !!!

2023
जब मिलो किसीसे तो,
ज़रा दुरका रिश्ता रखना...
बहुत तड़पाते हैं अक्सर,
सीनेसे लगाने वाले लोग...!

2024
यह कहकर मेरा दुश्मन,
मुझे हँसते हुए छोड़ गया;
कि तेरे अपने ही बहुत हैं,
तुझे रुलानेके लिए..........

2025
मोहब्बत एक अहसासोंकी पावनसी कहानी हैं,
कभी कबिरा दिवाना था कभी मीरा दिवानी हैं,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आँखोंमें आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती हैं,जो ना समझे तो पानी हैं ।

28 November 2017

2016 - 2020 मोहब्बत याद आँखें दस्तक नज़र दरवाजा हिचकि मुखबिर पहचान खुशबु काबिल शायरी


2016
जिसको आज मुझमें,
हज़ारों गलतियाँ नज़र आती हैं...
कभी उसीने कहाँ था...
“आप जैसे भी हो, मेरे हो.......”

2017
जब भी उनकी गलीसे गुज़रता हूँ...
मेरी आँखें एक दस्तक दे देती हैं...
दुःख ये नहीं कि वो दरवाजा बंद कर देते हैं.....
खुशी ये हैं कि वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं.......

2018
मत भेजिए हिचकियोंको मुखबिर बनाकर,
औरभी काम हैं तुम्हे याद करनेके सिवा.......

2019
जिस फूलोंकी परवरिश,
हमने अपनी मोहब्बतसे की.....
जब वो खुशबुके काबिल हुए,
तो औरोंके लिए महकने लगे.......

2020
वो जो कहते थे,
तू ना मिला तो मर जाएँगे,
वो अब भी ज़िंदा हैं...
यही बात किसी औरसे कहनेके लिए...।

27 November 2017

2011 - 2015 प्यार जान याद ख्वाब हक रूठ गुस्से तहज़ीब नमक वक्त गुरूर तलाश शायरी


2011
आपसे रूठनेका
हक हैं मुझको...
पर मुझसे आप रूठो,
यह अच्छा नहीं लगता...

2012
तेरे गुस्सेपर भी
आज हमे प्यार आया हैं,
चलो कोई तो हैं जिसने
इतने हकसे हमे धमकाया हैं !

2013
तहज़ीबमें भी क्या,
अदा थी उसकी साहिब . . .
नमकका हक़ भी अदा किया तो,
ज़ख्मोंपें छिड़के . . . . . . .

2014
जाते वक्त बहोत गुरूरसे कहा था उसने...
"तुम जैसे हजार मिलेंगे"
मैने मुस्कुराकर कहां...
" मुझ जैसेकी ही तलाश क्यों...? "

2015
ये याद हैं तुम्हारी या यादोंमें तुम हो,
ये ख्वाब हैं तुम्हारे या ख्वाबोंमें तुम हो,
हम नहीं जानते हमे बस इतना बता दो,
हम जान हैं तुम्हारी या हमारी जान तुम हो...

26 November 2017

2006 - 2010 दिल जिदंगी इज़ाज़त तक़दीर मंजिल बेहतर लकीर शिकवा इबादत आदत शायरी


2006
इज़ाज़त हो तो माँग लूँ तुम्हे,
सुना हैं तक़दीर लिखी जा रही हैं !

2007
तू बिन बताये मुझे ले चल कहीं,
जहाँ तू मुस्कुराये मेरी मंजिल वहीं !

2008
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर हैं,
वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं !

2009
हाथोंकी लकीरोंमें तुम हो ना हो,
जिदंगीभर दिलमें जरूर रहोगे !

2010
शिकवा करने गये थे,
और इबादतसी हो गई...!
तुझे भुलानेकी जिद थी,
मगर तेरी आदतसी हो गई...!

24 November 2017

2001 - 2005 दिल मोहब्बत प्यार साँस अन्दाज सिद्दत ख़्वाहिश दर्द हाल तलब ज़ख़्म नज़र बिछड़ धडक शायरी


2001
कहनेकी तलब नहीं कुछ...
बस,
तुम्हारे आस-पास होनेकी ख़्वाहिश हैं...

2002
राज़-ए-मोहब्बतमें,
अज़ब हाल हुआ हैं अपना ...
न ज़ख़्म नज़र आता हैं,
ना दर्द सहा जाता नज़र हैं . . .

2003
खुदको मेरे दिलमें ही
छोड़ गए साहिब ...
तुम्हे तो ठीकसे
बिछड़ना भी नहीं आता !!!

2004
"जा तू भी उनके सीनेमें ,
जाकर धडक ऐ दिल,
उनके बगैर जी रहे हैं ,
तो तेरे बगैर भी जी लेंगे !!"

2005
मत पूछो की उसके प्यार करनेका,
अन्दाज कैसा था...?
उसने इतनी सिद्दतसे सीने लगाया की,
साँस भी रुक गयी और,
जान भी ना गई !!!

22 November 2017

1996 - 2000 दिल प्यार जिंदगी याद पनाह दुनियाँ इम्तहान किताब मेहमान उलझन गम दर्द दवा जुदा शायरी


1996
जाना कहा था और कहा आ गए,
दुनियाँमें बनकर मेहमान आ गए,
अभी तो प्यारकी किताब खोली ही थी,
और ना जाने कितने इम्तहान आ गए...

1997
गमने हसने न दिया, ज़मानेने रोने न दिया!
इस उलझनने चैनसे जीने न दिया...
थकके जब सितारोंसे पनाह ली,
नींद आई तो उनकी यादने सोने न दिया !!!

1998
दर्द भी तुम दवा भी तुम,
इबादत भी तुम खुदा भी तुम,
चाहा भी तुमको और पाया भी नही,
जुदा भी तुम और साथ भी तुम...

1999
तकदीर लिखने वाले एक एहसान कर दे,
मेरे प्यारकी तकदीरमें मुस्कान लिख दे,
ना मिले जिंदगीमें कभी भी दर्द उसको,
चाहे उसकी किस्मतमें मेरी जान लिख दे।

2000
तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें हम !
बस यही एक वादा निभा पायेगें हम !!
मिटा देंगे खुदको भी जहाँसे लेकिन !!!
तेरा नाम दिलसे न मिटा पायेगें हम !!!!

1991 - 1995 दिल मोहब्बत ज़िन्दगी कश्मकश तमाशा तालियाँ तसव्वुर आरज़ू यादें तमन्ना शौक बेताबी चीजें शायरी


1991
दिलमें भी एक बार,
उलट-पलट हो जानी चाहिए,
क्या पता नीचे दबे कुछ
अपने खास लोग मिल जाए !!

1992
हम दिखाते रहें
कश्मकश ज़िन्दगीकी...
लोग तमाशा समझकर
तालियाँ बजाते रहें...

1993
तसव्वुर, आरज़ू, यादें,
तमन्ना, शौक-ए-बेताबी;
ये सब चीजें तुम्हारी हैं,
तुम आकर छीनलो मुझसे !!!

1994
कभी कभी इतनी शिद्दतसे,
उसकी याद आती हैं कि...
मैं पलकोंको मिलाता हूँ,
तो आँखे भीग जाती हैं.......

1995
एहसास तो बहुत हैं उनको भी,
मेरी मोहब्बतका,
वो तड़पाते इसलिए हैं कि,
मैं और भी टूट कर चाहूं उन्हें ...!

20 November 2017

1986 - 1990 मोहब्बत याद फैसले अफ़सोस धड़कन ज़िंदगी किस्सा हिस्सा रूह लफ्ज रिश्ता हसरत चाह शायरी


1986
इतने बुरे भी नहीं थे हम,
जो तूने ठुकरा दिया...
याद रख इसी फैसलेपर,
एकदिन तुझेभी अफ़सोस होगा.......

1987
तेरी धड़कन ही ज़िंदगीका किस्सा हैं मेरा,
तू ज़िंदगीका एक अहम् हिस्सा हैं मेरा...
मेरी मोहब्बत तुझसे, सिर्फ़ लफ्जोंकी नहीं हैं,
तेरी रूहसे रूह तकका रिश्ता हैं मेरा...

1988
बड़ी हसरत थी कि हमें भी कोई
टुटके चाहता...!
पर हम खुद ही टुट गये किसीको
चाहते-चाहते.......!

1989
जो लोग जिन्दगीसे चले जाते हैं,
वो लोग दिलसे भी क्यूँ नहीं चले जाते !

1990
जिंदगी जला दी हमने जब जैसी जलानी थी,
अब धुऐंपर तमाशा कैसा और राखपर बहस कैसी...
उनकी मुहब्बतपर मेरा हक तो नहीं,
पर दिल चाहता हैं आखरी साँसतक उनका इंतजार करू !

19 November 2017

1981 - 1985 दिल इश्क जिंदगी आँखें शराब दूरियाँ फ़ासले नज़दीकियाँ उधार चीज़ कफ़न नज़रें कलम आँसु शायरी


1981
पूछा जब उन्होंने,
लिखने लगे कबसे ज़नाब,
कहाँ आँखें आपकी,
लगने लगी जबसे शराब।

1982
" दूरियों " का ग़म नहीं
अगर " फ़ासले " दिलमें न हो।
" नज़दीकियाँ " बेकार हैं,
अगर जगह दिलमें ना हो।

1983
जिंदगीसे कोई चीज़,
उधार नहीं मांगी मैंने ...
कफ़न भी लेने गए तो,
जिंदगी अपनी देकर . . . !

1984
मैं भी हुआ करता था वकील,
इश्क वालोंका कभी.......
नज़रें उससे क्या मिलीं...
आज खुद कटघरेमें हूँ मैं...!!

1985
लिखा तो था तेरे बगैर खुश हूँ...
पर कलमसे पहले आँसु गिर गये।

18 November 2017

1976 - 1980 मोहब्बत अल्फ़ाज़ हिसाब ख्याल तहाशा लफ्ज़ माचिस बरबाद बारिश दुआ क़बूल इजाजत महफिले अकेले शायरी


1976
चलो फ़िरसे मुस्कुराते हैं …
बिना माचिससे लोगोंको जलाते हैं .......

1977
अल्फ़ाज़ ढूँढनेकी,
ज़रूरत ही ना पड़ी कभी,
तेरे बे-हिसाब ख्यालोंने...
बे-तहाशा लफ्ज़ दिए.......

1978
माँगनेसे मिल जाय़े
तो मौत कैसी...
बिना बरबाद हुए मीले
वो मोहब्बत कैसी.......

1979
सुना हैं बारिशमें,
दुआ क़बूल होती हैं...
अगर हो इजाजत तो...
माँग लूँ तुम्हे.......!

1980
हजार महफिले हैं,
लाख मेले हैं,
पर तू जहाँ नहीं
हम अकेले ही अकेले हैं !!

17 November 2017

1971 - 1975 इश्क़ दिल ज़िन्दगी साँस दीदार ख़ामोशी इंतज़ार इबादत खुबसूरत ख्याल धड़कन शायरी


1971
किस ख़तमें लिख कर भेजूं,
अपने इंतज़ारको तुम्हें;
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और...
ढूंढता हैं ख़ामोशीसे तुझे...।।

1972
यह इश्क हैं या इबादत...
कुछ समझ नहीं आता;
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम...
जो दिलसे नहीं जाता...!

1973
मेरी चाहतें उनसे अलग कब हैं,
दिलकी बातें उनसे छुपी कब हैं;
वो साथ रहे दिलमें धड़कनकी जगह,
फिर ज़िन्दगीको साँसोंकी ज़रूरत कब हैं।

1974
शिकायत नहीं जिंदगीसे,
कि उनका साथ नहीं...
बस वो ख़ुश रहे,
हमारी तो कोई बात नहीं...

1975
उनको उलझाकर,
कुछ देर सवालोंमें,
हमने जी भरके उनका,
दीदार कर लिया...!!!

1966 - 1970 दिल इश्क प्यार पास एहसास गलती चेहरे कफ़न याद दिमाग कब्ज़ा गम इजाजत धडकन पलकें शायरी


1966
बहुत रोये वो हमारे पास आकर,
जब एहसास हुआ उन्हें अपनी गलतीका,
चुप तो करा देते हम अगर,
चेहरेपें हमारे कफ़न ना होता...

1967
तेरी यादोंने कर लिया हैं,
मेरे दिलो-दिमागपें कब्ज़ा,
अब किसी गमको...
अंदर आनेकी इजाजत ही नहीं !!!

1968
धडकनोंको कुछ तो,
काबूमें कर ए दिल...
अभी तो सिर्फ पलकें झुकाई हैं...
मुस्कुराना अभी बाकी हैं उनका.......

1969
हमें तो प्यारके,
दो लफ्ज भी नसीब नहीं...
और बदनाम ऐसे हैं;
जैसे इश्कके बादशाह थे हम...

1970
तो क्या हुआ जो आप,
नहीं मिलते हमसे...!
मिला तो रब भी नहीं हमें,
मगर इबादत तो बंद नहीं की...!