1 July 2017

1456 - 1460 जिंदगी दिन सामना हौसला तन्हाई अंगार सुलग दुश्मन यार मुस्कुरा जलन शायरी


1456
जिंदगीमें कभी किसी,
बुरे दिनसे सामना हो जाए...
तो इतना हौसला ज़रूर रखना कि,
दिन बुरा था, जिंदगी नहीं...!

1457
"काँटोसी चुभती हैं तन्हाई,
अंगारोंसी सुलगती हैं तन्हाई,
कोई आकर हम दोनोंको ज़रा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती हैं तन्हाई l

1458
सिर्फ साँसें चलते रहनेको ही,
ज़िंदगी नहीं कहते.....!
आँखोंमें कुछ ख़्वाब और
दिलमें उम्मीदें होना भी ज़रूरी हैं.......!

1459
आज एक दुश्मनने,
मेरे गले लगके कहां,
यार...
इतना मत मुस्कुराया कर,
बहुत जलन होती हैं...

1460
एहसास थकाँनका मुझे,
पलभर नहीं होता;
रास्तेमें अगर...
मीलका पत्थर नहीं होता...!

1451 - 1455 इश्क चाँद मुकद्दर गम सीने बदनाम तन्हा आँख परदे नम बात सिलसिले बुरा वक्त शायरी


1451
मेरा और उस "चाँद" का,
मुकद्दर एक जैसा हैं "दोस्त"...!
वो "तारों" में तन्हा,
मैं "यारों" में तन्हा.....।।

1452
सो जाओ मेरी तरह तुम भी,
गमको सीनेमें छुपाकर
रोने या जागनेसे कोई मिलता,
तो हम तन्हा ना होते।

1453
हुए बदनाम फिरभी,
ना सुधर पाये हम,
फिर वहीं इश्क; वहीं शायरी और...,
वहीं तुम।

1454
आँखोंके परदे भी नम हो गये हैं,
बातोंके सिलसिले भी कम हो गये हैं,
पता नहीं गलती किसकी हैं,
वक्त बुरा हैं या बुरे हम हो गये हैं !

1455
दौलत नहीं, शोहरत नहीं,
न 'वाह' चाहिए...
"कैसे हो"..?
दो लफ्जकी परवाह चाहिए...

29 June 2017

1446 - 1450 दिल प्यार इश्क़ सब्र इंतेहा बाह हद ख्वाब आँख इबादत जन्नत नींद गोद शायरी


1446
प्यामें हमारे सब्रकी,
इंतेहा हो गयी.....
किसी औरके लिये रोतें रोतें,
वो मेरी बाहोमें सो गयी...

1447
इश्क़में ना जाने कब हम,
हदसे गुज़र गये...
कई सारे ख्वाब मेरी,
आँखोंमें भर गये...

1448
बड़ी इबादतसे पुछा था मैने,
खुदासे जन्नतका पता...
थककर नींद आयी तो खुदाने,
माँकी गोदमें सुला दिया…

1449
आपकी इस दिल्लगीमें,
हम अपना दिल खो बैठे...
कल तक उस खुदाके थे,
आज आपके हो बैठे.......

1450
कुछ वो हसीन हैं,
कुछ मौसम रंगीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ,
जुर्म दोनो संगीन हैं !!!

28 June 2017

1441 - 1445 मोहब्बत बेइंतहा दिन रात खुशियाँ उम्र एहसास वक्त धड़कन नाम बेहतर जान शायरी


1441
खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर गई,
पर खुश ना हो सके,
एक दिन एहसास हुआ,
खुश तो वो लोग थे जो खुशियाँ बांट रहे थे !

1442
जब वक्तकी धड़कनको थाम लेता हैं कोई,
जब हम सोते हैं रातोंमें और नाम लेता हैं कोई,
मोहब्बत उनसे बेइंतहा हो जाती हैं दोस्तो.....
जब हमसे बेहतर हमें जान लेता हैं कोई.......

1443
नज़रें छुपाकर क्या मिलेगा,
नज़रें मिलाओ,
शायद...
हम मिल जाए.......!

1444
उसके सिवा किसी औरको चाहना,
मेरे बसमें नहीं हैं l 
ये दिल उसका हैं,
अपना होता तो बात और होती l

1445
भुलाकर दर्द-ओ-गम ज़िंदगीके...
इश्क़के खुमारमें जी लेंगे,
बसाकर मोहब्बतका आशियाना,
यादोंके हिसारमें जी लेंगे...!

26 June 2017

1436 - 1440 सौदा अदब खरीद मीठे झूठ बोल कड़वे सच अज़ीज़ छीन ख़्वाहिशें ख़्वाब परिंदे शाम शायरी


1436
कोई तो मिला जिसने,
सौदा करना सिखा दिया...
वर्ना बड़े अदबसे,
हर चीज खरीद लेता था...!

1437
सीख रहा हूँ मैं भी, अब...
मीठे झूठ बोलनेकी कला...!
कड़वे सचने हमसे, ना जाने...
कितने अज़ीज़ छीन लिए.....॥

1438
ख़्वाहिशें जो चल न सकी जमीं पर,
ख़्वाबोंके परिंदे बन लौट आई हैं...
शाम ढलनेपर !!!

1439
उड़ा भी दो सारी रंजिशें,
इन हवाओंमें यारों,
छोटीसी जिंदगी हैं
नफ़रत कब तक करोगे ?

1440
जहाँमें कुछ सवाल,
जिंदगीने ऐसे भी छोडे हैं,
जिनका जवाब हमारे पास...
सिर्फ खामोशी हैं !!!

25 June 2017

1431 - 1435 दिलजिंदगी वजूद मौत मोहोलत कमजोर दिवार वास्ता ख़बर नज़र गैर हाल शायरी


1431
अपने वजूदपर,
इतना न इतरा ऐ-जिंदगी,
वो तो मौत हैं...
जो तुझे मोहोलत देती जा रही हैं ।

1432
लूट लेते हैं अपने ही,
वरना गैरोंको क्या पता,
की दिलकी दिवार,
कहाँसे कमजोर हैं...।

1433
वास्ता नहीं रखना तो;
नज़र क्यों रखती हो,
किस हालमें हूँ ज़िंदा,
ये ख़बर क्यों रखती हो...

1434
घड़ी-घड़ी वो,
हिसाब करने बैठ जाते हैं l
जबकि पता हैं,
जो भी हुआ, बेहिसाब हुआ.......!

1435
युँही किसीकी यादमें रोना फ़िज़ूल हैं,
इतने अनमोल आँसू खोना फ़िज़ूल हैं,
रोना हैं तो उनके लिये जो हमपें निसार हैं,
उनके लिये क्या रोना जिनके आशिक़ हज़ार हैं...!

1426 - 1430 दिल रूह शामिल मुस्करा आँख नजरें याद बात फरियाद कोशिश बहाना सूफ़ियाना आशियाना जुर्म शायरी


1426
जो आँखोंमें रहते हैं, उन्हे याद नहीं करतें;
जो दिलमें रहते हैं, उनकी बात नहीं करतें;
उन्हे क्या पता, की हमारी रूहमें वो बस चुके हैं,
तभी तो मिलनेंकी हम, फरियाद नहीं करते !

1427
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं,
इस जुर्ममें जनाब…
नजरें जब मिली थी......
मुस्कराए तुम भी थे !!!

1428
उनकी यादोंको हमने सूफ़ियाना रखा,
अपने दिलमें उनका आशियाना रखा,
जितनी बार हमने उनसे मिलनेकी कोशिश की,
उसने हर बार एक नया बहाना रखा...

1429
कोई कह दे उनसे जाकर,
की छतपें ना जाया करे...
शहरमें बेवजह,
ईदकी तारीख बदल जाती हैं......

1430
एक बीज " मोहब्बत " का,
क्या बो दिया यारों...
सारी फसल " दर्द " की,
काटनी पडी......ll

20 June 2017

1421 - 1425 दिन दर्द बारिश ख़ुशियाँ अकेले भीड़ गुज़र ख़्याल फुरसत बेवजह आसमान इंतज़ार मुस्कुरा यकीन बात शायरी


1421
दर्दकी बारिशोंमें हम अकेले ही थे,
जब बरसी ख़ुशियाँ . . .
न जाने भीड़ कहाँसे आ गई.......

1422
गुज़र गया आजका दिन भी,
युँ ही बेवजह...
ना मुझे फुरसत मिली...,
ना तुझे ख़्याल आया...!

1423
आज समानके तारोंने मुझे पूछ लिया;
क्या तुम्हें अब भी इंतज़ार हैं उसके लौट आनेका!
मैने मुस्कुराकर कहां;
तुम लौट आनेकी बात करते हो;
मुझे तो अब भी यकीन नहीं उसके जानेका !

1424
ख़्वाब ही ख़्वाब,
कब तलक देखूँ,
अब दिल चाहता हैं,
तुझको भी इक झलक देखूँ !

1425
खुदको लिखते हुए,
हर बार लिखा हैं 'तुमको'
इससे ज्यादा कोई,
जिंदगीको क्या लिखता !!

19 June 2017

1416 - 1420 दिल इश्क़ प्यारी निशानी सिलसिला दर्द उधारी खत्म आँख मेहरबानी कहानी हुस्न शायरी


1416
सिलसिला खत्म क्यों करना,
जारी रहने दो,
इश्क़में बाक़ी थोड़ी बहुत,
उधारी रहने दो...

1417
आज भी प्यारी हैं,
मुझे तेरी हर निशानी...
फिर चाहे वो दिलका दर्द हो,
या आँखोंका पानी...!

1418
आँखोंमें दोस्तो जो पानी हैं,
हुस्नवालोंकी ये मेहरबानी हैं,
आप क्यों सर झुकाए बैठे हैं,
क्या आपकी भी यहीं कहानी हैं...?

1419
सोचा ना था,
वो शख्स भी इतना जल्दी साथ छोड जाएगा.......!
जो मुझे उदास देखकर कहता था,
"मैं हूँ ना".....!!

1420
मुद्दतोंके बाद जब उनसे बात हुई,
तो मैने कहां...
कुछ झूठ ही बोल दो...
और वो हँसके बोले,
तुम्हारी "याद" बहुत आती हैं.......

18 June 2017

1411 -1415 प्यार मुकाम हद्द शहर भीड इंसान लब हंसी चेहरे नसीब परेशान जमीर फरेब आँख आँसू दौलत शायरी


1411
अपनोंके बीच अपना तुम मुकाम ढुँढते हो,
फिर शहरकी भीडमें क्यों इंसान ढुँढते हो l

खुदगर्जीकी हद्द तो प अपनी देखिए,
हाथोंमें सर लिए हरदम परेशान घुमते हो l

जमीरका फरेब कहें या कहें नसीब तेरा,
जब भी चुमते हो बस खिंजा ही चुमते हो l

निदामत नहीं दिखती कभी चेहरेपें तेरे,
तभी मक्तलमें तुम सुब्हो-शाम घुमते हो l

फायक हैं वे जिन्होने गरीबोंका प्यार देखा,
तुम जो हो, के दौलतमें भगवान ढुँढते हो l

1412
आँखोंमें आ जाते हैं आँसू,
फिरभी लबोंपें हंसी
रखनी पड़ती हैं
ये मुहब्बत भी
क्या चीज हैं यारों?
जिससे करते हैं
उसीसे छुपानी पड़ती हैं

1413
ख़ुशी कहाँ हम तो,
"गम" चाहते हैं,
ख़ुशी उन्हे दे दो,
जिन्हें "हम" चाहते हैं l
जबरदस्ती मत माँगना साथ,
कभी ज़िन्दगीमें किसीका,
कोई ख़ुशीसे खुद चलकर आये,
उसकी 'ख़ुशी' ही कुछ और होती हैं...ll

1414
मैने पूछ लिया-
क्यों इतना दर्द दिया कमबख़्त तूने ?
वो हँसी और बोली-
"मैं ज़िंदगी हूँ !
पगले तुझे जीना सिखा रही थी !!

1415
इस दुनियाँमें कोई किसीका,
हमदर्द नहीं होता l
लाशको बाजुमें रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं...
"और कितना वक़्त लगेगा . . .?"

1406 - 1410 दिल आँख आँसू ज़िन्दगी सूरज शाम मंज़र साथ तबाही अंदर अचानक शायरी


1406
वो रोज़ देखता हैं,
डूबते सूरजको इस तरह...
काश मैं भी किसी शामका ,
मंज़र होता ।

1407
कभी मुझको साथ लेकर,
कभी मेरे साथ चलके,
वो बदल गए अचानक,
मेरी ज़िन्दगी बदलके।

1408
बहुत अंदरतक,
तबाही मचा देता हैं ।
वो आँसू जो,
आँखसे बह नहीं पाता.......

1409
गर्मी तो बहोत बढ़ रही हैं,
फिरभी उनका दिल,
पिघलनेका नाम ही
नहीं ले रहा.......

1410
युँ तो गलत नहीं होते,
अंदाज चहेरोंके;
लेकिन लोग...
वैसे भी नहीं होते,
जैसे नजर आते हैं...!

16 June 2017

1401 - 1405 दिल खूब साथ मौका बिछड़ फुर्सत हाल शायरी


1401
गालिबने भी क्या खूब लिखा हैं...
दोस्तोंके साथ जी लेनेका...
एक मौका देदे ऐ खुदा,
तेरे साथ तो मरनेके बाद भी रह लेंगे ।

1402
बिछड़ते वहीं हैं,
जो साथ चलते हैं...
वरना आगे-पीछे तो,
हजारो होते हैं !!

1403
मेरे दोस्त,
फुर्सत मिले तो उन दीवानोंका,
हाल भी पूछ लिया करो,
जिनके सीनेमें दिलकी जगह,
तुम धड़कते हो...

1404
माना की मोहब्बतका हम,
इजहार नहीं करते...
इसका मतलब ये तो नहीं,
की हम प्यार नहीं करते......!

1405
काश तू भी बन जाए,
तेरी यादोंकी तरह...
न वक़्त देखे, न बहाना,
बस चली आये ।।

15 June 2017

1400 सायें यकीन अंधेरा साया शायरी


1400
अपने सायेंसे भी ज्यादा,
यकी मुझे तुझपर हैं,
मेरे मालिक...
क्युँकी अंधेरोंमें तू मिल जायेगा,
पर साया नहीं मिलेगा...l

1399 प्यार सांवरी आरज़ू डर गुस्ताखी नाराज़ खामोश धड़कन शायरी


1399
ऐ सांवरी सुन ना....

एक आरज़ू सी दिलमें,
अक्सर छुपाये फिरता हूँ…
प्यार करता हूँ तुझसे,
पर कहनेसे डरता हूँ…
नाराज़ ना हो जाओ,
कहीं मेरी गुस्ताखीसे तुम…
इसलिए खामोश रहकर भी,
तेरी धड़कनको सुना करता हूँ. . .