1751
इश्क़में ख़्वाबका ख़याल,
किसे न लगी आँख़...
जबसे आँख़ लगी...!
मीर मोहम्मद हयात हसरत
1752
लाजिमी नहीं की आपको,
आँख़ोंसे ही देख़ुं...
आपको सोचना आपके,
दीदारसे कम नहीं.......!
1753
इश्क़ न होनेके,
सिर्फ दो तरीके हैं...
या तो दिल न बना होता,
या तुम ना बनी होती !
1754
आँख़ोंकी बात हैं,
आँख़ोंको ही कहने दो,
कुछ लफ़्ज़ लबोंपर,
मैले हो जाते हैं...
1755
वार तो आप किये जा रहीं हैं...
और कातिल हमें कहे जा रहीं हैं...!!!