2996
मैं थोड़ी देर
तक बैठा रहा,
उसकी आँखोंके
मैखानेमें;
दुनियाँ मुझे आज
तक...
नशेका
आदि समझती हैं।
2997
लफ्ज़ोंके हेर फेरका,
धन्दा भी
ख़ूब हैं;
जाहिल हमारे शहरके,
उस्ताद हो गऐ...!
2998
मोहब्बत
तो,
जीना सिखाती हैं, जनाब...
और ना मिले
तो,
पीना सिखाती हैं.......!
2999
ऐ दिल तेरे.......
किस-किस
सवालका जवाब
दें...
बेहतर यही होगा,
तुझे अब सीनेसे निकाल दें.......
3000
कभी तो मिल
तू मुझे...
किसी गुलाब सा,
मैं भँवरेसी तुझे,
ज़र्रा ज़र्रा ढूंढती
हूँ...