18 April 2019

4146 - 4150 उम्र मुहब्बत मेहसूस वजूद नुक़्स कोशिश फासला सवाल शौक होश तलाश शायरी


4146
उम्र जाया कर दी,
औरोंके वजूदमें नुक़्स निकालते निकालते...
इतना खुदको तराशते,
तो खुदा हो जाते.......!

4147
मिटानेकी कोशिश,
तुमने भी की, हमने भी की...
हमने फासला और,
तुमने हमारा वजूद...

4148
राख होता हुआ वजूद,
मुझसे थककर सवाल करता हैं;
मुहब्बत करना तेरे लिए,
इतना ही जरुरी था क्या...?

4149
बहुत शौक था मुझे,
सबको जोडकर रखनेका;
होश तब आया जब,
खुदके वजूदके टुकडे हो गये...

4150
कभी शब्दोमें तलाश,
करना जू मेरा;
मैं उतना लिख नही पाता,
जितना मेहसूस करता हूँ...!

17 April 2019

4141 - 4145 दिल धड़कन इश्क़ मर्जी मुमकिन आईना नज़र रुख वजूद शायरी


4141
उनकी मर्जीसे ढल जाऊँ,
हर बार ये मुमकिन नहीं;
मेरा भी वजूद हैं,
मैं कोई आईना नहीं...!

4142
तेरे वजूदमें मैं,
काश यूँ उतर जाऊँ...
देखे ना और मैं,
तुझे नज़र ऊँ.......!

4143
दिलोंमें रहता हूँ,
धड़कने थमा देता हूँ;
मैं इश्क़ हूँ,
वजूदकी धज्जियाँ उड़ा देता हूँ...!

4144
मेरे वजूदमें काश तू उतर जाए...
मैं देखूँ आईना और तू नज़र आए...
तू हो सामने और वक्त ठहर जाए...
ये जिंदगी तूझे यूँ ही देखते हुए गुज़र जाए...!

4145
'तिनका' हूँ तो क्या हुआ,
'वजूद' हैं मेरा;
उड़ उड़के हवाका,
'रुख' तो बताता हूँ...

16 April 2019

4136 - 4140 ज़िन्दगी सुख निगाह वक्त राहत राहें रहबर मंजिल तलाश भीड़ वजूद शायरी


4136
तुमसे मिलनेसे पहले,
ज़िन्दगी... ज़िन्दगी कहाँ थी;
एक खुला आसमान था,
एक बे'परवाह उड़ान थी और...
निगाहोंमें ना'मालूमसी तलाश...

4137
मैं निकला सुखकी तलाशमें,
रस्तेमें खड़े दुखोने कहा;
हमें साथ लिए बिना,
सुखोंका पता नहीं मिलता जनाब...

4138
मत कर तलाश मंजिलोंकी,
खुदा खुद ही मंजिल दिखा देता हैं;
यूँ तो मरता नहीं कोई किसीके बिना...
वक्त सबको जीना सिखा देता हैं...

4139
दरिया तलाश कर, ना समन्दर तलाश कर,
राहत जहाँ मिले तुझे वो घर तलाश कर,
लोगोके पीछे चलनेसे कुछ फायदा नही,
जो राहें हक दिखाऐ वो रहबर तलाश कर...

4140
ढूंढ तो लेते उनको हम भी,
शहरमें भीड़ इतनी भी थी, साहब...
पर रोक दी तलाश हमने,
क्योंकि वो खोये नहीं थे, बदल गये थे...

15 April 2019

4131 - 4135 जिंदगी उम्र सुकून तोहफ़े आईना तज़ुर्बे प्यास गली सिमट तलाश वजूद शायरी


4131
उम्र गुज़र जाती हैं ये ढूँढनेमें,
कि ढूंढना क्या हैं ?
अंतमें तलाश सिमट जाती हैं इस सुकूनमें...
कि जो मिला वो भी कहाँ लेकर जाना हैं...

4132
मेरे ऐबोंको तलाशना,
बन्द कर देगें लोग...
मैं तोहफ़ेमें उन्हें अगर,
एक आईना दे दूँ.......!

4133
तलाश जिंदगीकी थी,
दूर तक निकल पड़े...
जिंदगी मिली नही,
तज़ुर्बे बहुत मिले.......!

4134
सुलगती रेतपर,
पानीकी अब तलाश नहीं...
मगर ये कब कहाँ हमने,
की हमे प्यास नहीं.......

4135
झाँकता रहूँगा मैं,
तेरी ही "गली" में...!
तलाश मुझे जब जब,
"चाँद" की होगी...!!!

14 April 2019

4126 - 4130 उम्र दुनिया आह खरोच जख़्म तरीका ख़याल खत्म तलाश वजूद शायरी


4126
यूँ तो ज़रा-सी खरोच थी वो...
मग़र तुम्हारी आहने,
जख़्म बहुत गहरा कर दिया...

4127
चलिए...
तलाशते हैं... कोई तरीका ऐसा,
मंद  "हवा" भी चले...
और "चिराग" भी जले.......!

4128
उम्रभर हम उन्हे तलाशते रहे...
और वो हैं के मेरे रूहमे बसे थे...!

4129
दुनिया तेरे वजूदको,
करती रही तलाश...
हमने तेरे ख़यालको,
दुनिया बना लिया...!

4130
हमारी तलाश तुमसे शुरू होती हैं,
और तुमपे ही खत्म हो जाती हैं...!
शायद हमारी दुनिया,
तुम तक ही सीमित हैं.......!
                                             भाग्यश्री

13 April 2019

4121 - 4125 नेकी जिंदगी धूप छाँव घाव रिश्ते नादां साथ सफ़र गम कहानी यार क़ब्र तलाश शायरी


4121
जिसके बदले,
तुम मिल जाओ;
मैं ऐसी किसी एक,
नेकीकी तलाशमें हूँ...

4122
जिंदगीकी धूपमें,
छाँव तलाशता हूँ...
कहाँसे टूट गये ये रिश्ते,
वो घाव तलाशता हूँ.......

4123
हम नादां थे जो उन्हें,
हमसफ़र समझ बैठे;
वो चलते थे मेरे साथपर,
किसी औरकी तलाशमें...

4124
जाने कबसे तलाश थी,
एक ऐसे रहगुजरकी...
जिससे गम भी बाँट ले और,
कहानी भी बतानी पड़े...

4125
तलाश--यारमें,
उड़ता हुआ ग़ुबार हूँ मैं;
पड़ी हैं लाश मेरी और,
क़ब्रसे फ़रार हूँ मैं...!

12 April 2019

4116 - 4120 मंजिल रास्ता कदम सवाल जबाब कहानी लब नाज प्यास वक्त मंजिल शायरी


4116
ना जाने कौन बन गया,
मंजिल उनकी...
हम रास्तोंकी तरह उनके,
कदमोंमें रह गये.......

4117
सवाल कुछ भी हो,
जबाब तुम ही हो...
रास्ता कोई भी हो,
मंजिल तुम ही हो...!

4118
हर शाम कह जाती हैं एक कहानी,
हर सुबह ले आती हैं एक नई कहानी;
रास्ते तो बदलते हैं हर दिन लेकिन,
मंजिल रह जाती हैं वहीं पुरानी...!

4119
जिंदगीका रास्ता,
बना बनाया नहीं मिलता;
जिसने जैसा रास्ता बनाया,
उसे वैसी मंजिल मिली...!

4120
बहुत ही नाजोसे चूमा उसने,
लबोंको मेरे मरते क्त;
कहने लगे मंजिल आखिरी हैं,
रास्तेमें कहीं प्यास ना लग जाये...!!!

4111 - 4115 इंतजार मेहबूब रिश्ता उदास रूख़सार पलकें वक्त बरसात याद पल यार हाल शायरी


4111
छलकता हैं नूर,
गुलाबी गालोंपे तेरा इस कदर...
रूख़सार देख,
गुस्ताख ये पलकें झपकती ही नहीं...!

4112
भिगी बारीशमे भिगिसी याद हैं l
भिगी पलकों तले छुपी बरसात हैं ll

4113
खुशनसीब हैं वो माशूका,
जिसकी इंतजारमें मेहबूब जो जागे...
हमारे ऐसे भाग कहां,
पलकोंपें किसीके हम रहे जो सदा...!

4114
वक्त कहता हैं,
मैं फिर आऊँगा;
मुझे खुद नहीं पता,
तुझे हसाऊँगा या रुलाऊँगा;
जीना हैं तो इस पलको जी ले,
             क्योंकि...
मैं किसी भी हालमें इस पलको,
अगले पल तक रोक पाऊँगा...

4115
कोई यार ऐसा बनाया जाए,
जिसके आंसू पलकोंमें छुपाया जाएँ,
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा की...
अगर वो रहे उदास तो,
मुझसे भी मुस्कुराया ना जाए...

11 April 2019

4106 - 4110 सुकून दफ़न दर्द बंजर जिंदगी जख्म आँखो प्यास पलकें याद शायरी


4106
खाली पलकें झुका देनेसे,
नींद नही आती हैं जनाब...
सोते वो लोग हैं जिनके पास,
किसीकी यादें नहीं होती...!

4107
तुम आँखोकी,
पलकोंसी हो गई हो...
के मिले बिना,
सुकून ही नही आता...!

4108
अच्छा हैं आँखोंपर,
पलकोंका कफन हैं...
वरना तो इन आँखोंमें,
बहुत कुछ दफ़न हैं...!

4109
बहुतसा पानी छुपाया हैं,
मैने अपनी पलकोंमें...
जिंदगी लम्बी बहुत हैं,
क्या पता कब प्यास लग जाए...

4110
पलकोंके किनारे,
दर्द बंजरसे पड़ा हैं;
कोई ऐसा जख्म दो आज,
फिर हमें जी भरके रोना हैं...

10 April 2019

4101 - 4105 दिल ज़िन्दगी हवा पल महक वहम साथ रिश्ते होंठ शायरी


4101
रब करे मेहर,
मैं हवा बन जाऊँ...
छू लूँ तुझे,
पलभरमें महक जाऊँ...!

4102
उड़ रही हैं,
पल पल ज़िन्दगी रेतसी;
और हमको वहम हैं कि,
हम बडे हो रहे हैं...

4103
ज़िंदा हैं अब भी...
मेरी दिलमें वो सभी पल;
जो अब तक हमने,
साथमें गुज़ारे भी नहीं...!

4104
मिलते रहना सबसे,
किसी ना किसी बहानेसे...
रिश्ते मजबूत बनते हैं,
दो पल साथ बितानेसे...!

4105
एक प्यालेकी तरह,
मिली थी तुम हमसे...
होंठोंसे एक पलका लगाया और,
लत जिंदगीभरकी लग गई...!