15 April 2019

4131 - 4135 जिंदगी उम्र सुकून तोहफ़े आईना तज़ुर्बे प्यास गली सिमट तलाश वजूद शायरी


4131
उम्र गुज़र जाती हैं ये ढूँढनेमें,
कि ढूंढना क्या हैं ?
अंतमें तलाश सिमट जाती हैं इस सुकूनमें...
कि जो मिला वो भी कहाँ लेकर जाना हैं...

4132
मेरे ऐबोंको तलाशना,
बन्द कर देगें लोग...
मैं तोहफ़ेमें उन्हें अगर,
एक आईना दे दूँ.......!

4133
तलाश जिंदगीकी थी,
दूर तक निकल पड़े...
जिंदगी मिली नही,
तज़ुर्बे बहुत मिले.......!

4134
सुलगती रेतपर,
पानीकी अब तलाश नहीं...
मगर ये कब कहाँ हमने,
की हमे प्यास नहीं.......

4135
झाँकता रहूँगा मैं,
तेरी ही "गली" में...!
तलाश मुझे जब जब,
"चाँद" की होगी...!!!

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