8 April 2019

4091 - 4095 जिन्दगी अनकहे अनसुने आदत आशियाँ मौजुद दूरियाँ साथ मौत पल शायरी


4091
एक थमा हुआ हैं पल शायद,
कुछ अनकहे अनसुने जजबातोके लिए;
पलभरमें ही जी लेंगे वो पल,
शायद कुछ खास वादोके लिए...।

4092
हस्ती मिट जाती हैं, आशियाँ बनानेमें,
बहुत मुस्किल होती हैं अपनोको समझानेमें...
एक पलमें किसीको भुला ना देना,
जिन्दगी लग जाती हैं किसीको अपना बनानेमें...

4093
आदतसी हो गयी तुम्हारी,
नामौजुदगीकी... काश;
वो पल भेंट करू जिन्दगीको,
जो साथ बितांये थे.......!

4094
यूँ तो तेरे मेरे दरमियान हैं,
मीलोंकी दूरियाँ...
पर ऐसा कोई पल नहीं,
जिस पलमें तू मेरे साथ नहीं...!

4095
जिन्दगीको ज़िन्दगीभर,
मनाते रहे हम...
मौत आई और एक पलमें,
मना कर ले गई.......!

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