14 April 2019

4126 - 4130 उम्र दुनिया आह खरोच जख़्म तरीका ख़याल खत्म तलाश वजूद शायरी


4126
यूँ तो ज़रा-सी खरोच थी वो...
मग़र तुम्हारी आहने,
जख़्म बहुत गहरा कर दिया...

4127
चलिए...
तलाशते हैं... कोई तरीका ऐसा,
मंद  "हवा" भी चले...
और "चिराग" भी जले.......!

4128
उम्रभर हम उन्हे तलाशते रहे...
और वो हैं के मेरे रूहमे बसे थे...!

4129
दुनिया तेरे वजूदको,
करती रही तलाश...
हमने तेरे ख़यालको,
दुनिया बना लिया...!

4130
हमारी तलाश तुमसे शुरू होती हैं,
और तुमपे ही खत्म हो जाती हैं...!
शायद हमारी दुनिया,
तुम तक ही सीमित हैं.......!
                                             भाग्यश्री

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