4156
कर दे नज़रे
करम मुझपर,
मैं तुझपे ऐतबार कर
दूँ,
दीवाना हूँ तेरा
ऐसा,
कि दीवानगीकी हदको पर कर
दूँ...
4157
यूँ तो लिखनेको,
दो-चार
लाइने लिखते हैं लोग;
पर आँखे तेरी
ऐसी कि,
पूरी
किताब लिख दूँ...!
4158
जरूर कोई तो
लिखता होगा,
कागज और पत्थरका भी नसीब...
वरना ये मुमकिन
नहीं की,
कोई पत्थर ठोकर खाये
और...
कोई पत्थर भगवान् बन
जाये,
और कोई कागज
रद्दी और...
कोई कागज गीता बन
जाये.......!
4159
भाग्य लिखने वाले,
तुझे
एक मशवरा हैं मेरा...
कुछ अच्छा ही लिख
दिया कर,
बुरे
के लिए तो
अपने ही बहुत
हैं...!
4160
आओ आज,
महफ़िल सजाते हैं...
तुम्हें
लिखकर,
तुम्हें
ही सुनाते हैं...!
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