10 April 2019

4101 - 4105 दिल ज़िन्दगी हवा पल महक वहम साथ रिश्ते होंठ शायरी


4101
रब करे मेहर,
मैं हवा बन जाऊँ...
छू लूँ तुझे,
पलभरमें महक जाऊँ...!

4102
उड़ रही हैं,
पल पल ज़िन्दगी रेतसी;
और हमको वहम हैं कि,
हम बडे हो रहे हैं...

4103
ज़िंदा हैं अब भी...
मेरी दिलमें वो सभी पल;
जो अब तक हमने,
साथमें गुज़ारे भी नहीं...!

4104
मिलते रहना सबसे,
किसी ना किसी बहानेसे...
रिश्ते मजबूत बनते हैं,
दो पल साथ बितानेसे...!

4105
एक प्यालेकी तरह,
मिली थी तुम हमसे...
होंठोंसे एक पलका लगाया और,
लत जिंदगीभरकी लग गई...!

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