22 April 2019

4166 - 4170 मोहब्बत याद ज़िंदगी नशा मशहूर दर्द ऐतबार ख़्वाहिश गज़ल इंतज़ार शायरी


4166
तेरी यादोंके नशेमें,
अब चूर हो रहा हूँ...
रोज लिखता हूँ तुम्हें,
और मशहूर हो रहा हूँ...!

4167
"शायरियोंसे बुरा,
लगे तो बता देना;
दर्द बाँटनेके लिए लिखता हूँ,
दर्द देनेके लिए नहीं...!"

4168
बे-शुमारसा कुछ लिखना था...
मैने तुझपे ऐतबार लिख दिया...!!!

4169
एक आख़री ख़त,
लिखनेकी ख़्वाहिश थी मेरी...
पर सुना हैं,
पता बदल गया हैं उनका...

4170
फिर आज कोई गज़ल,
तेरे नाम ना हो जाए...
आज कही लिखते लिखते,
शाम ना हो जाए...
कर रहे हैं इंतज़ार,
तेरे इज़हार--मोहब्बतका...
इसी इंतज़ारमे ज़िंदगी,
तमाम ना हो जाए.......

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