4111
छलकता हैं नूर,
गुलाबी गालोंपे तेरा
इस कदर...
रूख़सार
देख,
गुस्ताख
ये पलकें झपकती
ही नहीं...!
4112
भिगी बारीशमे भिगिसी
याद हैं l
भिगी पलकों तले छुपी
बरसात हैं ll
4113
खुशनसीब
हैं वो माशूका,
जिसकी इंतजारमें मेहबूब
जो जागे...
हमारे ऐसे भाग
कहां,
पलकोंपें किसीके हम रहे
जो सदा...!
4114
वक्त कहता हैं,
मैं फिर न
आऊँगा;
मुझे खुद नहीं
पता,
तुझे हसाऊँगा या रुलाऊँगा;
जीना हैं तो
इस पलको
जी ले,
क्योंकि...
मैं किसी भी
हालमें इस
पलको,
अगले पल तक
रोक न पाऊँगा...
4115
कोई यार ऐसा
बनाया जाए,
जिसके आंसू
पलकोंमें छुपाया
जाएँ,
रहे उसका
मेरा रिश्ता कुछ
ऐसा की...
अगर वो रहे
उदास तो,
मुझसे भी मुस्कुराया
ना जाए...
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