3 April 2019

4066 - 4070 दिल इश्क बाते कशिश शिद्दत याद महक फिजा मुद्दतें ख्वाब बारिश मौसम शायरी


4066
भिगे भिगे मौसमकी,
भीगी भीगी बाते...
ना तुम सामने आते...
ना दिलसे जाते...!

4067
इस बारिशके मौसममें,
अजीबसी कशिश हैं...
चाहते हुए भी कोई,
शिद्दतसे याद आता हैं...!

4068
मौसम--इश्क हैं,
ये जरा खुश्क हो जायेगा।
उलझिये हमसे जनाब,
नहीं तो इश्क हो जायेगा।।

4069
वो बारिशके मौसममें,
मिट्टीकी जो महक आती हैं...
कुछ यूहीं ये फिजा हो जाती हैं,
जब वो मुस्कुराती हैं.......!

4070
मुद्दतें लगीं बुननेमें,
ख्वाबकी ऊनी;
तैयार हुआ तो,
मौसम बदल चुका था...

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