4161
अच्छी नसीहतोंका असर,
आज कल इसलिए
नहीं होता;
क्योंकि
लिखनेवाले और
पढ़ने वाले,
दोनों
ये समझते हैं
कि, ये दूसरोंके लिए हैं...
4162
बडा मुश्किल हैं,
जज्बातोको कागज पर
उतारना...
हर दर्द महसुस
करना पडता हैं,
लिखनेसे पहले.......
4163
मैं अगर नशेमें लिखने लगूँ...
खुदा कसम...
होश आ जाए
तुम्हें.......!
4164
वो ''पानी'' पर इश्क़,
लिखकर भूल
गयी...
हम आज भी
आँखोंमें,
समंदर भरकर
बैठे हैं.......
4165
होंठोपर मेरे
सिर्फ...
ऊँगली रखकर
गए थे वो......
और उस दिनके बाद...
हम सिर्फ लिखकर बोलते
हैं.......!
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