20 April 2019

4151 - 4155 शौक जज्बात जरिया बात तक़दीर कामयाबी लक़ीर साँसें लफ़्ज़ शायरीह


4151
लिखते हैं सदा,
उन्हीके लिए...
जिन्होंने हमे कभी,
पढ़ा ही नहीं.......!

4152
नहीं लिखते हथेलियोंपर,
अब तुम्हारा नाम...
कारोबारमें सबसे,
हाथ मिलाना पड़ता हैं.......!

4153
शौक हीं हैं मुझे जज्बातोंको,
यूँ सरेआम लिखनेका...
मग़र क्या करूँ जरिया बस हीं हैं,
अब तुझसे बात करनेका.......!

4154
लिख सकते किसीकी तक़दीर अगर,
आपकी तक़दीरमें हर ख़ुशी लिख देते हम;
जो मोड़ कामयाबी दिलाये आपको,
हर लक़ीरको उस तरफ मोड़ देते हम...!

4155
छोड़ तो दूँ मैं लिखना,
अभीके अभी, मगर...
किसीकी साँसें चलती हैं,
लफ़्ज़ोंसे मेरी.......!

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