17 April 2019

4141 - 4145 दिल धड़कन इश्क़ मर्जी मुमकिन आईना नज़र रुख वजूद शायरी


4141
उनकी मर्जीसे ढल जाऊँ,
हर बार ये मुमकिन नहीं;
मेरा भी वजूद हैं,
मैं कोई आईना नहीं...!

4142
तेरे वजूदमें मैं,
काश यूँ उतर जाऊँ...
देखे ना और मैं,
तुझे नज़र ऊँ.......!

4143
दिलोंमें रहता हूँ,
धड़कने थमा देता हूँ;
मैं इश्क़ हूँ,
वजूदकी धज्जियाँ उड़ा देता हूँ...!

4144
मेरे वजूदमें काश तू उतर जाए...
मैं देखूँ आईना और तू नज़र आए...
तू हो सामने और वक्त ठहर जाए...
ये जिंदगी तूझे यूँ ही देखते हुए गुज़र जाए...!

4145
'तिनका' हूँ तो क्या हुआ,
'वजूद' हैं मेरा;
उड़ उड़के हवाका,
'रुख' तो बताता हूँ...

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