4141
उनकी मर्जीसे ढल
जाऊँ,
हर बार
ये मुमकिन नहीं;
मेरा भी वजूद
हैं,
मैं कोई
आईना नहीं...!
4142
तेरे वजूदमें मैं,
काश यूँ उतर
जाऊँ...
देखे आईना
और मैं,
तुझे नज़र आऊँ.......!
4143
दिलोंमें रहता
हूँ,
धड़कने थमा
देता हूँ;
मैं इश्क़ हूँ,
वजूदकी धज्जियाँ उड़ा
देता हूँ...!
4144
मेरे वजूदमें
ऐ काश तू
उतर जाए...
मैं देखूँ आईना और
तू नज़र आए...
तू हो सामने
और वक्त ठहर
जाए...
ये जिंदगी तूझे यूँ
ही देखते हुए
गुज़र जाए...!
4145
'तिनका'
हूँ तो क्या
हुआ,
'वजूद' हैं मेरा;
उड़ उड़के
हवाका,
'रुख' तो बताता
हूँ...
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