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भोले बनक़र हाल न पूछ,
बहते हैं अश्क़ तो बहने दो...
ज़िससे बढ़े बेचैनी दिलक़ी,
ऐसी तसल्ली रहने दो.......
आरज़ू लखनवी
7807बेचैन इस क़दर था क़ि,सोया न रातभर ;पलक़ोंसे लिख़ रहा था,तिरा नाम चाँदपर...!
7808
मेरे बेचैन ख़्यालोंपें,
उभरने वाली,
अपने ख़्वाबोंसे न बहला,
मेरी तन्हाईक़ो.......
क़तील शिफ़ाई
7809बड़ी मुश्किलसे सीख़ा हैं,ख़ुश रहना उनक़े बगैर...सुना हैं ये बात भी उन्हें,थोडा परेशान क़रती हैं...!!!
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उसे बेचैन क़र ज़ाऊँगा मैं भी,
ख़ामोशीसे गुज़र ज़ाऊँगा मैं भी...!