2 December 2021

7926 - 7930 दिल ख़्याल प्यार चींख़ क़यामत उदासियाँ क़ोशिश निग़ाह शौक़ बेक़रार शायरी

 

7926
बेक़रारी देख़ी हैं,
तो मेरा ज़ब्त देख़ो...
इतना चुप रहूँग़ा क़ी,
चींख़ उठोग़े तुम.......

7927
दिलक़ी बेक़रार उमंग़ोपें,
क़रम फ़रमा l
इतना रुक़रुक़क़े चलोग़ी तो,
क़यामत होग़ी...ll

7928
देख़ा ज़ो मुफ़िसोंक़े,
मक़ानोंमें झाँक़क़र...
बेचैनियाँ उदासियाँ,
सिसक़ारियाँ मिलीं...

7929
क़रार देक़र क़भी,
बेक़रार क़रते हो...
ग़ले लग़ाक़र क़हो,
क़ितना प्यार क़रते हो...!!!

7930
इतनी क़ोशिश तो हो,
निग़ाह--शौक़में शाक़ी...
इधर दिलमें ख़्याल आऐ,
उधर वो बेक़रार हो ज़ाए.......!

1 December 2021

7921 - 7925 दीदार ख़ामोश तमन्ना ख़्याल ख़्वाब इंतज़ार बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7921
बेक़रारी भी मेरी देख़ती हैं,
अब हमारा सबर भी देख़ना...
इतना ख़ामोश हो ज़ाएँग़े क़े,
ख़ुद रो पड़ोग़े.......

7922
उफ्फ़ दिल बेक़रारक़ी,
ये तमन्ना तो देख़ो...
क़्या होता ज़ो हम भी,
पहलु--यारमें सोते...

7923
बेक़रार क़र देता हैं,
हर एक़ ख़्याल तेरा...
एक़ तू हैं ज़िसक़ो,
ना आता हैं ख़्याल मेरा...

7924
बड़ी तलब हैं तेरे दीदारक़ी,
मेरी बेक़रार निगाहोंक़ो...
क़िसी शाम चले आओ,
आँख़ोंमें रातोंक़ा ख़्वाब बनक़र...

7925
नज़र नज़र बेक़रारसी हैं,
नफ्सम नफ्समें शरार सा हैं l
मैं ज़नता हूँ तुम ना आओग़े,
फ़िरभी क़ुछ इंतज़ार सा हैं ll

30 November 2021

7916 - 7920 दिल याद ज़िन्दग़ी मासूम दर्द बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7916
क़ोई दिल नहीं ज़हाँमें,
ज़िसे हो क़रार हासिल...
क़ोई बेक़रार ज़्यादा,
क़ोई बेक़रार क़म हैं.......!

7917
अक़ेलापन नहीं ख़लता,
उदासी भाग ज़ाती हैं l
क़भी ज़ब बेक़रारीमें,
तुम्हारी याद आती हैं ll

7918
बेक़रारी ही बेक़रारी हैं,
ज़ो ग़ुज़ारी ना ज़ा सक़े हमसे...
हमने वो ज़िन्दग़ी ग़ुज़ारी हैं.......

7919
मासूम बेक़रारी हैं,
मेरे ख़मीरमें ;
उड़ती हैं मेरी खाक़,
उडा़ता नहीं हूँ मैं.......

7920
ये बेचैनी, ये बस्कूनी,
ये बेक़रारी...
ज़ब तू मेरा नहीं हैं,
तो ये दर्द मेरा क्यों हैं...?

26 November 2021

7911 - 7915 आँख़ें बग़ैर नींद ज़िन्दग़ी तनहाई ख़्याल ख़्वाब क़दम बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7911
ग़ुज़र तो ज़ाएग़ी,
तेरे बग़ैर भी लेक़िन...
बहुत उदास,
बहुत बेक़रार ग़ुज़रेग़ी...

7912
बेक़रारीमें इन आँख़ोंक़ो,
क़रार आता हैं...
ज़ब भी तुम ख़्वाबोंमें आते हो,
ज़िन्दग़ीक़ी तरह.......!!!
वाज़िद

7913
नींद और तुम,
क़हाँपर रहते हो...
दोनो ही रातभर,
नहीं आते.......

7914
रुक़े रुक़ेसे क़दम,
रुक़क़े बार बार चले...
क़रार लेक़े तेरे दरसे,
बेक़रार चले.......
ग़ुलज़ार

7915
शाम--तनहाईमें,
इज़ाफ़ा बेक़रारी...
एक़ तेरा ख़्याल ज़ाना,
दूसरा तेरा ज़वाब ना आना...

25 November 2021

7906 - 7910 दिल क़तरा पल मोहब्बत आँख़ बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7906
बूंद बूंद बेक़रारी हमारी,
क़तरा क़तरा मोहब्बत तुम्हारी...!

7907
क़हें ख़ुद हाले दिल अपना,
ये नौबत ही नहीं आती...
बता देते हैं राज़े बेक़रारी,
आँख़क़े आँसू.......
साजन पेशावरी

7908
तुमसे मिलनेक़ो,
बेक़रार था दिल...
तुमसे मिलक़र भी,
दिल बेक़रार रहा...!

7909
तेरे फ़िराक़क़ी.
बेचैनियाँ ही क़्या क़म थी...
ज़ो याद और.
चली रही हैं तड़पाने...
जमील अजमेरी

7910
क़ुछ पलक़ा,
साथ देक़र तुमने...
पल पलक़े लिए,
बेक़रार क़र दिया.......

24 November 2021

7901 - 7905 दिल ज़ुदा नज़र मासूम आहट इंतजा़र शाम फरेब दर्द बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7901
मासूम बेक़रारी हैं,
मेरे ख़मीरमें...
उड़ती हैं मेरी ख़ाक़,
उड़ाता नहीं हूँ मैं.......

7902
आहटपें क़ान, दर्दपें नज़र,
दिलमें इज़तराब...
क़ुछ इस तरहक़ी बेक़रारी हैं,
तेरे इंतजा़रक़ी.......

7903
उदासी शाम क़सक़,
यादोक़ी बेक़रारी...
मुझे सब सौंपकर,
सूरज उतर ज़ाता हैं पानीमें...

7904
इतना बेक़रार ना हो,
मुझसे बिछड़नेके लिए...
तुम्हें नज़रोंसे नहीं,
दिलसे ज़ुदा क़रना हैं.......

7905
समझ लिया फरेबसे,
मुझे तो आपने...
दिलसे तो पूछ लीजिये,
बेक़रार क़्यों हैं.......

22 November 2021

7896 - 7900 दिल इश्क़ ज़ालिम शरारत शिक़ायत नज़ाक़त मोहब्बत शौंक़ बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7896
बड़ी मुश्क़िलसे दिलक़ी,
बेक़रारीक़ो क़रार आया...
मुझे ज़िस ज़ालिमने तड़पाया,
उसीपें मुझक़ो प्यार आया.......!!!

7897
अज़बसी बेक़रारी हैं,
दिन भी भारी था ;
रात भी भारी हैं,
अग़र मेरा दिल तोड़ना हैं तो ;
शौंक़से तोड़िए,
क्योंक़ि चीज़ ये हमारी नहीं,
तुम्हारी हैं.......!!!

7898
शरारत होती,
शिक़ायत होती l
नैनोंमें क़िसीक़े,
नज़ाक़त होती l
होती बेक़रारी,
होते हम तन्हा,
अग़र ज़हाँमें क़मबख़्त,
ये मोहब्बत होती...ll

7899
हर एक़ शख़्स हैं,
अपने वज़ूदसे बाहर...
हर एक़ शख़्सक़े,
चेहरेपें बेक़रारी हैं.......

7900
दिलमें दर्द हैं,
आँख़ोमें बेक़रारी हैं...
हमक़ो लग़ी हैं इश्क़की,
अज़ीब बेमारी हैं.......

21 November 2021

7891 - 7895 इश्क़ तसव्वुर तन्हा सोच आँख़ आँसू क़तरा सुक़ून बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7891
सभीक़ो दुख़ था,
समंदरक़ी बेक़रारीक़ा...
क़िसीने मुड़क़े,
नदीक़ी तरफ़ नहीं देख़ा...

7892
इश्क़में चैन क़हूँ,
या आलम बेक़रारीक़ा...
तसव्वुर मरने नहीं देता,
तन्हा ज़ी नहीं सक़ते.......

7893
सोचा था उनसे,
दूर रहक़र शाद रहेंगे...
बेक़रारीसी बेक़रारी हैं,
और नाशाद हैं हम.......

7894
आँसू नहीं हैं आँख़में,
लेक़िन तेरे बग़ैर...
तूफ़ान छुपे हुए हैं,
दिल--बेक़रारमें.......

7895
बेक़रारी हैं क़भी,
पूरे समन्दरक़ी तरह...
और क़भी मिल ज़ाता हैं बस,
एक़ क़तरेमें सुक़ून.......

7886 - 7890 इश्क़ तस्वीर ख़्वाब सब्र इख़्तियार उलझन फ़रेब इंतेज़ार बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7886
आलम तो ये था क़ि,
दूरियाँ इतनी बढ़ ज़ाये...
पर बेक़रारी ने तो,
हद क़र दी.......!

7887
हम उनक़ा इंतेज़ार,
बेक़रारीसे क़रते रहे...
वो फ़रेबक़ा इख़्तियार,
बेक़द्रीसे क़रते रहे.......

7888
बेक़रारी इश्क़क़ी हैं,
ज़ाते ज़ाते ज़ाएग़ी...
सब्र आएग़ा तो, दिल...
आते आते आएग़ा.......!

7889
ना इंतज़ार, ना उलझन,
ना बेक़रारी हैं...
ना पूछ आज़ तेरी याद,
क़ितनी प्यारी हैं.......!!!

7890
तेरी तस्वीर ख़ुदमें हीं,
बेक़रारीक़ा साज़ो सामाँ हैं l
ख़ुमारियाँ क़हती हैं,
इम्तहाँ हैं इंतहाँ हैं,
ख़्वाबोंक़ी दास्ताँ हैं ll

19 November 2021

7881 - 7885 क़ैफ़ियत दिल इश्क़ ग़म तन्हाइयाँ सब्र फ़िक्र बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7881
क़ैफ़ियत ये बेक़रारीक़ी हैं,
अब हमक़ो अज़ीज़...
ये ख़ुमारी टूट ज़ाए तो,
बिख़र ज़ाएँगे हम.......

7882
फ़िक्र--बेक़रारीमें,
यूँ क़ाग़ज़ रहे सुर्ख़ होते l
क़लम चलती रहीं और,
मसाइल हलाक़ होते चले ग़ए ll

7883
वहीं शामक़ी परछाइयाँ,
दिलपें ग़मक़ी रानाइयाँ...
तक़ते बेक़रारीसे राहें,
मुझे घेरे हैं तन्हाइयाँ.......

7884
बेक़रारी दिले-बीमारक़ी,
अल्ला-अल्ला...
फ़र्शेग़ुल पर भी आना था,
आराम आया.......

7885
बेक़रारी इश्क़क़ी हैं,
ज़ाते ज़ाते ज़ाएग़ी...
सब्र आएग़ा तो,
दिल आते आते आएग़ा...!

18 November 2021

7876 - 7880 दिल दर्द शब आँख़ अश्क़ साँस उदास ग़फ़लत दीदार बेक़रारी प्यास बेक़रार शायरी

 

7876
दिलक़ी मेंरी बेक़रारी,
मुझसे क़ुछ पूछो नहीं...
शबक़ी मेरी आह--ज़ारी,
मुझसे क़ुछ पूछो नहीं.......

7877
आँख़में अश्क़, साँस भारी हैं...
ज़ाने क़्यों इतनी बेक़रारी हैं...?

7878
उम्रभर बस यहीं इक़ उदासी रहीं,
आपक़े दीदारक़ो आँख़ प्यासी रहीं,
आपक़े बाद ज़ानेक़े बस दो यहीं,
बेक़रारी रहीं बदहवासी रहीं.......

7879
दर्दसे मेरे हैं,
तुझक़ो बेक़रारी हाए हाए l
क़्या हुआ ज़ालिम,
तेरी ग़फ़लत शियारी हाए हाए ll

7880
ज़ो हो सक़े तो,
क़ोई टूटा हुआ वादा ही रख़ दे...
आँखोमें मेरी,
क़े आज़ बढ ग़यी हैं बेक़रारी,
हदसे क़हीं ज़्यादा मेंरी.......