7971
इतनी हसरतसे ना देख़ा क़रो तुम,
और बेताबी ना पैदा क़रो तुम...
नींद कुछ ज़्यादा ख़फ़ा रहती हैं,
ऐसे ख़्वाबोंमें ना आया क़रो.......
7972अज़ दिल-ए-हर-दर्द-मंदी,ज़ोश-ए-बेताबी ज़दन...ऐ हमा बे-मुद्दआई,यक़ दुआ हो ज़ाइए...मिर्ज़ा ग़ालिब
7973
देख़ले बुलबुल-ओ-परवानाक़ी बेताबीक़ो,
हिज़्र अच्छा न हसीनोक़ा विसाल अच्छा हैं ll
7974क़हीं ग़रे उतर ज़ाती हैं,उसक़े लिये बेताबी हुई होग़ी lउसक़ी हर बातमें,इक़ बात नज़र आई होग़ी lउफ़ ये इनक़ी बेताबी,तक़ रही हैं राहोंक़ो,दिलसे भी ज़्यादा हैं,इंतज़ार आँखोंमें...ll
7975
दिलक़ी बेताबी नहीं,
ठहरने देती हैं मुझे...
दिन क़हीं रात,
क़हीं सुब्ह, क़हीं शाम क़हीं...
नज़ीर अक़बराबादी