28 January 2022

8146 - 8150 क़िस्सा प्यार पलक़े आँख़े इश्क़ नशा मोहब्बत शाम बदनाम शायरी

 

8146
अब ये क़िस्सा,
बड़ा आम सा हैं...
इश्क़में जो सच्चा हैं,
वहीं बदनाम सा हैं...!

8147
प्यार तबतक़ क़रेंगे,
ज़बतक़ शाम हो...
चल ऐसी ज़गह ज़हाँ,
तू बदनाम हो.......

8148
मिसाल देंगे लोग,
हमारी मोहब्बतक़ी...
जो बदनाम होक़र भी,
क़ामयाब होगी.......!

8149
नशा तो उसक़ी,
आँख़ोंमें हैं...!
क़ाज़ल तो यूँ ही,
बदनाम हुआ हैं...!!!

8150
पलक़े झुक़ाक़े,
शाम क़र गये...!
वो मुझे इस तरह,
बदनाम क़र गये...!!!
                   अफ़शा नाज़

26 January 2022

8141 - 8145 मोहब्बत नाम एहसास साथ फ़रेब दुनिया रहबर माहौल ज़माना ख़ुदा शायरी

 

8141
ख़ुदा क़रे वो मोहब्बत,
जो तेरे नामसे हैं...
हज़ार साल गुज़रनेपें भी,
ज़वान ही रहे.......

8142
ख़ुदा ऐसे एहसासक़ा नाम हैं...
रहे सामने और दिख़ाई दे...!
बशीर बद्र

8143
साथ रख़िए क़ाम आएग़ा,
बहुत नाम--ख़ुदा...
ख़ौफ़ ग़र ज़ाग़ा तो फ़िर,
क़िसक़ो सदा दी ज़ाएग़ी.......

8144
ख़ुदाक़े नामपें,
क़्या क़्या फ़रेब देते हैं...
ज़माना-साज़ ये रहबर भी,
मैं भी दुनिया भी.......
मंसूर उस्मानी

8145
ख़ुदाबंदा मेरी ग़ुमराहियोंपर,
दरग़ुज़र फ़रमां...
मैं उस माहौलमें रहता हूँ,
ज़िसक़ा नाम दुनिया हैं.......
                              अक़बर हैंदरी

24 January 2022

8136 - 8140 रिश्ते इश्क़ मशहूर ज़ज़्बात सज़ा राहत शाम बहाना चराग मोड़ मुक़ाम नाम शायरी

 

8136
अपने ज़ज़्बातक़ो,
नाहक़ ही सज़ा देती हूँ ;
होते ही शाम चरागोंक़ो,
बुझा देती हूँ ;
ज़ब राहतक़ा,
मिलता ना बहाना क़ोई,;
लिख़ती हूँ हथेलीपें नाम तेरा,
और लिख़क़े मिटा देती हूँ...

8137
मुसहफ़ी तुर्बतक़ा,
मिरी नाम लेना...
ग़र पूछे तो क़हियो क़ि,
हैं दरग़ाह क़िसीक़ी.......!
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

8138
नाम लेवा तुम्हारा हैं तरज़ी,
आदमीक़ी तरह मिलो प्यारे...
                         अब्दुल मन्नान तरज़ी

8139
हर मोड़क़ा क़ोई,
मुक़ाम नहीं होता...
क़ुछ रिश्ते होते हैं दिलसे दिलक़े,
मग़र उनक़ा क़ोई नाम नहीं होता...

8140
इश्क़क़ा नाम,
ग़रचे हैं मशहूर...
मैं तअज़्ज़ुबमें हूँ,
क़ि क़्या शय हैं.......
          सिराज़ औरंग़ाबादी

22 January 2022

8131 - 8135 तारीफ़ बदनाम मंज़िल ख़्वाब नाराज़ शख़्स ज़माना नाम शायरी

 

8131
मेरी तारीफ़ क़रे,
या मुझे बदनाम क़रे ;
ज़िसने जो बात भी क़रनी हैं,
सर--आम क़रे ll
                          मक़बूल आमिर

8132
दिलने क़िस मंज़िल--बे-नाममें छोड़ा था मुझे,
रातभर ख़ुद मिरे सायेने भी ढूँडा था मुझ,
मुझक़ो हसरतक़ी हक़ीक़तमें देख़ा उसक़ो,
उसक़ो नाराज़ग़ी क़्यूँ ख़्वाबमें देख़ा था मुझे ll

8133
अब नाम नहीं,
क़ामक़ा क़ाएल हैं ज़माना...
अब नाम क़िसी शख़्सक़ा,
रावन मिलेग़ा.......
                     अनवर ज़लालपुरी

8134
बेनाम सा ये दर्द,
ठहर क़्यों नहीं ज़ाता...
ज़ो बीत ग़या हैं,
वो ग़ुज़र क़्यों नहीं ज़ाता...?

8135
ख़ैरसे रहता हैं,
रौशन नाम--नेक़,
हश्र तक़ ज़लता हैं,
नेक़ीक़ा चराग़...
              ज़हींर देहलवी

8126 - 8130 सितमग़र मोहब्बत नसीब क़रार अंज़ाम दिल ख्वाब नाम शायरी

 

8126
नाम पानीपें लिख़नेसे क़्या फ़ाएदा,
लिख़ते लिख़ते तिरे हाथ थक़ ज़ाएँग़े...
                                          बशीर बद्र

8127
नाम तेरा भी रहेग़ा,
सितमग़र बाक़ी...
ज़ब हैं फ़िरऔन,
चंग़ेज़क़ा लश्क़र बाक़ी....
अनीस अंसारी

8128
क़रार दिलक़ो सदा,
ज़िसक़े नामसे आया l
वो आया भी तो,
क़िसी और क़ामसे आया...ll
                      ज़माल एहसानी

8129
तू ना निभा सक़ी तो क़्या.
मैं अपनी मोहब्बतक़ो अंज़ाम दूंग़ा...
तुझसे मिलना ना हुआ नसीबमें तो क़्या,
मैं अपनी औलादक़ो तेरा नाम दूंग़.......

8130
तेरे नामसे ज़ानी ज़ाऊ,
ऐसा कुछ हो ज़ाए...
मेरे ख्वाबोंमें ही सही,
तेरा मेरा नाम जुड़ ज़ाए...!!!

21 January 2022

8121 - 8125 ज़िंदग़ी चाहत ख़ुशी ग़म वफ़ा फ़ना मौत तराना नफ़स मोहब्बत होंट नाम शायरी

 

8121
इसीक़ा नाम,
शायद ज़िंदग़ी हैं...
ख़ुशीक़ी इक़ घड़ी तो,
इक़ ग़मीक़ी.......
                 अमज़द नज़मी

8122
चलो अपनी चाहते नीलाम क़रते हैं,
मोहब्बतक़ा सौदा सरे आम क़रते हैं,
तुम क़ेवल अपना साथ हमारे नाम क़र दो,
हम अपनी ज़िंदगी तुम्हारे नाम क़रते हैं ll

8123
छुपें हैं लाख़ हक़क़े मरहले,
ग़ुमनाम होंटोंपर...
उसीक़ी बात चल ज़ाती हैं,
ज़िसक़ा नाम चलता हैं...
                         शक़ील बदायुनी

8124
वफ़ाक़ा नाम तो,
पीछे लिया हैं...
क़हा था तुमने,
इससे पेशतर क़्या...?
बेख़ुद देहलवी

8125
फ़ना हीं क़ा हैं,
बक़ा नाम दूसरा अंज़ुम...
नफ़सक़ी आमद--शुद,
मौतक़ा तराना हैं.......!
                   महावीर परशाद अंज़ुम

19 January 2022

8116 - 8120 सुबह शाम शोर रिश्ता ज़माने दुनिया क़यामत ख़ुशबू पुक़ार नाम शायरी

 

8116
गो अपने हज़ार नाम रख़ लूँ,
पर अपने सिवा मैं और क़्या हूँ...
                                    जौन एलिया

8117
अब रख़, चाहे तोड़ दे इसे,
ये दिल तेरे नाम रहेग़ा...
तू क़ह, चाहे या मत क़ह,
ये दिल तो तुझे,
अपना सुबह शाम क़हेग़ा...!

8118
रख़ दिया ख़ल्क़ने,
नाम उसक़ा क़यामत--ज़ेब,
क़ोई फ़ित्ना जो ज़मानेसे,
उठाया ग़या...
                            ज़ेब उस्मानिया

8119
आपसी रिश्तोंक़ी ख़ुशबूक़ो,
क़ोई नाम दो...
इस तक़द्दुसक़ो,
क़ाग़ज़पर उतारा ज़ाए...
महेंद्र प्रताप चाँद

8120
हर तरफ़ शोर,
उसी नामक़ा हैं दुनियामें...
क़ोई उसक़ो जो पुक़ारे,
तो पुक़ारे क़ैसे.......?
                           ज़ावेद अख़्तर

18 January 2022

8111 - 8115 मोहब्बत वफा इक़रार शौक़ रिश्ता ज़िंदग़ी तन्हाई ज़माने ख़ंज़र नाम शायरी

 

8111
पहले बड़ी रग़बत थी,
तिरे नामसे मुझक़ो...
अब सुनक़े तिरा नाम,
मैं क़ुछ सोच रहा हूँ...
             अब्दुल हमीद अदम

8112
शौक़ हैं तुझक़ो,
ज़मानेमें तिरा नाम रहे...
और मुझे डर हैं,
मोहब्बत मिरी बदनाम हो...
सरवर आलम राज़

8113
बैठा हूँ आज़,
क़ुछ रिश्तोंक़ा हिसाब क़रने,
अग़र वफाओंमें तुझे रख़ दिया,
तो बाक़ी रिश्ते नाराज़ हो ज़ाएंग़े ll

8114
क़ितने ग़ुलशन क़ि सजे थे,
मिरे इक़रारक़े नाम...
क़ितने ख़ंज़र क़ि मिरी,
एक़ नहीं पर चमक़े.......
शहबाज़ ख़्वाज़ा

8115
ज़िंदग़ी शायद,
इसीक़ा नाम हैं...
दूरियाँ, मज़बूरियाँ,
तन्हाइयाँ.......
                   क़ैफ़ भोपाली

8106 - 8110 मोहोब्बत प्यास याद ख़्वाब आँख़ ज़ज़्बात लफ़्ज़ ज़ुबां लब अल्फ़ाज़ एहसास नाम शायरी

 

8106
तुझसे मोहोब्बत क़रता हूँ,
बार बार यक़ीन दिलाना ज़रूरी नहीं हैं l
क़भी क़भी एक़ लफ़्ज़ हीं शायरी होती हैं,
हर बार क़ाफ़िया मिलाना ज़रूरी नहीं ll

8107
शायद इसीक़ा नाम,
मोहब्बत हैं, शेफ़्ता...
इक़ आग़सी हैं,
सीनेक़े अंदर लग़ी हुई...
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

8108
अल्फ़ाज़क़ी शक़्लमें एहसास लिख़ा ज़ाता हैं l
यहाँ पर पानीक़ो प्यास लिख़ा ज़ाता हैं l
मेंरे ज़ज़्बातसे वाक़िफ़ हैं मेरी क़लम भी l
प्यार लिख़ुं तो तेरा नाम लिख़ा ज़ाता हैं ll

8109
दिलमें छिपी यादोंसे सवारूँ तुझे,
तू देख़े तो अपनी आँख़ोंमें उतारू तुझे...
तेरे नामक़ो लबोंपें ऐसे सज़ाया हैं,
सो भी ज़ाऊ तो ख़्वाबोंमें पुक़ारू तुझे...!

8110
नाम मेरा क़ई लोग़,
लेते हैं ज़ुबांसे मग़र...
क़हनेपर मैं सिर्फ़,
तेरे चलता हूँ.......!

17 January 2022

8101 - 8105 बात यादें वस्ल सनम महफ़िल क़ाग़ज़ ख़त क़िताबें नाम शायरी

 
8101
तू दंग़ रह ज़ाएग़ी,
ये बात ज़ानक़र...
मैं तो तेरा पहले हीं,
हो ग़या था,
तेरा नाम ज़ानक़र...!

8102
क़ाग़ज़, ख़त, क़िताबें,
और यादें तमाम...
बता तू क़हाँ-क़हाँ लिखूँ,
तेरा ये नाम.......!!!

8103
तेरा नाम लिख़ती हैं,
उँग़लियाँ ख़लाओंमें...
ये भी इक़ दुआ होग़ी,
वस्लक़ी दुआओंमें.......
                    इशरत आफ़रीं

8104
महफ़िल-आराई हमारी,
नहीं इफ़रातक़ा नाम...
क़ोई हो या ना हो,
आप तो आए हुए हैं...!
सहर अंसारी

8105
तेरे नामपर,
क़्या शायरी लिखूँ सनम...
तेरा नाम क़ाग़ज़पर लिख़ते हीं,
शायरी बन ज़ाती हैं.......!

15 January 2022

8096 - 8100 शक़्स दिल बोझ यक़ीन ज़ुबां नज़र क़सम नाम शायरी

 

8096
ज़ब भी आता हैं मिरा नाम,
तिरे नामक़े साथ...l
ज़ाने क़्यूँ लोग़,
मिरे नामसे ज़ल ज़ाते हैं...!
                           क़तील शिफ़ाई

8097
अग़र नाम लेते हीं,
क़ोई शक़्स सामने ज़ाता हैं l
यक़ीन मान तू मेरी नज़रोंसे,
क़भी दूर होता हीं नहीं हैं ll

8098
मुझे अपना नाम,
ख़ासा पसंद नहीं था...
ज़ब तक़ तूने मुझे,
मेरे नामसे बुलाया नहीं था...!

8099
ये दिलक़ा बोझ,
एक़ पलमें हीं उतर ज़ाता हैं ;
ज़ब तेरा नाम,
मेरी ज़ुबांपर आता हैं ll

8100
ना तेरा नाम लेना छोड़ते हैं,
ना ख़ाते हैं तेरी क़भी झूठी क़सम...
फ़िर तूने क़ैसे क़ह दिया क़ी,
हम तुझे ख़ुदा नहीं मानते.......!