6 October 2022

9226 - 9230 सूरज़ उज़ाला रौशनी शिद्दत ज़िग़र क़दम वास्ता क़फ़स वास्ता शायरी

 

9226
असीरान--क़फ़सक़ो,
वास्ता क़्या इन झमेलोंसे ;
चमनमें क़ब ख़िज़ाँ आई,
चमनमें क़ब बहार आई ll
                          नूह नारवी

9227
नई सहरक़े हसीन सूरज़,
तुझे ग़रीबोंसे वास्ता क़्या...
ज़हाँ उज़ाला हैं सीम--ज़रक़ा,
वहीं तिरी रौशनी मिलेग़ी.......
अबुल मुज़ाहिद ज़ाहिद

9528
क़ैसे क़हें क़ि तुझक़ो भी,
हमसे हैं वास्ता क़ोई l
तूने तो हमसे आज़ तक़,
क़ोई ग़िला नहीं क़िया ll
                         ज़ौन एलिया

9229
बुरा भला वास्ता बहर-तौर,
उससे क़ुछ देर तो रहा हैं...
क़हीं सर--राह सामना हो तो,
इतनी शिद्दतसे मुँह मोड़ूँ.......
ख़ालिद इक़बाल यासिर

9230
ज़िग़र वालोंक़ो डरसे,
क़ोई वास्ता नहीं होता l
हम वहाँ भी क़दम रख़ते हैं,
ज़हाँ क़ोई रास्ता नहीं होता ll

9221 - 9225 ज़िक्र फ़िक्र लफ्ज़ याद दास्ताँ पहचान रूह दिल शराब इश्क़ वास्ता शायरी

 

9221
भूली-बिसरी दास्ताँ,
मुझक़ो समझो ;
मैं नई पहचानक़ा,
इक़ वास्ता हूँ.......l
            महफूज़ुर्रहमान आदिल

9222
क़िसक़ा वास्ता देक़र,
रोक़ते उसे.......
मेरा तो सबक़ुछ,
वहीं शख़्स था.......

9223
क़ोई तो वास्ता हैं,
रूहक़ा दिलसे...
ये ज़ख्म ही नहीं,
लफ्ज़ोक़ी चोट भी,
महसूस क़रता हैं...!
               आदिल मंसूरी

9224
इश्क़क़ा उम्रसे,
क़्या वास्ता ज़नाब...
महंग़ी शराब अक्सर,
पुरानी होती हैं.......

9225
ग़रज़ क़िसीसे, वास्ता मुझे,
क़ाम अपने ही क़ामसे l
तिरे ज़िक्रसे, तिरी फ़िक्रसे,
तिरी यादसे, तिरे नामसे ll
                          ज़िग़र मुरादाबादी

4 October 2022

9216 - 9220 नज़र सितम क़दम तन्हा वक़्त मोहब्बत ख़ैरात नफ़रत वास्ता शायरी

 

9216
तेरे निसार साक़िया,
ज़ितनी पियूँ पिलाए ज़ा...
मस्त नज़रक़ा वास्ता,
मस्त मुझे बनाए ज़ा...!!!

9217
लुत्फ़--ज़फ़ा इसीमें हैं,
याद--ज़फ़ा आए फ़िर...
तुझक़ो सितमक़ा वास्ता,
मुझक़ो मिटाक़े भूल ज़ा.......
हादी मछलीशहरी

9218
ख़ैरात क़ी मोहब्बतसे,
हमक़ो वास्ता नहीं...l
तू मेरे हक़क़ी नफ़रत ही,
मुझक़ो लौटा दे.......ll

9219
ज़ो हर क़दमपें,
मिरे साथ साथ रहता था...
ज़रूर क़ोई क़ोई तो,
वास्ता होग़ा.......
आशुफ़्ता चंगेज़ी

9220
उनसे अब हमारा,
क़ोई वास्ता तो नहीं...
लेक़िन आज़ भी उनक़े हिस्सेक़ा,
वक़्त तन्हा ग़ुज़ारते हैं.......

3 October 2022

9211 - 9215 ख़याल ज़िंदग़ी दर्द ज़िस्म तड़प याद बहार मतलब वास्ता शायरी

 

9211
बार--ग़म--ज़हाँ भी हैं,
तेरा ख़याल भी...
हैं क़ितनी वुसअतें,
दिल--आशुफ़्ता-हालमें...
                      ज़ोहरा नसीम

9212
हमें दुनियामें,
अपने ग़मसे मतलब...
ज़मानेक़ी ख़ुशीसे,
वास्ता क़्या.......?
अलीम अख़्तर

9213
मिरी ज़िंदग़ीपें मुस्क़ुरा,
मुझे ज़िंदग़ीक़ा अलम नहीं...
ज़िसे तेरे ग़मसे हो वास्ता,
वो ख़िज़ाँ बहारसे क़म नहीं...
                          शक़ील बदायुनी

9214
तमाम दर्दक़े रिश्तोंसे,
वास्ता रहे...l
हिसार--ज़िस्मसे निक़लूँ तो,
बेसदा हो ज़ाऊँ.......!
ख़लील तनवीर

9215
हमें वास्ता तड़पसे,
हमें क़ाम आँसुओंसे,
तुझे याद क़रक़े रोए...
या तुझे भुलाक़े रोए...!
                     राज़ेन्द्र क़ृष्ण

1 October 2022

9206 - 9210 सज़ा ग़ुनाहग़ार मयक़दे ख़ुशी वास्ते शायरी

 

9206
हद चाहिए सज़ामें,
उक़ूबतक़े वास्ते...
आख़िर ग़ुनाहग़ार हूँ,
क़ाफ़र नहीं हूँ मैं.......
                 मिर्ज़ा ग़ालिब

9207
ला-मक़ाँ हैं वास्ते उनक़ी,
मक़ाम--बूद--बाश...l
ग़ो -ज़ाहिर क़हनेक़ो,
क़लक़त्ता और लाहौर हैं...ll
शाह आसिम

9208
हमारे मयक़देमें,
ख़ैरसे हर चीज़ रहती हैं...
मग़र इक़ तीस दिनक़े वास्ते,
रोज़े नहीं रहते.......
                             मुज़्तर ख़ैराबादी

9209
ज़माने भरक़ो मुबारक़,
ख़ुशीक़ा आलम हो...
हमारे वास्ते यार,
तुम क़हाँ क़म हो.......

9210
यारों इंग्लिश ज़रूरी हैं,
हमारे वास्ते...
फ़ेल होनेक़ो भी इक़,
मज़मून होना चाहिए.......
                        अनवर मसूद

29 September 2022

9201 - 9205 हयात मरीज़ नाम ग़म वास्ते शायरी

 

9201
रंग़ीनिए हयात,
बढ़ानेक़े वास्ते...
पड़ती हैं हादसोंक़ी,
ज़रूरत क़भी-क़भी.......!

9202
ये मंसब--बुलंद मिला,
ज़िसक़ो मिल ग़या...
हर मुद्दईक़े वास्ते,
दार--रसन क़हाँ.......
मोहम्मद अली ख़ाँ रश्क़ी

9203
आने लगे हैं वो भी,
अयादतक़े वास्ते...
चाराग़र मरीज़क़ो,
अच्छा क़िया ज़ाए.......!!!
                        हमीद ज़ालंधरी

9204
क़ाम क़ुछ तो क़ीज़िए,
अपनी बक़ाक़े वास्ते...
इंक़िलाबी नामसे तो,
इंक़लाब आता नहीं...
अहया भोज़पुरी

9205
जाँ-सिपारी, दाग़ क़त्था चूना हैं,
चश्म--इन्तिज़ार वास्ते !
मेहमान ग़मक़े दिल हैं,
बीड़ा पानक़ा.......!!!
                         सिराज़ औरंग़ाबादी

28 September 2022

9196 - 9200 ज़रूरत राहत क़ज़ा प्यास हक़ीक़त वास्ते शायरी

 

9196
बिक़ ज़ाऊँ सस्ते दामोंमें...
ज़रूरतक़े वास्ते ;
उतरा हुआ ग़रीबक़ा...
ज़ेवर नहीं हूँ मैं ll
                       शहंशाह साबरी

9197
क़्यूँ फ़िरदौसमें,
दोज़ख़क़ो मिला लें यारब...
सैरक़े वास्ते थोड़ीसी,
ज़ग़ह और सही.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

9198
राहतक़े वास्ते हैं,
मुझे आरज़ू--मर्ग़...
ज़ौक़ ग़र ज़ो चैन आया,
क़ज़ाक़े बाद.......
                 शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
 
9199
दर-हक़ीक़त,
इत्तिसाल--ज़िस्म--जाँ हैं ज़िंदग़ी...
ये हक़ीक़त हैं क़ि,
अर्बाब--हिममक़े वास्ते.......
आतिश बहावलपुरी

9200
नींदक़े वास्ते,
वैसे भी ज़रूरी हैं थक़न...
प्यास भड़क़ाएँ,
क़िसी साएक़ा पीछा क़र आएँ...!
                                 शारिक़ क़ैफ़ी

27 September 2022

9191 - 9195 नमाज़ ख़ुदा शिक़ायत ग़ुनाह रहमत आबरू शराब दुश्मनी उल्फ़त तड़प वास्ते शायरी

 

9191
मस्ज़िदमें सर पटक़ता हैं,
तो ज़िसक़े वास्ते...
सो तो यहाँ हैं,
देख़ इधर ख़ुदा-शनास...
                   शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

9192
ख़ुदाक़े वास्ते,
मौक़ा दे शिक़ायतक़ा...
क़ि दोस्तीक़ी तरह,
दुश्मनी निभाया क़र...!
साक़ी फ़ारुक़ी

9193
ज़ोश--रहमतक़े वास्ते ज़ाहिद...
हैं ज़रासी ग़ुनाह-ग़ारी शर्त.......
                                  दाग़ देहलवी

9194
नमाज़ शुक्रक़ी पढ़ता हैं,
ज़ाम तोड़क़े शैख़...
वुज़ूक़े वास्ते लेता हैं,
आबरू--शराब.......
मुनीर शिक़ोहाबादी

9195
ख़ाक़से हैं ख़ाक़क़ो उल्फ़त
तड़पता हूँ अनीस ;
क़र्बलाक़े वास्ते मैं,
क़र्बला मेरे लिए ll
                         मीर अनीस

26 September 2022

9186 - 9190 बुत पत्थर ख़ुदा नमाज़ तोहफ़ा बात हरम दुनिया वास्ते शायरी


9186
बुत बनाने पूज़ने,
फ़िर तोड़नेक़े वास्ते...
ख़ुद-परस्तीक़ो,
नया हर रोज़ पत्थर चाहिए...!
                          वहीद अख़्तर

9187
आरज़ू इक़ बुतक़ी,
लेक़र ज़ाते हैं क़ाबेक़ो हम...
तुर्फ़ा तोहफ़ा पास हैं,
अहल--हरमक़े वास्ते.......
आशिक़ अक़बराबादी

9188
हक़ बात तो ये हैं,
क़ि उसी बुतक़े वास्ते ;
ज़ाहिद क़ोई हुआ,
तो क़ोई बरहमन हुआ ll
                 निज़ाम रामपुरी

9189
क़ुछ तुम्हें तर्स--ख़ुदा भी हैं,
ख़ुदाक़ी वास्ते l
ले चलो मुझक़ो मुसलमानो,
उसी क़ाफ़िरक़े पास ll
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

9190
दुनियाक़ा माल,
मुफ़्तमें चख़नेक़े वास्ते ;
हाथ आया ख़ूब,
शैख़क़ो हीला नमाज़क़ा...
               मिर्ज़ा मासिता बेग़ मुंतही

25 September 2022

9181 - 9185 ग़र्मी बहिश्त ख़िज़ाँ सहारा रहग़ुज़ार चमन उज़ाला आँख़ शिक़स्ता वास्ते शायरी

 

9181
ग़र्मीमें तेरे,
क़ूचा-नशीनोंक़े वास्ते...
पंख़े हैं क़ुदसियोंक़े,
परोंक़े बहिश्तमें.......!
               मुनीर शिक़ोहाबादी

9182
हवाक़े ख़ेलमें,
शिरक़तक़े वास्ते मुझक़ो...
ख़िज़ाँने शाख़से फेंक़ा हैं,
रहग़ुज़ारक़े बीच.......
एज़ाज़ ग़ुल

9183
साहिलपें क़ैद,
लाखों सफ़ीनोंक़े वास्ते...
मेरी शिक़स्ता नाव हैं,
तूफ़ाँ लिए हुए.......
                     सालिक़ लख़नवी

9184
ज़ानेक़ो ज़ाए फ़स्ल--ग़ुल,
आनेक़ो आए हर बरस...
हम ग़म-ज़दोंक़े वास्ते,
जैसे चमन वैसे क़फ़स.......
नूह नारवी

9185
हर सहारा,
बेअमलक़े वास्ते बेक़ार हैं l
आँख़ ही खोले ज़ब क़ोई,
उज़ाला क़्या क़रे...?
                             हफ़ीज़ मेरठी

9176 - 9180 आशिक़ आँख़ें ख़ुदा फ़िक्र राहत साहिल ग़हराई वास्ते शायरी

 

9176
आह क़रता हूँ तो,
आती हैं पलटक़र ये सदा...
आशिक़ोंक़े वास्ते,
बाब--असर ख़ुलता नहीं...
                         सेहर इश्क़ाबादी

9177
इक़ दमक़े वास्ते,
क़िया क़्या क़्या रज़ा ;
देख़ा छुपाया,
तोड़ा बनाया क़हा सुना ll
रज़ा अज़ीमाबादी

9178
आँख़ें ख़ुदाने बख़्शी हैं,
रोनेक़े वास्ते...
दो क़श्तियाँ मिली हैं,
डुबोनेक़े वास्ते.......
                मुनीर शिक़ोहाबादी

9179
माँग़ो समुंदरोंसे,
साहिलक़ी भीक़ तुम ;
हाँ फ़िक्र फ़नक़े वास्ते,
ग़हराई माँग़ लो ll
हसन नज़्मी सिक़न्दरपुरी

9180
रंज़ अलमक़ा,
लुत्फ़ उठानेक़े वास्ते...
राहतसे भी निबाह,
क़िए ज़ा रहा हूँ मैं.......
             ज़ग़दीश सहाय सक्सेना

23 September 2022

9171 - 9175 अज़नबी महफ़िल मोहब्बत फ़ुर्क़त शराब पराए वास्ते शायरी

 

9171
उस अज़नबीसे,
हाथ मिलानेक़े वास्ते...
महफ़िलमें सबसे,
हाथ मिलाना पड़ा मुझे.......
                        हसन अब्बासी

9172
उस अज़नबीसे,
वास्ता ज़रूर था क़ोई...
वो ज़ब क़भी मिला,
तो बस मिरा लग़ा मुझे...
हिलाल फ़रीद

9173
दूसरोंक़े वास्ते,
ज़ीते रहें मरते रहें ;
ख़ूब-सीरत लोग़ थे,
राज़--मोहब्बत पा ग़ए ll
             हयात रिज़वी अमरोहवी

9174
रो इतना पराए वास्ते,
दीदा--ग़िर्यां...
क़िसीक़ा क़ुछ नहीं ज़ाता,
तिरी बीनाई ज़ाती हैं.......
मुज़्तर ख़ैराबादी

9175
तेरी फ़ुर्क़तमें,
शराब--ऐशक़ा तोड़ा हुआ l
ज़ाम--मय,
दस्त--सुबूक़े वास्ते फोड़ा हुआ ll
                               मुनीर शिक़ोहाबादी